शिवबाबा की मुरली
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2951, दिनांक 24.07.2019
VCD 2951, dated 24.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning Class dated 01.12.1967
VCD-2951-Bilingual
समय- 00.01-29.58
Time- 00.01-29.58
प्रातः क्लास चल रहा था पहली दिसम्बर, 1967. शुक्रवार को पांचवीं लाइन में बात चल रही थी – जो साहूकार राजे होते हैं उनकी गद्दी पाते हैं। क्या इसने ऐसे राजगद्दी पाई? जैसे कर्म किया पूर्व जन्म में वैसे ही इनको ये धन मिला। नहीं? बाबा का तुमको कर्म सिखलाना बिल्कुल ही न्यारा है। अभी गाया जाता है। इनकी करम की गति न्यारी। करम, अकर्म, विकर्म हैं। वो अक्षर क्लीयर हैं। ये ठीक लिखे हैं ना अक्षर। कहते हैं ना आटे में लून मिसल। तुम कोई श्लोक या उनका ऐसा है जिनसे अर्थ निकल सकते हैं। माना सब झूठ नहीं होती है। जैसे वो लोग कहते हैं भई प्रलय होती है। देखो, सब प्रलय होती है? तो कहेंगे ना भई। आटे में लून मिसल है। क्योंकि देखो तो सही। और कहां 500 आदमी ये इस समय में और कहां बाकि नौ लाख। तो क्या परसेन्टेज हुआ? अरे, कहेंगे क्वार्टर परसेन्ट भी नहीं हुआ। तो इसको फिर कहा जाता है आटे में लून अर्थात् पूरी दुनिया विनाश नहीं होती है। कोई जरूर रहते हैं। इनको ही कहा जाता है आटे में लून। माना बहुत थोड़े रहते हैं। पीछे तो वृद्धि तो बहुत पाते हैं ना? तो ये कैसे होते हैं ये पुराने? कि जाते हैं, यहीं रहते हैं, संगम के समय। नहीं। संगम के समय दोनों रहते हैं। वो भी रहते हैं, वो भी रहते हैं।
तो कहा जाता है ना कि भई ये मर गया, ये शरीर छोड़ दिया। जाकर कहां आके रहा। भई क्यों गया? कि ये रिसीव करने के लिए गया। समझा ना? एक दो को रिसीव करना है। तो रिसीव करने गया। क्योंकि वो भी ज्ञानी। यहां के भी जो आत्मा वो भी ज्ञानी। तो रिसीव कौन करेगा? तो ज्ञानी आत्मा होगी वो ही दूसरे ज्ञानी आत्मा को रिसीव करेगी। कोई पतित आत्मा नहीं होगी तो कोई थोड़ेही उनको करेगी? नहीं। बाबा समझाया ना जो भी यहां के बच्चे हैं नंबरवार पुरुषार्थ अनुसार जो बिल्कुल ही अच्छे। हम कहते हैं ना कभी-कभी जैसे वो मुगली गई तो अच्छी थी ना? तो उसने जन्म कहां लिया होगा? बिल्कुल अच्छे घर में। है ना? नंबरवार जैसे-जैसे जो जाते हैं ऐसे नंबरवार वहां जाकरके जन्म लेते हैं। और सुख में क्योंकि वो सुख तो उनको देखना ही है। फिर थोड़ा दुख भी होगा। वो तो जरूर होगा क्योंकि सब तो कर्मातीत अवस्था तो हुई नहीं है ना किसी की। तो इसलिए जनम जो लेते हैं वो बच्ची बड़े घर में जन्म होते हैं। ऐसे नहीं कहेंगे कि स्वर्ग में जाकरके जन्म लिया। नहीं। बड़े सुखी घर में जन्म लेते हैं।
यहां कोई तो ऐसे मत समझो तो यहां कोई सुखी घर नहीं हैं इस दुनिया में। नहीं। परिवार ऐसे-ऐसे हैं बात मत पूछो बच्चे। वो तो यहां के बच्चों ने हज़ार बार क्योंकि बाबा का अनुभव कहते हैं देखा हुआ है। अरे, शांति एकदम। आपस में मेल रहता है। हैं बहुत कुटुंबी जिनका बहुत मेल रहता है। और 6-6, 5-5 बहुएं। समझा ना? मैंने खुद आँखों से जाकरके देखे हैं। वो तो बहुत बड़े आदमियों के घर जाते थे। गरीबों के घर तो जाते ही नहीं थे। किसकी बात हुई? हँ? ब्रह्मा बाबा की बात हुई। हाँ, गरीबों के घर भी शायद होवे ऐसा कोई कि बड़ा मकान, बहुत बड़ा मकान और एक-एक थंबला। और बाहर में ऐसे-ऐसे ओपेन-ओपेन थांबले के बाजू में और एक-एक देखो तो बस। है ही एक थंबले में बैठे हुए हैं। गीता पढ़ रही है और अपने-अपनी भक्ति में ही बैठे रहते हैं एकदम। बाबा पूछा – सब इकट्ठे रहते हो? हाँ, इकट्ठे रहते हैं। तो क्या कोई झगड़ा-वगड़ा नहीं होता है? बोला हमारे पास तो ऐसे जैसे स्वर्ग है। हमारे पास यहां स्वर्ग है। हम कभी भी आपस में लड़ते-झगड़ते नहीं हैं। हम सब इकट्ठे रहते हैं। और कभी झगड़ा होता ही नहीं है। शांत। ऐसी फर्स्टक्लास।
तो बाप कहेंगे ना बच्ची जिसके घर में जाओ और देखो कि वहां सभी बच्चे शांत हैं। और बहुत आराम से। तो देखेंगे यहां तो स्वर्ग लगा पड़ा है। जब वहां स्वर्ग लगा पड़ा है तो स्वर्ग तो कोई और चीज़ भी होगी ना? वो पास्ट हो गई ना? तो कहते हैं यहां तो जैसे स्वर्ग लगा पड़ा है। वहां राजधानी स्थापन होती है। इतनी राजधानी स्थापन होती। थोड़ी यहां आती है। बाकि शांतिधाम, शांतिधाम में रहते हैं। तो वो तो पीछे आने वाली है। तो ये सभी ज्ञान अभी तुम बच्चों को मिलता है। क्या ज्ञान मिला? कि जो भी देवी-देवता सनातन धर्म की पक्की सूर्यवंशी आत्माएं होंगी ना, हँ, नौ कुरियों में से पहले नंबर की कुरी के, वो तो अंतिम जन्मों में भी बड़े सुख-शांति से रहते हैं।
तो अभी तुम बच्चों को मिलते हैं कि कैसे ये स्वर्ग स्थापन होता है। कैसे वो जो भी नहीं आते हैं, ब्राह्मण नहीं बनते हैं वो तो खतम ही हो जाएगा। 1.12.67 का प्रातः क्लास, पांचवां पेज, शुक्रवार, दूसरी लाइन। बाकि ये ब्राह्मण जो बनते हैं कोई थोड़े थोड़ेही बनेंगे। नहीं, जो भी दैवी घराने में आने वाले हैं वो सभी ब्राह्मण घराने में आने वाले हैं ही हैं। परन्तु अवस्था जैसे बाबा ने बताया है ना कोई की बिल्कुल अच्छी फर्स्टक्लास, चलता रहेगा शांत, बिल्कुल मीठा, एकदम मीठा। सबको प्यार करने वाला। उनकी बात कोई को भी छिदेगा नहीं। समझा ना? कि छिद देने से दूसरों को कुछ होता है ना? तो वो जिसको दुख देने वाला वो तो कभी यहां बैठकरके बोले ना? दीदी पूछती ना कि कोई ने किसी को दुख दिया है? हाँ, कभी हाथ नहीं उठाएंगे। और रोज दुख देते हैं ना कोई-कोई को। जरूर देखेंगे। देते हैं। तो ये बाबा अनुभव की बातें बताते हैं। कोई न कोई को, कोई न कोई को दुख जरूर देंगे। मनसा से, वाचा से। अच्छा, मनसा का भी छोड़ो। जबकि वाचा में आवे, पर वाचा से दुख जरूर देगा। ऐसे-ऐसे करेगा ना? दुख जरूर देंगे। तो कहते ही हैं पुण्यात्मा, पापात्मा। तो फिर क्या कोई शरीर का नाम लेते हैं क्या? हँ? शरीर पाप, ऐसे तो नहीं कहते। पुण्य, पुण्य शरीर। नहीं। तो है वास्तव में बात ये कि बरोबर पुण्यात्मा, पापात्मा। तो ये बच्चों को मालूम है कि सभी पापात्मा कोई एक जैसे नहीं होते हैं। कभी भी नहीं होते हैं एक जैसे। और सभी पुण्यात्मा भी कोई एक जैसे नहीं होते। देखते हो। ब्राह्मण बनेंगे सभी एक जैसे? नहीं बनेंगे। हँ? अगर यहां एक जैसे ब्राह्मण बन जावें तो दुनिया में ये इतने धरम फैले हुए हैं ये बनेंगे? हँ? नहीं बनेंगे।
तो सब नंबरवार पुरुषार्थ अनुसार और वो भी वो समझते हैं कि यहां क्योंकि पढ़ाई में क्या कोई समझते होंगे कि मेरा कैरेक्टर कैसा है? अच्छा, मेरी अवस्था कैसी है? क्या कोई स्टूडेन्ट समझता नहीं होगा? नहीं समझ सकता? सब समझते हैं। बिल्कुल अच्छी तरह से समझते हैं। तो बाप बोलते हैं ये समझते सब कुछ हैं कि हम कैसे चलते हैं, हमारी अवस्था कैसी है? हँ? हम कैसे मीठे बनते हैं। हम कोई भी कुछ कहे तो हम उनको कभी भी कोई उल्टा-पुल्टा, सुल्टा जवाब नहीं देते हैं। है ना? सबको प्यार करते हैं बच्चे। तो बच्चे बहुत कहते हैं बाबा हमको तो गुस्सा लगता है। इन बच्चों को चमाट मार देते हैं। तो बाबा कहते हैं जितना हो सके उतना प्यार से चलाओ। फिर भी ये छोटे बच्चे हैं ना? हँ? कौनसी दुनिया की बात बताई? हँ? यहां की बात बताई? लौकिक दुनिया की बात नहीं बताई? हाँ, वहां की भी बात बताई। और वहां की बात इसलिए बताई कि यहां से टैली हो जाए। तो यहां भी छोटे बच्चे कौन हुए? हँ? जिनमें समझदारी नहीं है, ज्ञान कम है, तो छोटे बच्चे हैं। श्रीमत को नहीं पकड़ सकते हैं।
तो बताया - जितना हो सके इतना प्यार से उनकी भलाई के लिए थोड़ा सा कान पकड़ सकते हो। तो इसलिए दृष्टांत है ना बच्ची? कृष्ण को तो कभी कोई कुछ कह नहीं सके। बिल्कुल नहीं। क्यों? फिर ओखली से क्यों बांधते थे? तो वो बात तो यहां की है ना? हँ? कहां की? हँ? वो बात ब्राह्मणों की दुनिया की है ना? समझने-समझाने की बात है। तो बाबा कहते हैं कोई भी छोटा होवे एकदम तो उनको चलो, हाँ, जो खटिया की पाइयां हैं ना उनसे बांध दियो। या तो कोई कोठी, कोठरी में बंद कर दियो। हँ? या कोई झाड़ से बंद कर दियो रस्सी से। बाकि थप्पड़ नहीं मारो। क्योंकि जो कुछ भी तुम करेंगे वो, वो ही करना सीख जाते हैं। अभी ऐसा तो नहीं है कि बड़ा होगा तो मां-बाप को बैठकरके बोलेगा कोई चीज़ से। नहीं। वो सीखेगा ही नहीं ना? बड़ा होता जाएगा, वो बड़ों को थोड़ेही बैठकरके। ये तो छोटों के लिए शिक्षा है। तो पूछते हैं। और वो करता है। हर्जा नहीं है। तो कान से पकड़ सकते हो। वो भी बिल्कुल तंग करे तो। तो ऐसे बच्चे होते हैं। नाक में दम कर देते हैं एकदम। चोरी-चकारी, वगैरा-3। हँ? तो चोरी-चकारी करते हैं तो फिर वो निर्मोही भी बनना चाहिए ना?
शिक्षाएं भी सभी मिलती हैं। और ये भी समझते हैं कि तुमको ऐसा ज़रूर बनना है। हँ? क्योंकि तुम्हारे लिए तो बच्ची है। क्या? एम-आब्जेक्ट है। ये खड़े हैं ना? उसमें कोई स्कूल वगैरा में कोई खड़े नहीं होते हैं एम-आब्जेक्ट। तो ये तो एम-आब्जेक्ट तुमको यहीं दिखाई जाती है। और एकदम हाइएस्ट एम-आब्जेक्ट है। इनसे ऊँची तो एम-आब्जेक्ट तो कोई होती नहीं। क्यों? क्योंकि पढ़ाने वाला ही हाइएस्ट। तो एम-आब्जेक्ट भी हाइएस्ट। तो हाइएस्ट में तो सब गुण गाते हैं ना? कृष्ण के गुण ऐसा कौन होगा जो नहीं गाते होंगे? गाते हैं - सर्वगुण संपन्न, 16 कला संपूर्ण, संपूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, अहिंसा देवी-देवता परमोधर्म। तो ये सभी गुण उनको हैं। अच्छा, वो उनकी है ना जो महिमा गाते हैं। बरोबर गाते हैं। अभी बच्चों को मालूम पड़ा। तो जो उनकी महिमा गाने वाले हैं जो वो थे वो खुद श्री कृष्ण अभी तुम बन रहे हो।
देखो, तुमको बाबा कैसे सिखलाते हैं तुम यहां क्यों आए हो? तुम यहां आए ही हो ये बनने के लिए। एम-आब्जेक्ट सिर्फ एब्सोल्यूटली ये है। क्योंकि कथा ही है तुम्हारी सत्य नारायण की। हँ? सत्य नर से नारायण बनने की कथा है। अमरकथा भी है। अमरपुरी में जाने के लिए ये कथा है ना? तीसरा नेत्र, तीजरी की कथा। त्रिकालदर्शी बनने की कथा। तो तुमको तीनों ही प्रकार की कथाएं मिलती हैं। 1.12.67 की प्रातः क्लास का छठा पेज। मिलती तो हैं तीनों प्रकार की कथाएं। और ऐसे तो कोई सुनाएगा भी नहीं। कोई सन्यासी-वन्यासी तो वो जानते भी नहीं हैं इन बातों को। कोई भी नहीं जानते हैं। क्यों? कोई भी मनुष्य मात्र को ऐसे नहीं कहेंगे। क्या? क्या नहीं कहेंगे? ज्ञान का सागर है। पतित-पावन है। सबको थोड़ेही कहेंगे पतित? यहां किसको कह सकेंगे पतित-पावन? जबकि सारी सृष्टि पतित है। तो हम किसको कहें पतित-पावन? ये सारी सृष्टि पतित है ना बच्ची? तो पतित सृष्टि के या भ्रष्टाचारी सृष्टि को, हम किसको कहें श्रेष्ठाचारी? क्योंकि श्रेष्ठाचारी अक्षर आने से हमको सतयुग की बहुत याद आती है। और फिर ये याद पड़ते हैं। जब पुण्यात्मा तभी भी ये याद पड़ते हैं। अब इस दुनिया में यहां कहां से आए पुण्यात्माएं? तो बाप आकरके ये सब बातें बच्चों को समझाते हैं। ओमशान्ति। (समाप्त)
A morning class dated first December, 1967 was being discussed. The topic being discussed in the fifth line on Friday was – The prosperous kings obtain their thrones. Did this one achieve throne in this manner? As were the actions they performed in the previous birth, they got the wealth accordingly. No? Baba’s way of teaching you actions is completely strange. Now it is sung. The dynamics of the actions of these is strange. There is karma, akarma and vikarma. Those words are clear. These words have been rightly written, haven’t they been? It is said, isn’t it that it is like salt in wheat flour. You can interpret meaning from any shlok (verse) or any such thing of theirs’. It means that everything is not false. For example, those people say that brother ‘pralai’ (inundation of world with water or destruction of the world) takes place. Look, does entire destruction take place? So, it will be said, will it not be said brother? It is like salt in wheat flour. It is because have a look. And on the one side are 500 [crore] men at this time and on the other side are nine lakhs. So, what is the percentage? Arey, it will be said it is not even a quarter percent. So, this is then called salt in wheat flour, i.e. the entire world is not destroyed. Some definitely live. These are only called salt in wheat flour. It means that very few live. Later they grow a lot in numbers, don’t they? So, how are these old ones? They go, they live here only at the time of confluence. No. Both live at the time of confluence. They too live and they too live.
So, it is said, isn’t it that brother, this one died, this one left his body. He went and then came and where did he stay? Brother, why did he go? He went to receive you. You have understood, haven’t you? You have to receive each other. So, he went to receive. It is because he is also knowledgeable. The souls of this place are also knowledgeable. So, who will receive? So, the soul which is knowledgeable will only receive another knowledgeable soul. If a soul is not sinful, then will it receive it? No. Baba had explained, hadn’t He that all the children here are numberwise as per their purusharth, completely nice. We say, don’t we that sometimes, for example, that Mugli went, so, she was good, wasn’t she? So, where must she have got birth? In a completely good house. Is it not? Numberwise, as and when those who go, similarly they go and get birth there. And in happiness because they have to witness that happiness without fail. Then there will be a little sorrow also. That will definitely be there because all have not achieved karmaateet stage. So, this is why those who get birth, daughter, they get birth in a prosperous house. It will not be said that they went to heaven and got birth. No. They get birth in a very prosperous home.
Here, nobody should think that here there is no happy home in this world. No. Children, there are such families that just do not ask. The children of this place have a thousand times because Baba’s experience says that he has seen. Arey, complete peace. There is unity among them. There are many family members who love each other. And there are six, five daughters-in-law. You have understood, haven’t you? I have gone and seen with my own eyes. He used to go to the houses of many prosperous persons. He did not used to go to the houses of poor people at all. Whose topic was mentioned? Hm? Brahma Baba’s topic was mentioned. Yes, even at the homes of poor people perhaps there must be someone with a big house, a very big house and one courtyard each. And outside beside such open, open courtyards and if you observe each one, that is it. They are sitting in the same courtyard. She is reading the Gita and they keep on sitting in their Bhakti (devotion to God) only. Baba asked – Do all of you live together? Yes, we live together. So, don’t you have fights? He said – Our place is like heaven. Our place here is a heaven. We never fight with each other. We all live together. And we never fight at all. Peaceful. Such first class.
So, the Father will say, will He not daughter that if you go to someone’s house and look that all the children there are calm. And very comfortable. So, you will observe that there is heaven here. When there is heaven there, then heaven will be something else also, will it not be? That became past, didn’t it? So, they say it is as if there is heaven here. The kingdom is established there. Such a kingdom is established. It comes here a little. The rest live in the abode of peace, shaantidhaam. So, that is going to come later on. So, you children get all this knowledge now. What knowledge did you get? That all those who are firm Suryavanshi souls of the ancient deity religion, aren’t they, belonging to the first number category among the nine categories, they live in a lot of happiness and peace in the last births also.
So, now you children understand as to how this heaven is established. How those who do not come, do not become Brahmins, then they will indeed perish. Fifth page of the morning class dated 1.12.67, Friday, second line. As regards those who become Brahmins, will very few become? No, all those who are to come in the divine clan, all those are definitely going to come in the Brahmin clan. But just as Baba has narrated that the stage of some will be completely nice, first class; he will keep on treading peacefully, completely sweetly, completely sweetly. The one who loves everyone. His words will not hurt anyone. You have understood, haven’t you? If they hurt, then others feel something, don’t they? So, the one who gives sorrows to others, will he ever sit here and speak? Didi asks, doesn’t she that has anyone given such sorrows to anyone? Yes, they will never raise their hands. And they give sorrows to someone or the other everyday. You will definitely observe. They give [sorrows]. So, this Baba narrates the topics of experience. They will give sorrows to someone or the other, someone or the other. Through the mind, through the words. Achcha, leave the mind also. If they come in words, they will definitely give sorrows through words. He will do such things, will he not? They will definitely give sorrows. So, they are called punyatma (noble souls), papatma (sinful souls). So, then does anyone take the name of the body? Hm? They don’t say sinful body. Noble, noble body. No. So, actually it is correct – noble soul, sinful soul. So, children know that all the sinful souls are not alike. They are never alike. And all the noble souls are not alike. You observe. Will everyone become Brahmins alike? They will not become. Hm? If they become similar Brahmins here, then will all these religions that are spread in the world, will they be established? Hm? They will not be established.
So, everyone is numberwise as per purusharth and they too understand that here because in studies does anyone understand as to how my character is? Achcha, how is my stage? Doesn’t any student understand? Can’t he understand? They understand everything. They understand very nicely. So, the Father says that they understand everything as to how we tread, what is our stage? Hm? How sweet we become! If anyone says anything to us, then we don’t give them any inappropriate reply any time. Is it not? Children love everyone. So, children say many times – Baba, we feel angry. We slap these children. So, Baba says – Manage them with love as much as possible. However they are young children, aren’t they? Hm? A topic of which world was mentioned? Hm? Was a topic of this place mentioned? Wasn’t a topic of the lokik world mentioned? Yes, a topic of that place was also mentioned. And a topic of that place was mentioned so that it can tallywith this place. So, who are the young children here as well? Hm? Those who do not have wisdom, those who have less knowledge, they are young children. They cannot grasp Shrimat.
So, it was told – As much as possible, with love, you can catch hold of their ears a little for their benefit. So, this is why there is an example, isn’t it daughter? Nobody can ever say anything to Krishna. Not at all. Why? Then why did he used to be tied with an okhli (a pounder)? So, that topic is of this place, isn’t it? Hm? Of which place? Hm? That topic is of the world of Brahmins, isn’t it? It is a topic to understand and explain. So, Baba says – If anyone is very young, then okay, yes, you can tie them to the legs of the cot. Or you can lock them inside a house, a room. Hm? Or you can tie them with a rope to a tree. But do not slap. It is because whatever you do, they, they start learning the same thing. Well, it is not that when he grows up, then he will sit and speak to the parents with something. No. He will not learn at all; will he? He will keep on growing; will he sit and do that to the elders? This is a teaching for the young ones. So, they ask. And he does. It doesn’t matter. So, you can catch his ears. That too when he troubles you a lot. So, there are such children. They make your life very hard. Stealing, etc. Hm? So, when they steal, then you should become detached as well, will you not?
You get all the teachings as well. And you also understand that you have to definitely become like this. Hm? It is because it is for you daughter. What? You have an aim-object. These are standing, aren’t they? In that, in the schools, etc. the aim-object is not standing. So, this aim-object is shown to you here only. And it is a completely highest aim-object. There is no aim-object higher than these. Why? It is because the teacher Himself is highest. So, the aim-object is also highest. So, all the virtues are sung in the highest, aren’t they? Who is there who doesn’t sing the virtues of Krishna? They sing – Perfect in all the virtues, perfect in 16 celestial degrees, completely viceless, Maryadas Purushottam (highest among all the souls in following the code of conduct), non-violence – the highest dharma of deities. So, all these virtues belong to them. Achcha, the praises that are sung belong to them, don’t they? Rightly they sing. Now children have come to know. So, those who sing their praises, which they were, you yourself are becoming that Shri Krishna now.
Look, how Baba teaches you as to why you have come here? You have come only to become this. The aim-object is absolutely this. It is because your story itself is of the true Narayan. Hm? It is the story of becoming Narayan from true nar (man). It is a story of eternity (amarkatha) as well. This is a story to go to the abode of eternity (amarpuri), isn’t it? It is the story of the third eye, the story of Teejri. The story of becoming Trikaaldarshi (the one who knows the past, present and future). So, you get all the three types of stories. Sixth page of the morning class dated 1.12.67. You do get all the three kinds of stories. And nobody will narrate like this. None of those sanyasis, etc. knows about these topics. Nobody knows. Why? No human being will be called like this. What? What will they not be called? He is an ocean of knowledge. He is a purifier of the sinful ones. Will everyone be called sinful? Will you be able to call anyone a purifier of the sinful ones? While the entire world is sinful? So, whom should we call purifier of the sinful ones? This entire world is sinful, isn’t it daughter? So, whom should we call righteous – this sinful world or the unrighteous world? It is because when we use the word ‘righteous’, then we remember the Golden Age a lot. And then these come to the mind. These come to the mind also when we become noble souls. Well, where will noble souls emerge from in this world? So, the Father comes and explains all these topics to the children. Om Shanti. (End) ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
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Extracts of PBK Murlis - as narrated to the PBKs
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Re: Extracts of PBK Murlis - as narrated to the PBKs
शिवबाबा की मुरली
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2952, दिनांक 25.07.2019
VCD 2952, dated 25.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning class dated 01.12.1967
VCD-2952-Bilingual-Part-1
समय- 00.01-13.53
Time- 00.01-13.53
प्रातः क्लास चल रहा था 1.12.1967. शुक्रवार को छठे पेज के मध्यादि में बात चल रही थी – श्रेष्ठाचारी अक्षर बुद्धि में आने से हमको सतयुग याद पड़ता है। और ये याद पड़ते हैं जब पुण्यात्मा हैं। तभी भी याद पड़ते हैं। अब यहां इस दुनिया में पुण्यात्माएं कहा से आए? बाप आकरके बच्चों को सब बातें समझाते हैं तुम बच्चे यहां पतित हैं। भले ये सन्यासी पवित्र हैं परन्तु इनको कोई ये पुरुष ये श्रेष्ठाचारी थोड़ेही कहेंगे। क्यों नहीं कहेंगे? हँ? क्योंकि इनकी पैदाइश ही भ्रष्ट इन्द्रियों से होती है। जैसे सबकी होती है। तो श्रेष्ठाचारी कैसे हुए? देवताएं तो श्रेष्ठाचार से पैदा होते हैं। ज्ञानेन्द्रियां श्रेष्ठ हैं ना? तो श्रेष्ठ इन्द्रियों के आचरण से जन्म होता है। ये तो बाप ने समझाया ये तो जनम बाइ जनम सन्यास लेंगे, पुनर्जन्म लेंगे। अच्छा, बाबा के लिए कोई कहेंगे। ये बाबा तुम्हारा पुनर्जन्म लेंगे? कोई तो बतावे बाबा के लिए। कोई नहीं बताय सकेगा। कि बाप ने बताय दिया, अव्वल नंबर वाले का नाम बताय दिया। उससे अव्वल तो और कोई हो नहीं सकता दूसरा। हँ? उससे किसके लिए बोला? उससे माना दूर किया ना? सन्मुख भी नहीं। बाजू में भी नहीं।
श्री कृष्ण के पहले अव्वल तो कोई है ही नहीं। हँ? ब्रह्मा बाबा क्या समझेंगे? हाँ, ये तो बिल्कुल सही बात। श्री कृष्ण से पहले नंबर में अव्वल तो कोई और होता ही नहीं। और तुम बच्चों को बुद्धि में क्या आएगा? हँ? तो किसका नाम बताएंगे? किसका बताएंगे? हँ? (किसी ने कुछ कहा।) अरे, कृष्ण की बात हो रही है। कृष्ण से पहले तो अव्वल नंबर कोई होता ही नहीं। कृष्ण की बात हो रही है, नारायण को बताय रहे। (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, संगमयुगी कृष्ण। जब बाप आते हैं क्योंकि जो भी यादगार हैं, त्यौहार हैं, मन्दिर हैं; देवताओं के नाम देवी-देवियों के हैं वो कहां की यादगार हैं? संगमयुग की यादगार हैं ना? तो कृष्ण की बात हो रही है तो श्री कृष्ण जरूर संगमयुग में हुआ होगा।
तो बाप तो अव्वल नंबर में बताय रहे हैं कि श्री कृष्ण और फिर वो ही भूल निकालते हैं कि श्री कृष्ण भगवानुवाच। हँ? वो ही माने कौन? हँ? ये भूल को निकालते भी कौन हैं जो हुई है? बड़े ते बड़ी भूल हुई है जो गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया। वो ही कौन निकालते हैं भूल? हँ? अरे, वो श्री कृष्ण जो अव्वल नंबर बताया प्रैक्टिकल में पार्ट बजाने वाला है ना? हाँ। तो वो संगमयुगी श्री कृष्ण बच्चा ही बना रहेगा क्या? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ। तो भूल निकालते हैं कि श्री कृष्ण भगवानुवाच वो कैसे हो सकता है? बच्चा कैसे ज्ञान सुनाएगा? कैसे राजयोग सिखाएगा? क्योंकि ये भगवानुवाच। अरे, वो भगवान तो जनम-मरण रहित है ना? और वो तो एक ही है। बरोबर गाया ही ऐसे जाता है। कैसे? शिव परमात्माय नमः। हँ? शिव को परमात्माय कहें या परमपिता कहें? हँ? शिव निराकार ज्योति बिन्दु आत्मा को तो कहेंगे कि आत्माओं का बाप परमपिता। परन्तु नमन करने की बात जब आती है, हँ, तो कब? कब नमन? जब प्रवेश करे। तो जो परमात्म पार्टधारी है; परम माने बड़ा। बड़े ते बड़ा। कैसी आत्मा? ऊँच ते ऊँच सृष्टि रूपी रंगमंच पर पार्ट बजाने वाला हीरो पार्टधारी। तो उसमें प्रवेश करते हैं। इसलिए कहा जाता है शिव परमात्माय नमः। तो तुम बता तो सकते हो ना सबको। जबकि तुम ब्रह्मा को देवता कहते हो। और विष्णु को देवता कहते हो। शंकर को देवता कह देते हो। शंकर को देवताय नमः कहकरके फिर आखरीन शिव परमात्माय नमः कह देते हो।
फिर उस परमात्मा को फिर तुम ऐसे क्यों कहते हो कि परमात्मा सर्वव्यापी है? तभी ब्रह्मा में भी व्यापी है, सर्वव्यापी है; तभी ब्रह्मा के, हाँ, ब्रह्मा देवताय नमः क्यों कहते हो? हँ? ब्रह्मा में आता है। जैसे गीता में लिखा है ना मैं प्रवेष्टुम। मैं प्रवेश करने योग्य हूँ। तो ब्रह्मा में आता है तो वो ही हुआ ना सबसे श्रेष्ठ जो ब्रह्मा के अंदर आता है। और वो कोई देवता थोडेही है। वो देवता बनता है क्या? नहीं। न वो श्रेष्ठ बनता है, न भ्रष्ट बनता है। जो श्रेष्ठ बने उसको भ्रष्ट भी बनना पड़े। ऊँच जाएगा तो नीचे भी जाएगा। तो है ना तुम बच्चों के पास। क्या? ये समझ। अच्छी तरह से समझ मिलती रहती है बहुत। और दिन-प्रतिदिन प्वाइंट्स मिलते रहते हैं। और है एक ही प्वाइंट। सभी बाबा बाबा कहते हैं। हँ? किसको भी समझाओ, कभी भी समझाओ। तो पहले बाबा के पास, हँ, बाबा ये कहते हैं, बाबा वो कहते हैं। समझा ना? भगवानुवाच है। तो बाबा एक है ना? बाबा तो ग्रांडफादर को कहा जाता है ना? बच्चा कैसे ग्रांड फादर हो जावे?
ये है ना शिव परमात्माय नमः। ये ब्रह्मा, ये विष्णु, शंकर, ये देवताएं हैं। हैं ना? तो इन तीनों देवताओं से ऊपर तो भगवान हुआ ना? भगवान ऊँचा या देवताएं ऊँचे? अरे, भगवान तो है ही नर को नारायण बनाने वाला। तो जो बनाने वाला है तो ऊँचा हुआ ना? अच्छा। तो शिव को तो परमात्मा कहें ना? हँ? सबका बाप। हाँ, ये तो है कि वर्सा तो बाप से ही मिलेगा। सर्वव्यापी तो कोई, कोई से वर्सा तो मिल ही नहीं सकता। तो बाप से तो वो बाप को ही देखना पड़े। क्या? कौनसे बाप को? वो बाप को ही देखना पड़े। और बाप वर्सा जो देते हैं स्वरग का, तो स्थापन करने वाला है ना? तो जो स्थापन करते हैं स्वर्ग का वर्सा ही देंगे। तो ये स्वरग का वर्सा देखो नंबरवन। तो तुम बच्चों को अभी मालूम हुआ कि ये पढ़ाई से मिलता है। आगे कभी किसी को पता था कि पढाई से, योग से, हँ, ये स्वर्ग का वर्सा मिलता है? अभी प्राचीन योग तो बहुत मशहूर है भारत का। अभी प्राचीन भारत का योग क्यों नहीं मशहूर होगा जिससे मनुष्य पतित से पावन बनें? और पावन बनके ये बनें। क्या? विश्व के मालिक। तो उनका नाम, बस उनका ही तो नाम होगा ना बड़े ते बड़ा? तो वो हुआ ना? प्राचीन भारत का सहज योग और सहज ज्ञान। (क्रमशः)
A morning class dated 1.12.1967 was being narrated. The topic being discussed in the beginning of the middle portion of the sixth page on Friday was – When the word ‘shreshthachari’ (righteous) comes to our intellect, then we remember the Golden Age. And you remember this when you are noble souls (punyatma). Only then do you remember. Well, here in this world where will the noble souls emerge from? The Father comes and explains all the topics to the children that you children are sinful here. Although these sanyasis are pure, but will these men be called righteous? Why will they not be called? Hm? It is because their birth itself takes place through the unrighteous organs. Just as all are born. So, how can they be righteous? Deities are born through righteousness. The sense organs are righteous, aren’t they? So, they are born through the acts of the righteous organs. The Father has explained that these will take sanyas (i.e. renounce the household) birth by birth and get rebirth. Achcha, someone may say for Baba. Will your Baba get rebirth? Someone should tell about Baba. Nobody will be able to tell. That the Father has revealed; He has revealed the name of the number one. Nobody else can be numberone when compared to him. Hm? For whom was ‘him’ (us se) said? ‘Us se’ means that he was made distant, wasn’t he? Not even face to face. Not even beside.
Nobody is number one before Shri Krishna at all. Hm? What will Brahma Baba think? Yes, this is absolutely correct topic. Nobody else is number one before Shri Krishna at all. And what will come to the intellect of you children? Hm? So, whose name will you tell? Whose will you tell? Hm? (Someone said something.) Arey, the topic of Krishna is being discussed. Nobody is number one before Krishna at all. The topic of Krishna is being discussed, Narayan is being mentioned. (Someone said something.) Yes, Confluence-Age Krishna. When the Father comes, because whatever memorials are there, whatever festivals, temples are there, whatever names of female or male deities are there, they are memorials of which time? They are memorials of the Confluence Age, aren’t they? So, the topic of Krishna is being discussed. So, Shri Krishna must definitely have existed in the Confluence Age.
So, the Father is telling about the number one that Shri Krishna and then the same mistake emerges that Shri Krishna Bhagwanuvaach (God Shri Krishna speaks). Hm? ‘The same’ refers to whom? Hm? Who makes this mistake which has been committed to emerge? The biggest mistake that has been committed is that the name of Krishna has been inserted in the Gita. Who is ‘the same’ who makes the mistake to emerge? Hm? Arey, the same Krishna who was mentioned to be number one in playing the part in practical, isn’t he? Yes. So, will that Confluence Age Shri Krishna remain a child only? (Someone said something.) Yes. So, the mistake is made to emerge that how can it be ‘God Shri Krishna speaks’? How will a child narrate knowledge? How will he teach rajyog? It is because this Bhagwaanuvaach. Arey, that God is beyond birth and death, isn’t He? And He is only one. It is rightly sung like this only. How? Shiv Parmaatmaay namah. Hm? Should Shiv be called Paramaatmaay (Supreme Soul) or Parampita (Supreme Father)? The incorporeal point of light Shiv soul will be called the Father of souls, the Supreme Father. But when the topic of bowing comes, so, when? When do you bow? It is when He enters. So, the Supreme actor; Supreme means big. The biggest one. What kind of a soul? The hero actor, who plays the highest on high part on the world stage. So, He enters in him. This is why it is said – Shiv Parmaatmaay namah. So, you can tell everyone, can’t you? When you call Brahma as a deity; And you call Vishnu as a deity. You call Shankar a deity. You call Shankar as ‘Devtaay namah’ (I bow to the deity) and then ultimately you say ‘Shiv Parmaatmaay namah’ (I bow to Shiv, the Supreme Soul).
Then why do you say for that Supreme Soul that the Supreme Soul is omnipresent? That is why He is present in Brahma also, He is omnipresent; That is why Brahma, yes, why do you say Brahma Devataay Namah (I bow to Brahma, the deity)? Hm? He comes in Brahma. For example, it is written in the Gita, hasn’t it been that I enter Praveshtum? I am capable of entering. So, when He comes in Brahma then He Himself is the most righteous one who comes in Brahma. And He is not a deity. Does He become a deity? No. Neither does He become righteous nor does He become unrighteous. The one who becomes righteous will have to become unrighteous as well. If He goes high, then He will also go down. So, you children do have, don’t you? What? This wisdom. You keep on getting a lot of wisdom nicely. And day by day you keep on getting points. And there is only one point. Everyone keeps on telling Baba, Baba. Hm? Whomsoever you explain, whenever you explain. So, first with Baba, hm, Baba says this, Baba says that. You have understood, haven’t you? It is Bhagwaanuvach (God’s words). So, Baba is one, isn’t He? Grandfather is called Baba, isn’t he? How can a child be a grandfather?
This is Shiv Parmaatmaay namah, isn’t it? This Brahma, this Vishnu, Shankar, these are deities. They are [deities], aren’t they? So, God is above these three deities, isn’t He? Is God higher or are the deities higher? Arey, God is the one who transforms nar (man/human being) to Narayan. So, the maker is higher, isn’t He? Achcha. So, Shiv will be called Parmatma (Supreme Soul), will He not be? Hm? Everyone’s Father. Yes, it is correct that the inheritance will be received from the Father only. As regards omnipresence, one cannot get inheritance from anyone at all. So, from the Father; that Father will only have to see. What? Which Father? That Father will only have to see. And the inheritance of heaven that the Father gives, so, He is the one who establishes it, isn’t He? So, the one who establishes will give the inheritance of heaven only. So, look this inheritance of heaven is number one. So, you children have now come to know that this is received through studies. Earlier did anyone know that you get the inheritance of heaven through studies, through Yoga? Well, the ancient Yoga of Bhaarat(India) is very famous. Well, why will the ancient Yoga of Bhaarat not be famous through which human beings become pure from sinful? And they become this by becoming pure. What? The masters of heaven. So, His name, that is it, His name alone will be the biggest one, will it not be? So, that is, isn’t it? The easy Yogaand easy knowledge of ancient India. (Continued)
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नोटः यह केवल एक प्रारूप है। उक्त वीसीडी के संपूर्ण मूल पाठ या मूल आडियो, वीडियो के लिए www.adhyatmik-vidyalaya.com देखिये।
Note: This is just a draft. For the complete text, Audio and Video of the above VCD please visit – www.adhyatmik-vidyalaya.com
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2952, दिनांक 25.07.2019
VCD 2952, dated 25.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning class dated 01.12.1967
VCD-2952-Bilingual-Part-1
समय- 00.01-13.53
Time- 00.01-13.53
प्रातः क्लास चल रहा था 1.12.1967. शुक्रवार को छठे पेज के मध्यादि में बात चल रही थी – श्रेष्ठाचारी अक्षर बुद्धि में आने से हमको सतयुग याद पड़ता है। और ये याद पड़ते हैं जब पुण्यात्मा हैं। तभी भी याद पड़ते हैं। अब यहां इस दुनिया में पुण्यात्माएं कहा से आए? बाप आकरके बच्चों को सब बातें समझाते हैं तुम बच्चे यहां पतित हैं। भले ये सन्यासी पवित्र हैं परन्तु इनको कोई ये पुरुष ये श्रेष्ठाचारी थोड़ेही कहेंगे। क्यों नहीं कहेंगे? हँ? क्योंकि इनकी पैदाइश ही भ्रष्ट इन्द्रियों से होती है। जैसे सबकी होती है। तो श्रेष्ठाचारी कैसे हुए? देवताएं तो श्रेष्ठाचार से पैदा होते हैं। ज्ञानेन्द्रियां श्रेष्ठ हैं ना? तो श्रेष्ठ इन्द्रियों के आचरण से जन्म होता है। ये तो बाप ने समझाया ये तो जनम बाइ जनम सन्यास लेंगे, पुनर्जन्म लेंगे। अच्छा, बाबा के लिए कोई कहेंगे। ये बाबा तुम्हारा पुनर्जन्म लेंगे? कोई तो बतावे बाबा के लिए। कोई नहीं बताय सकेगा। कि बाप ने बताय दिया, अव्वल नंबर वाले का नाम बताय दिया। उससे अव्वल तो और कोई हो नहीं सकता दूसरा। हँ? उससे किसके लिए बोला? उससे माना दूर किया ना? सन्मुख भी नहीं। बाजू में भी नहीं।
श्री कृष्ण के पहले अव्वल तो कोई है ही नहीं। हँ? ब्रह्मा बाबा क्या समझेंगे? हाँ, ये तो बिल्कुल सही बात। श्री कृष्ण से पहले नंबर में अव्वल तो कोई और होता ही नहीं। और तुम बच्चों को बुद्धि में क्या आएगा? हँ? तो किसका नाम बताएंगे? किसका बताएंगे? हँ? (किसी ने कुछ कहा।) अरे, कृष्ण की बात हो रही है। कृष्ण से पहले तो अव्वल नंबर कोई होता ही नहीं। कृष्ण की बात हो रही है, नारायण को बताय रहे। (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, संगमयुगी कृष्ण। जब बाप आते हैं क्योंकि जो भी यादगार हैं, त्यौहार हैं, मन्दिर हैं; देवताओं के नाम देवी-देवियों के हैं वो कहां की यादगार हैं? संगमयुग की यादगार हैं ना? तो कृष्ण की बात हो रही है तो श्री कृष्ण जरूर संगमयुग में हुआ होगा।
तो बाप तो अव्वल नंबर में बताय रहे हैं कि श्री कृष्ण और फिर वो ही भूल निकालते हैं कि श्री कृष्ण भगवानुवाच। हँ? वो ही माने कौन? हँ? ये भूल को निकालते भी कौन हैं जो हुई है? बड़े ते बड़ी भूल हुई है जो गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया। वो ही कौन निकालते हैं भूल? हँ? अरे, वो श्री कृष्ण जो अव्वल नंबर बताया प्रैक्टिकल में पार्ट बजाने वाला है ना? हाँ। तो वो संगमयुगी श्री कृष्ण बच्चा ही बना रहेगा क्या? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ। तो भूल निकालते हैं कि श्री कृष्ण भगवानुवाच वो कैसे हो सकता है? बच्चा कैसे ज्ञान सुनाएगा? कैसे राजयोग सिखाएगा? क्योंकि ये भगवानुवाच। अरे, वो भगवान तो जनम-मरण रहित है ना? और वो तो एक ही है। बरोबर गाया ही ऐसे जाता है। कैसे? शिव परमात्माय नमः। हँ? शिव को परमात्माय कहें या परमपिता कहें? हँ? शिव निराकार ज्योति बिन्दु आत्मा को तो कहेंगे कि आत्माओं का बाप परमपिता। परन्तु नमन करने की बात जब आती है, हँ, तो कब? कब नमन? जब प्रवेश करे। तो जो परमात्म पार्टधारी है; परम माने बड़ा। बड़े ते बड़ा। कैसी आत्मा? ऊँच ते ऊँच सृष्टि रूपी रंगमंच पर पार्ट बजाने वाला हीरो पार्टधारी। तो उसमें प्रवेश करते हैं। इसलिए कहा जाता है शिव परमात्माय नमः। तो तुम बता तो सकते हो ना सबको। जबकि तुम ब्रह्मा को देवता कहते हो। और विष्णु को देवता कहते हो। शंकर को देवता कह देते हो। शंकर को देवताय नमः कहकरके फिर आखरीन शिव परमात्माय नमः कह देते हो।
फिर उस परमात्मा को फिर तुम ऐसे क्यों कहते हो कि परमात्मा सर्वव्यापी है? तभी ब्रह्मा में भी व्यापी है, सर्वव्यापी है; तभी ब्रह्मा के, हाँ, ब्रह्मा देवताय नमः क्यों कहते हो? हँ? ब्रह्मा में आता है। जैसे गीता में लिखा है ना मैं प्रवेष्टुम। मैं प्रवेश करने योग्य हूँ। तो ब्रह्मा में आता है तो वो ही हुआ ना सबसे श्रेष्ठ जो ब्रह्मा के अंदर आता है। और वो कोई देवता थोडेही है। वो देवता बनता है क्या? नहीं। न वो श्रेष्ठ बनता है, न भ्रष्ट बनता है। जो श्रेष्ठ बने उसको भ्रष्ट भी बनना पड़े। ऊँच जाएगा तो नीचे भी जाएगा। तो है ना तुम बच्चों के पास। क्या? ये समझ। अच्छी तरह से समझ मिलती रहती है बहुत। और दिन-प्रतिदिन प्वाइंट्स मिलते रहते हैं। और है एक ही प्वाइंट। सभी बाबा बाबा कहते हैं। हँ? किसको भी समझाओ, कभी भी समझाओ। तो पहले बाबा के पास, हँ, बाबा ये कहते हैं, बाबा वो कहते हैं। समझा ना? भगवानुवाच है। तो बाबा एक है ना? बाबा तो ग्रांडफादर को कहा जाता है ना? बच्चा कैसे ग्रांड फादर हो जावे?
ये है ना शिव परमात्माय नमः। ये ब्रह्मा, ये विष्णु, शंकर, ये देवताएं हैं। हैं ना? तो इन तीनों देवताओं से ऊपर तो भगवान हुआ ना? भगवान ऊँचा या देवताएं ऊँचे? अरे, भगवान तो है ही नर को नारायण बनाने वाला। तो जो बनाने वाला है तो ऊँचा हुआ ना? अच्छा। तो शिव को तो परमात्मा कहें ना? हँ? सबका बाप। हाँ, ये तो है कि वर्सा तो बाप से ही मिलेगा। सर्वव्यापी तो कोई, कोई से वर्सा तो मिल ही नहीं सकता। तो बाप से तो वो बाप को ही देखना पड़े। क्या? कौनसे बाप को? वो बाप को ही देखना पड़े। और बाप वर्सा जो देते हैं स्वरग का, तो स्थापन करने वाला है ना? तो जो स्थापन करते हैं स्वर्ग का वर्सा ही देंगे। तो ये स्वरग का वर्सा देखो नंबरवन। तो तुम बच्चों को अभी मालूम हुआ कि ये पढ़ाई से मिलता है। आगे कभी किसी को पता था कि पढाई से, योग से, हँ, ये स्वर्ग का वर्सा मिलता है? अभी प्राचीन योग तो बहुत मशहूर है भारत का। अभी प्राचीन भारत का योग क्यों नहीं मशहूर होगा जिससे मनुष्य पतित से पावन बनें? और पावन बनके ये बनें। क्या? विश्व के मालिक। तो उनका नाम, बस उनका ही तो नाम होगा ना बड़े ते बड़ा? तो वो हुआ ना? प्राचीन भारत का सहज योग और सहज ज्ञान। (क्रमशः)
A morning class dated 1.12.1967 was being narrated. The topic being discussed in the beginning of the middle portion of the sixth page on Friday was – When the word ‘shreshthachari’ (righteous) comes to our intellect, then we remember the Golden Age. And you remember this when you are noble souls (punyatma). Only then do you remember. Well, here in this world where will the noble souls emerge from? The Father comes and explains all the topics to the children that you children are sinful here. Although these sanyasis are pure, but will these men be called righteous? Why will they not be called? Hm? It is because their birth itself takes place through the unrighteous organs. Just as all are born. So, how can they be righteous? Deities are born through righteousness. The sense organs are righteous, aren’t they? So, they are born through the acts of the righteous organs. The Father has explained that these will take sanyas (i.e. renounce the household) birth by birth and get rebirth. Achcha, someone may say for Baba. Will your Baba get rebirth? Someone should tell about Baba. Nobody will be able to tell. That the Father has revealed; He has revealed the name of the number one. Nobody else can be numberone when compared to him. Hm? For whom was ‘him’ (us se) said? ‘Us se’ means that he was made distant, wasn’t he? Not even face to face. Not even beside.
Nobody is number one before Shri Krishna at all. Hm? What will Brahma Baba think? Yes, this is absolutely correct topic. Nobody else is number one before Shri Krishna at all. And what will come to the intellect of you children? Hm? So, whose name will you tell? Whose will you tell? Hm? (Someone said something.) Arey, the topic of Krishna is being discussed. Nobody is number one before Krishna at all. The topic of Krishna is being discussed, Narayan is being mentioned. (Someone said something.) Yes, Confluence-Age Krishna. When the Father comes, because whatever memorials are there, whatever festivals, temples are there, whatever names of female or male deities are there, they are memorials of which time? They are memorials of the Confluence Age, aren’t they? So, the topic of Krishna is being discussed. So, Shri Krishna must definitely have existed in the Confluence Age.
So, the Father is telling about the number one that Shri Krishna and then the same mistake emerges that Shri Krishna Bhagwanuvaach (God Shri Krishna speaks). Hm? ‘The same’ refers to whom? Hm? Who makes this mistake which has been committed to emerge? The biggest mistake that has been committed is that the name of Krishna has been inserted in the Gita. Who is ‘the same’ who makes the mistake to emerge? Hm? Arey, the same Krishna who was mentioned to be number one in playing the part in practical, isn’t he? Yes. So, will that Confluence Age Shri Krishna remain a child only? (Someone said something.) Yes. So, the mistake is made to emerge that how can it be ‘God Shri Krishna speaks’? How will a child narrate knowledge? How will he teach rajyog? It is because this Bhagwaanuvaach. Arey, that God is beyond birth and death, isn’t He? And He is only one. It is rightly sung like this only. How? Shiv Parmaatmaay namah. Hm? Should Shiv be called Paramaatmaay (Supreme Soul) or Parampita (Supreme Father)? The incorporeal point of light Shiv soul will be called the Father of souls, the Supreme Father. But when the topic of bowing comes, so, when? When do you bow? It is when He enters. So, the Supreme actor; Supreme means big. The biggest one. What kind of a soul? The hero actor, who plays the highest on high part on the world stage. So, He enters in him. This is why it is said – Shiv Parmaatmaay namah. So, you can tell everyone, can’t you? When you call Brahma as a deity; And you call Vishnu as a deity. You call Shankar a deity. You call Shankar as ‘Devtaay namah’ (I bow to the deity) and then ultimately you say ‘Shiv Parmaatmaay namah’ (I bow to Shiv, the Supreme Soul).
Then why do you say for that Supreme Soul that the Supreme Soul is omnipresent? That is why He is present in Brahma also, He is omnipresent; That is why Brahma, yes, why do you say Brahma Devataay Namah (I bow to Brahma, the deity)? Hm? He comes in Brahma. For example, it is written in the Gita, hasn’t it been that I enter Praveshtum? I am capable of entering. So, when He comes in Brahma then He Himself is the most righteous one who comes in Brahma. And He is not a deity. Does He become a deity? No. Neither does He become righteous nor does He become unrighteous. The one who becomes righteous will have to become unrighteous as well. If He goes high, then He will also go down. So, you children do have, don’t you? What? This wisdom. You keep on getting a lot of wisdom nicely. And day by day you keep on getting points. And there is only one point. Everyone keeps on telling Baba, Baba. Hm? Whomsoever you explain, whenever you explain. So, first with Baba, hm, Baba says this, Baba says that. You have understood, haven’t you? It is Bhagwaanuvach (God’s words). So, Baba is one, isn’t He? Grandfather is called Baba, isn’t he? How can a child be a grandfather?
This is Shiv Parmaatmaay namah, isn’t it? This Brahma, this Vishnu, Shankar, these are deities. They are [deities], aren’t they? So, God is above these three deities, isn’t He? Is God higher or are the deities higher? Arey, God is the one who transforms nar (man/human being) to Narayan. So, the maker is higher, isn’t He? Achcha. So, Shiv will be called Parmatma (Supreme Soul), will He not be? Hm? Everyone’s Father. Yes, it is correct that the inheritance will be received from the Father only. As regards omnipresence, one cannot get inheritance from anyone at all. So, from the Father; that Father will only have to see. What? Which Father? That Father will only have to see. And the inheritance of heaven that the Father gives, so, He is the one who establishes it, isn’t He? So, the one who establishes will give the inheritance of heaven only. So, look this inheritance of heaven is number one. So, you children have now come to know that this is received through studies. Earlier did anyone know that you get the inheritance of heaven through studies, through Yoga? Well, the ancient Yoga of Bhaarat(India) is very famous. Well, why will the ancient Yoga of Bhaarat not be famous through which human beings become pure from sinful? And they become this by becoming pure. What? The masters of heaven. So, His name, that is it, His name alone will be the biggest one, will it not be? So, that is, isn’t it? The easy Yogaand easy knowledge of ancient India. (Continued)
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- arjun
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Re: Extracts of PBK Murlis - as narrated to the PBKs
शिवबाबा की मुरली
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2952, दिनांक 25.07.2019
VCD 2952, dated 25.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning class dated 01.12.1967
VCD-2952-Bilingual-Part-2
समय- 13.54-33.14
Time- 13.54-33.14
तो अभी बच्चे समझते हैं ना? बहुत समझ है बिल्कुल ही। है तो सहज। ज्ञान तो सहज है। बाकि योग है। कहने में बहुत सहज आते हैं। और यूं तो सहज ही कहें। क्योंकि इस एक ही जनम में जो बच्चों को अपनी प्राप्ति करनी है तो एक ही जनम में हो जाती है। भक्तिमार्ग में तो देखो कितने जन्म-जन्मान्तर बीत गए। हँ? तो भक्तिमार्ग में जो ज्ञान चलता है वो कठिन या ये कठिन? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, वो कठिन हो गया। ये एक ही जन्म में प्राप्ति होती है। हँ? तो फिर इसे, हाँ, सहज क्यों नहीं कहेंगे? वो भक्ति में जनम बाई जनम भक्तिमार्ग की, हँ, ठोकरें खाई और अभी भी खाते रहते हैं। और मिलता तो कुछ भी नहीं है। तो ये तो एक ही जनम में मिल सकता है ना? तो इसलिए उनको सहज तो कहेंगे। फिर सहज भी कहकरके फिर बोलते हैं, हँ, कितना सहज? एक सेकण्ड में जीवनमुक्ति।
ये सेकण्ड का भी तो हिसाब चाहिए ना बच्ची? नहीं तो तुम बच्चों को क्या मालूम, हँ, कि एक सेकण्ड में बस बच्चा बाहर आया और पता चल गया ये मेल है या फीमेल है? ये वारिस बनेगा। कौन? मेल कि फीमेल? मेल वारिस बनेगा। समझे ना? ऐसे होता है ना? जब बाप का ये वारिस बच्चा पैदा हुआ। अब होते तो हैं ठीक। अरे, अभी थोड़ी भी तुम ठहरो। तो ये वो ऐसे बनाएंगे औजार जो अंदर से बच्चा है या बच्ची है ये भी बताय देंगे। समझे? तो ऐसे औजार बनाएंगे। हँ? सडसठ में तो ऐसी बात नहीं थी, हँ, कि डॉक्टर लोग बताय सकें कि बच्चा पैदा होगा या बच्ची पैदा होगी? बाबा ने भविष्य की बात बताय दी कि ऐसे ये औजार बनाएंगे। हाँ। परन्तु न बनाय सकें क्योंकि अभी तो साइंस में ही लगे हैं ना? दूसरे धंधे में लगे हैं। इस धंधे में नहीं लगे हैं। नहीं तो धंधा तो ये होना चाहिए। क्या? कि बच्चा है या बच्ची है? हाँ। ऐसा इम्तेहान कोई पास करे। तो हम बताय सकते हैं। तो साहूकार क्या करें? भई हमको बताओ। हाँ, बताऊंगा, तुमको 50000 रुपया चार्ज करूंगा। तो हम बताय देऊंगा। और एक्यूरेट बताऊंगा। समझा ना? कभी भी भूल नहीं होगी क्योंकि औजारों से देख लेते हैं सब कुछ। देखो, आजकल क्या नहीं देख सकते हैं? कितना वंडर है इस सर्जरी में! तो जैसे सब बातों में वंडर ही वंडर है। ये बत्तियां, ये प्लेन्स, ये साइंस का है। है ना बच्चे? तो ये साइंस का वंडर वरी फिर देखो कैसा है? देखने में कुछ भी नहीं आता है। और वो तो देखने में आता है ना अरे, अरे, प्लेन आया। यहां कुछ कोई गया, कोई कहां गया, कुछ भी नहीं। कोई गया क्या? कुछ भी नहीं।
देखो, शांत करके तुम यहां बैठे हो। उठते हो, जाते हो, नौकरी करते हो, धंधा करते हो, सब कुछ करते हो। तो कम कार डे। बाबा कहते हैं ना कर्मेन्द्रियों से कर्म करो। वहां तक जो कुछ कर्म करते रहते हो करो। कम कार डे और आत्मा की दिल यार डे अपने आशिक के लिए। तो अभी ये कोई नई बात थोड़ेही है। हँ? ये आशिक माशूक तो गाए गए हैं ना? तो बहुत तो नहीं गाए हुए हैं ना? मैं तो समझता हूँ 10, 15, 20 होगा जो मालूम होगा। 50 हो। तो देखो, ये भी कितने हैं और कितने होते हैं पास विद आनर। देखो, पहले से कह देते हैं। कितने? आठ। तो ये आठ तो बिल्कुल ही पास विद आनर होते हैं? हँ? तो उसमें भी इतने ही थोड़े होंगे। वो वरी फिर ऐसे होते हैं। क्योंकि वहां नई दुनिया में विकार तो हैं नहीं। तो उनकी निंदा भी नहीं होती है। नहीं, नहीं। वो बस शिकल के ऊपर। इस दुनिया में शिकल के ऊपर आशिक-माशूक होते हैं। होते हैं ना? वो कोई ऐसे नहीं है कि सुहैनी या वो होते हैं। नहीं। बाकि दिल लग जाती है। समझा ना? पीछे एक दो को देखने के बिगर रह नहीं सकते हैं। घड़ी-घड़ी तलफ होती रहती है। क्या? इनको देखूं। इनसे बात करूं। तो उन लोग को तो योग होते हैं। बैठते हैं। हँ? रोटी पर बैठेंगे तभी भी याद आ जाएगा। सामने आकरके खड़ा हो जाएगा। तो फिर उनको देखते भी रहेंगे। रोटी भी खाते रहेंगे। समझा? हो सकते हैं कि तुम्हारा भी ऐसी अवस्था बन जावे पिछाड़ी में। नहीं तो अभी तो क्या होता है? हँ? खाने बैठते तो भी याद नहीं आता। सारा खाना खा जाते फिर भी याद नहीं आता। कभी-कभी याद आ जाता है।
तो बाबा कहते हैं पिछाड़ी में तुम्हारी अवस्था हो जावेगी जैसे वो माशूक आशूक होते हैं। हैं ना? पर ऐसे ही जैसे थोड़े गाए जाते हैं। क्या? बहुत थोड़े। हां। अरे, वो हो सकते हैं। तुमको सामने हो सकते हैं। वो जो छोटा साक्षात्कार तो होते हैं ना बच्चे? जबकि आत्मा का साक्षात्कार होते हैं। तो परमात्मा का भी होता है। आत्मा का तो होता है। वो तो बाबा ने समझाया था कि वो जो रामकृष्ण परमहंस उनका वो जो चेला था विवेकानंद, वो बैठा हुआ था। उसके उसमें लिखा हुआ है उसकी वॉल्यूम में। अब बाबा तो पढ़े हुए हैं सब। तो वो भी है। और बाबा को भी अनुभव है। तो आत्माएं बहुत देखने में आती हैं। और एक सेकण्ड जो लगता है ऐसे-ऐसे ही, हँ, भले आँखें खुली हुई हों, तो भी एक सेकण्ड में देख लेते हैं। देख लेते हैं और गुम हो जाती है। और कुछ नहीं। तो वो तो हम जानते हैं कि आत्मा वो है। अभी देखा तो क्या हुआ? अब ये तो सिवाय पढ़ाई के, योग के तो कोई दर्जा तो मिल ही नहीं सकता ना? देखने से कोई फायदा होता ही नहीं बच्चे। देखते हैं कि देखो ये भी तो देखते हो ना भई? अभी तो तुमको प्रैक्टिकल में बनना है ना? कि सिर्फ देखना है?
ऐसे और ही विचित्र जो हैं ना ये बच्चे भूल करते हैं एक। क्योंकि चित्र जब बनाते हैं लक्ष्मी-नारायण का तो भई वो एक ही फीचर वाला चित्र चलाना चाहिए। बार-बार फीचर्स बदलने क्यों चाहिए? कभी भी फर्क नहीं बनाना चाहिए। अगर कृष्ण का भी बनाते हैं तो फिर एक ही कृष्ण का चित्र चलना चाहिए। हँ? फीचर्स एक ही चलना चाहिए। कभी बदली नहीं करना होगा। नहीं तो वो बोलेगा इनके कृष्ण भी तो बहुत ही बहुत देखने में आते हैं। भले बहुत हैं। ऐसे नहीं कि फीचर्स बहुत नहीं हैं। किसके? श्री कृष्ण के फीचर्स बहुत हैं। क्यों हैं बहुत? हँ? क्योंकि कम, कम कलाओं वाले कृष्ण बच्चे पैदा होते रहते हैं ना? बड़े होते हैं तो फिर वो नारायण कहे जाते हैं, टाइटल मिल जाता है। बाकि कम कलाओं वाले जो होते हैं वो दूसरे धर्म में कन्वर्ट हो जाते हैं। परन्तु नहीं। हम जो बैठकरके ये चित्र पहले वो तो पहले का ही बनाते हैं। क्यों? क्योंकि हमारा तो एम-आब्जेक्ट पहले नंबर की पीढ़ी में जाने का है कि बाद वाली पीढ़ी में?
तो चित्र जो बनाने होते हैं ना तो वो फीचर्स एक जैसा होना चाहिए। सबकी शिकल एक जैसी बनानी चाहिए। सबकी माने? हँ? जो भी चित्रों में श्री कृष्ण या नारायण का फीचर बनाएं उन सबका एक ही चित्र बने। नहीं तो कोई वक्त में डोरापा देंगे। जरूर डुरापा देंगे - ये क्या? तुम्हारा वहां जब बनते हैं कृष्ण सो भी क्या भिन्न-भिन्न रूप थोड़ेही होते हैं? तुम्हारा तो जरूर एक ही होगा। तुम बनाते हो यहां। कैसे बनाते हो? तो टेढ़ा बनाते हो या मुरली देते हो या क्या करते हो? या शिकल गोरी देते हो या पतली देते हो। ये सब क्या करते हो? तो ये भी तो ज्ञान की बातें हैं ना? ये सारी समझ की बातें हैं। तो फीचर्स तो पहले-पहले नंबर का जो हम रखते हैं; हँ? क्यों रखते हैं? हँ? कि हमको तो पहली पीढ़ी में ही जाना है ना? हाँ। तो रखते हैं। तो भई, ये बाबा भी तो पहला नंबर बनेगा? जो बाबा का पहला नंबर का जो तुम फीचर्स बनाते हो, सभी एक तो बनाओ ना? तुम फर्क, फर्क क्यों बनाते हो? हँ? सतयुग में भी जो कृष्ण पैदा होगा पहले जनम में वो एक ही फीचर होंगे या गिरगिट की तरह रंग बदलता रहेगा? हाँ। तो देखो बाबा क्यों समझाते हैं? कि वो सुनते तो रहते हैं कि फीचर्स भई एक ही दफा फोटो मिला। बस उसी के ऊपर ये विष्णु का भी बनना है। नारायण का भी बनना है। बड़ा होते हैं तो फीचर्स भी तो चलाना चाहिए ना? परन्तु यहां तो देखो भिन्न-भिन्न बनाय देते हैं। ओमशान्ति। (समाप्त)
So, now the children understand, don’t they? They have a lot of understanding really. It is indeed easy. The knowledge is easy. But there is Yoga. It is said to be very easy. And in a way it will be called easy only. It is because the attainments that children have to achieve in the same birth, it is achieved in a single birth only. Look, on the path of Bhakti so many births have passed. Hm? So, is the knowledge that is narrated on the path of Bhakti difficult or is this one difficult? (Someone said something.) Yes, that is difficult. This attainment is achieved in a single birth. Hm? So, then this one, yes, why will it not be called easy? You stumbled on the path of Bhakti birth by birth in Bhakti and even now you keep on stumbling. And you don’t get anything. So, this you can get in a single birth, can’t you? So, this is why it will be called easy. Then, even after calling it easy, then you say, hm, how easy? Jeevanmukti (liberation in life) in a second.
Daughter, a calculation of this second is also required, isn’t it? Otherwise, what do you children know that a child came out in just a second and you got to know if it is a male or a female? This one will become an inheritor. Who? Male or female? Male will become an inheritor. You have understood, haven’t you? It happens like this, doesn’t it? It is when this inheritor child of the Father was born. Well, it is correct. Arey, you just wait a little. So, they will make such instruments that they will also tell if there is a son or a daughter inside. Did you understand? So, they will make such instruments. Hm? There was no such thing in sixty seven that the doctors could reveal whether a son will be born or a daughter will be born. Baba revealed a topic of the future that they will make such instruments. Yes. But they cannot make because they are now busy in science only, aren’t they? They are engaged in another business. They are not engaged in this business. Otherwise, the business should be this. What? That if it is a son or a daughter. Yes. Someone should pass such an examination. So, we can tell. So, what should the rich do? Brother, tell us. Yes, I will tell; I will chargeRs.50,000 from you. So, I will tell. And I will reveal in an accurate way. You have understood, haven’t you? They will never commit a mistake because they see everything through instruments. Look, what can’t they see now-a-days? There is so much wonder in this surgery! So, there is just wonder and only wonder in all the topics. These lights, these planes, this is of science. It is, isn’t it son? So, then look how this wonder of science is! Nothing is visible. And that is visible, isn’t it? Arey, arey, a plane arrived. Here something, someone went, someone went somewhere, nothing. Did anyone go? Nothing.
Look, you are sitting here calmly. You get up, you go, you work, you do business, you do everything. So, work through your hands. Baba says, doesn’t He that perform actions through the organs of action. Until then, whatever actions you perform, keep on performing. Let the hands do the work and the soul’s heart be with the friend, for your lover. So, now this is not a new topic. Hm? This lover and beloved are praised, aren’t they? So, many are not praised, are they? I think 10, 15, 20 must be there who are known. It could be 50. So, look, these are also so many and how many pass with honour? Look, it is told beforehand. How many? Eight. So, these eight pass with honour completely. Hm? So, even among them, there will be these many only. They then are like this. It is because there is no vice there in the new world. So, they are not defamed as well. No, no. They just look at the face. In this world people become lover and beloved just on the basis of the face. They do become, don’t they? It is not as if they are beautiful or that. No. They lose their hearts [to each other]. You have understood, haven’t you? Later they cannot live without seeing each other. They long [to meet or see] every moment. What? I should see him/her. I should talk to him/her. So, those people have Yoga. They sit. Hm? Even when they sit to eat roti, he/she will come to the mind. He/she will come and stand in front of them. So, then they will also keep on looking at them. They will also keep on eating roti. Did you understand? It is possible that you also develop such a stage in the end. Otherwise, what happens now? Hm? Even when you sit to eat, you don’t get the thoughts [of Baba]. You eat the entire meals, even then you don’t remember [Him]. Sometimes you remember.
So, Baba says that later your stage will become like those lovers and beloveds. Is it not? But very few are praised. What? Very few. Yes. Arey, that can be possible. He can come in front of you. Children, you have small visions, don’t you? You have visions of the soul. So, you have [vision] of the Supreme Soul as well. You indeed have that of the soul. Baba had explained that Ramkrishna Paramhansa’s disciple Vivekananda was sitting. It is written in his Volume. Well, Baba has read everything. So, that is also there. And Baba also has an experience. So, many souls are visible. And it takes just a second, just like this, hm, although the eyes are open, yet they see in a second. They see and vanish. Nothing else. So, we know that it is a soul. Well, what happened if you saw? Well, you cannot get any position without studies, without Yoga at all; can you? Children, there is no benefit in just seeing. It is observed that look, brother you see this also, don’t you? Now you have to become in practical, will you not? Or do you have to just see?
Similarly, children commit one of the much more stranger mistakes, don’t they? It is because when the pictures of Lakshmi-Narayan are prepared, then brother, the picture with same feature should be used. Why should you change the features again and again? You should never make changes. Even if you make [picture] of Krishna, then the same picture of Krishna should be used. Hm? The same features should be used. It should never be changed. Otherwise, they will say that their Krishnas are also seen to be numerous. Although they are many. It is not as if the features are not many. Whose? There are many features of Krishna. Why are they many? It is because child Krishnas with fewer, fewer celestial degrees keep on getting birth, don’t they? When they grow up, then they are called Narayans; they get the title. As regards those who have fewer celestial degrees convert to other religions. But no. We sit and first prepare this picture of the first one only. Why? It is because is our aim-object to go into the number one generation or to the latter generations?
So, the pictures that you have to prepare, their features should be similar. The faces of all should be similar. What is meant by ‘everyone’? Hm? In whichever picture you prepare the features of Shri Krishna or Narayan, their pictures should be similar. Otherwise, they will complain any time. They will definitely complain – What is this? When your Krishna becomes [Krishna] there, then does he have different forms? Yours will be definitely one only. You make here. How do you make? So, do you make him inclined or do you give him a Murli or what do you do? Either you give him a fair face or a slim one. What is all this that you do? So, these are also topics of knowledge, aren’t they? All these are topics to be understood. So, the features of the number one that we keep; Hm? Why do we keep? Hm? We have to go to the first generation only, don’t we have to? Yes. So, you keep. So, brother, this Baba will also become number one, will he not? The features of the number one of Baba that you make, you should make all of them similar, will you not? Why do you create changes? Hm? The Krishna who will be born in the Golden Age in the first birth, will he have same features or will he keep on changing colours like a chameleon? Yes. So, look, why does Baba explain? He keeps on listening that brother, you got the photo of the features only once. That is it; Vishnu’s [photo] also should be produced based on that only. Narayan’s [photo] is also to be prepared. When they grow up, then the features should also continue, shouldn’t they? But here, look, they make varieties. Om Shanti. (End)
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नोटः यह केवल एक प्रारूप है। उक्त वीसीडी के संपूर्ण मूल पाठ या मूल आडियो, वीडियो के लिए www.adhyatmik-vidyalaya.com देखिये।Note: This is just a draft. For the complete text, Audio and Video of the above VCD please visit – www.adhyatmik-vidyalaya.com
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2952, दिनांक 25.07.2019
VCD 2952, dated 25.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning class dated 01.12.1967
VCD-2952-Bilingual-Part-2
समय- 13.54-33.14
Time- 13.54-33.14
तो अभी बच्चे समझते हैं ना? बहुत समझ है बिल्कुल ही। है तो सहज। ज्ञान तो सहज है। बाकि योग है। कहने में बहुत सहज आते हैं। और यूं तो सहज ही कहें। क्योंकि इस एक ही जनम में जो बच्चों को अपनी प्राप्ति करनी है तो एक ही जनम में हो जाती है। भक्तिमार्ग में तो देखो कितने जन्म-जन्मान्तर बीत गए। हँ? तो भक्तिमार्ग में जो ज्ञान चलता है वो कठिन या ये कठिन? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, वो कठिन हो गया। ये एक ही जन्म में प्राप्ति होती है। हँ? तो फिर इसे, हाँ, सहज क्यों नहीं कहेंगे? वो भक्ति में जनम बाई जनम भक्तिमार्ग की, हँ, ठोकरें खाई और अभी भी खाते रहते हैं। और मिलता तो कुछ भी नहीं है। तो ये तो एक ही जनम में मिल सकता है ना? तो इसलिए उनको सहज तो कहेंगे। फिर सहज भी कहकरके फिर बोलते हैं, हँ, कितना सहज? एक सेकण्ड में जीवनमुक्ति।
ये सेकण्ड का भी तो हिसाब चाहिए ना बच्ची? नहीं तो तुम बच्चों को क्या मालूम, हँ, कि एक सेकण्ड में बस बच्चा बाहर आया और पता चल गया ये मेल है या फीमेल है? ये वारिस बनेगा। कौन? मेल कि फीमेल? मेल वारिस बनेगा। समझे ना? ऐसे होता है ना? जब बाप का ये वारिस बच्चा पैदा हुआ। अब होते तो हैं ठीक। अरे, अभी थोड़ी भी तुम ठहरो। तो ये वो ऐसे बनाएंगे औजार जो अंदर से बच्चा है या बच्ची है ये भी बताय देंगे। समझे? तो ऐसे औजार बनाएंगे। हँ? सडसठ में तो ऐसी बात नहीं थी, हँ, कि डॉक्टर लोग बताय सकें कि बच्चा पैदा होगा या बच्ची पैदा होगी? बाबा ने भविष्य की बात बताय दी कि ऐसे ये औजार बनाएंगे। हाँ। परन्तु न बनाय सकें क्योंकि अभी तो साइंस में ही लगे हैं ना? दूसरे धंधे में लगे हैं। इस धंधे में नहीं लगे हैं। नहीं तो धंधा तो ये होना चाहिए। क्या? कि बच्चा है या बच्ची है? हाँ। ऐसा इम्तेहान कोई पास करे। तो हम बताय सकते हैं। तो साहूकार क्या करें? भई हमको बताओ। हाँ, बताऊंगा, तुमको 50000 रुपया चार्ज करूंगा। तो हम बताय देऊंगा। और एक्यूरेट बताऊंगा। समझा ना? कभी भी भूल नहीं होगी क्योंकि औजारों से देख लेते हैं सब कुछ। देखो, आजकल क्या नहीं देख सकते हैं? कितना वंडर है इस सर्जरी में! तो जैसे सब बातों में वंडर ही वंडर है। ये बत्तियां, ये प्लेन्स, ये साइंस का है। है ना बच्चे? तो ये साइंस का वंडर वरी फिर देखो कैसा है? देखने में कुछ भी नहीं आता है। और वो तो देखने में आता है ना अरे, अरे, प्लेन आया। यहां कुछ कोई गया, कोई कहां गया, कुछ भी नहीं। कोई गया क्या? कुछ भी नहीं।
देखो, शांत करके तुम यहां बैठे हो। उठते हो, जाते हो, नौकरी करते हो, धंधा करते हो, सब कुछ करते हो। तो कम कार डे। बाबा कहते हैं ना कर्मेन्द्रियों से कर्म करो। वहां तक जो कुछ कर्म करते रहते हो करो। कम कार डे और आत्मा की दिल यार डे अपने आशिक के लिए। तो अभी ये कोई नई बात थोड़ेही है। हँ? ये आशिक माशूक तो गाए गए हैं ना? तो बहुत तो नहीं गाए हुए हैं ना? मैं तो समझता हूँ 10, 15, 20 होगा जो मालूम होगा। 50 हो। तो देखो, ये भी कितने हैं और कितने होते हैं पास विद आनर। देखो, पहले से कह देते हैं। कितने? आठ। तो ये आठ तो बिल्कुल ही पास विद आनर होते हैं? हँ? तो उसमें भी इतने ही थोड़े होंगे। वो वरी फिर ऐसे होते हैं। क्योंकि वहां नई दुनिया में विकार तो हैं नहीं। तो उनकी निंदा भी नहीं होती है। नहीं, नहीं। वो बस शिकल के ऊपर। इस दुनिया में शिकल के ऊपर आशिक-माशूक होते हैं। होते हैं ना? वो कोई ऐसे नहीं है कि सुहैनी या वो होते हैं। नहीं। बाकि दिल लग जाती है। समझा ना? पीछे एक दो को देखने के बिगर रह नहीं सकते हैं। घड़ी-घड़ी तलफ होती रहती है। क्या? इनको देखूं। इनसे बात करूं। तो उन लोग को तो योग होते हैं। बैठते हैं। हँ? रोटी पर बैठेंगे तभी भी याद आ जाएगा। सामने आकरके खड़ा हो जाएगा। तो फिर उनको देखते भी रहेंगे। रोटी भी खाते रहेंगे। समझा? हो सकते हैं कि तुम्हारा भी ऐसी अवस्था बन जावे पिछाड़ी में। नहीं तो अभी तो क्या होता है? हँ? खाने बैठते तो भी याद नहीं आता। सारा खाना खा जाते फिर भी याद नहीं आता। कभी-कभी याद आ जाता है।
तो बाबा कहते हैं पिछाड़ी में तुम्हारी अवस्था हो जावेगी जैसे वो माशूक आशूक होते हैं। हैं ना? पर ऐसे ही जैसे थोड़े गाए जाते हैं। क्या? बहुत थोड़े। हां। अरे, वो हो सकते हैं। तुमको सामने हो सकते हैं। वो जो छोटा साक्षात्कार तो होते हैं ना बच्चे? जबकि आत्मा का साक्षात्कार होते हैं। तो परमात्मा का भी होता है। आत्मा का तो होता है। वो तो बाबा ने समझाया था कि वो जो रामकृष्ण परमहंस उनका वो जो चेला था विवेकानंद, वो बैठा हुआ था। उसके उसमें लिखा हुआ है उसकी वॉल्यूम में। अब बाबा तो पढ़े हुए हैं सब। तो वो भी है। और बाबा को भी अनुभव है। तो आत्माएं बहुत देखने में आती हैं। और एक सेकण्ड जो लगता है ऐसे-ऐसे ही, हँ, भले आँखें खुली हुई हों, तो भी एक सेकण्ड में देख लेते हैं। देख लेते हैं और गुम हो जाती है। और कुछ नहीं। तो वो तो हम जानते हैं कि आत्मा वो है। अभी देखा तो क्या हुआ? अब ये तो सिवाय पढ़ाई के, योग के तो कोई दर्जा तो मिल ही नहीं सकता ना? देखने से कोई फायदा होता ही नहीं बच्चे। देखते हैं कि देखो ये भी तो देखते हो ना भई? अभी तो तुमको प्रैक्टिकल में बनना है ना? कि सिर्फ देखना है?
ऐसे और ही विचित्र जो हैं ना ये बच्चे भूल करते हैं एक। क्योंकि चित्र जब बनाते हैं लक्ष्मी-नारायण का तो भई वो एक ही फीचर वाला चित्र चलाना चाहिए। बार-बार फीचर्स बदलने क्यों चाहिए? कभी भी फर्क नहीं बनाना चाहिए। अगर कृष्ण का भी बनाते हैं तो फिर एक ही कृष्ण का चित्र चलना चाहिए। हँ? फीचर्स एक ही चलना चाहिए। कभी बदली नहीं करना होगा। नहीं तो वो बोलेगा इनके कृष्ण भी तो बहुत ही बहुत देखने में आते हैं। भले बहुत हैं। ऐसे नहीं कि फीचर्स बहुत नहीं हैं। किसके? श्री कृष्ण के फीचर्स बहुत हैं। क्यों हैं बहुत? हँ? क्योंकि कम, कम कलाओं वाले कृष्ण बच्चे पैदा होते रहते हैं ना? बड़े होते हैं तो फिर वो नारायण कहे जाते हैं, टाइटल मिल जाता है। बाकि कम कलाओं वाले जो होते हैं वो दूसरे धर्म में कन्वर्ट हो जाते हैं। परन्तु नहीं। हम जो बैठकरके ये चित्र पहले वो तो पहले का ही बनाते हैं। क्यों? क्योंकि हमारा तो एम-आब्जेक्ट पहले नंबर की पीढ़ी में जाने का है कि बाद वाली पीढ़ी में?
तो चित्र जो बनाने होते हैं ना तो वो फीचर्स एक जैसा होना चाहिए। सबकी शिकल एक जैसी बनानी चाहिए। सबकी माने? हँ? जो भी चित्रों में श्री कृष्ण या नारायण का फीचर बनाएं उन सबका एक ही चित्र बने। नहीं तो कोई वक्त में डोरापा देंगे। जरूर डुरापा देंगे - ये क्या? तुम्हारा वहां जब बनते हैं कृष्ण सो भी क्या भिन्न-भिन्न रूप थोड़ेही होते हैं? तुम्हारा तो जरूर एक ही होगा। तुम बनाते हो यहां। कैसे बनाते हो? तो टेढ़ा बनाते हो या मुरली देते हो या क्या करते हो? या शिकल गोरी देते हो या पतली देते हो। ये सब क्या करते हो? तो ये भी तो ज्ञान की बातें हैं ना? ये सारी समझ की बातें हैं। तो फीचर्स तो पहले-पहले नंबर का जो हम रखते हैं; हँ? क्यों रखते हैं? हँ? कि हमको तो पहली पीढ़ी में ही जाना है ना? हाँ। तो रखते हैं। तो भई, ये बाबा भी तो पहला नंबर बनेगा? जो बाबा का पहला नंबर का जो तुम फीचर्स बनाते हो, सभी एक तो बनाओ ना? तुम फर्क, फर्क क्यों बनाते हो? हँ? सतयुग में भी जो कृष्ण पैदा होगा पहले जनम में वो एक ही फीचर होंगे या गिरगिट की तरह रंग बदलता रहेगा? हाँ। तो देखो बाबा क्यों समझाते हैं? कि वो सुनते तो रहते हैं कि फीचर्स भई एक ही दफा फोटो मिला। बस उसी के ऊपर ये विष्णु का भी बनना है। नारायण का भी बनना है। बड़ा होते हैं तो फीचर्स भी तो चलाना चाहिए ना? परन्तु यहां तो देखो भिन्न-भिन्न बनाय देते हैं। ओमशान्ति। (समाप्त)
So, now the children understand, don’t they? They have a lot of understanding really. It is indeed easy. The knowledge is easy. But there is Yoga. It is said to be very easy. And in a way it will be called easy only. It is because the attainments that children have to achieve in the same birth, it is achieved in a single birth only. Look, on the path of Bhakti so many births have passed. Hm? So, is the knowledge that is narrated on the path of Bhakti difficult or is this one difficult? (Someone said something.) Yes, that is difficult. This attainment is achieved in a single birth. Hm? So, then this one, yes, why will it not be called easy? You stumbled on the path of Bhakti birth by birth in Bhakti and even now you keep on stumbling. And you don’t get anything. So, this you can get in a single birth, can’t you? So, this is why it will be called easy. Then, even after calling it easy, then you say, hm, how easy? Jeevanmukti (liberation in life) in a second.
Daughter, a calculation of this second is also required, isn’t it? Otherwise, what do you children know that a child came out in just a second and you got to know if it is a male or a female? This one will become an inheritor. Who? Male or female? Male will become an inheritor. You have understood, haven’t you? It happens like this, doesn’t it? It is when this inheritor child of the Father was born. Well, it is correct. Arey, you just wait a little. So, they will make such instruments that they will also tell if there is a son or a daughter inside. Did you understand? So, they will make such instruments. Hm? There was no such thing in sixty seven that the doctors could reveal whether a son will be born or a daughter will be born. Baba revealed a topic of the future that they will make such instruments. Yes. But they cannot make because they are now busy in science only, aren’t they? They are engaged in another business. They are not engaged in this business. Otherwise, the business should be this. What? That if it is a son or a daughter. Yes. Someone should pass such an examination. So, we can tell. So, what should the rich do? Brother, tell us. Yes, I will tell; I will chargeRs.50,000 from you. So, I will tell. And I will reveal in an accurate way. You have understood, haven’t you? They will never commit a mistake because they see everything through instruments. Look, what can’t they see now-a-days? There is so much wonder in this surgery! So, there is just wonder and only wonder in all the topics. These lights, these planes, this is of science. It is, isn’t it son? So, then look how this wonder of science is! Nothing is visible. And that is visible, isn’t it? Arey, arey, a plane arrived. Here something, someone went, someone went somewhere, nothing. Did anyone go? Nothing.
Look, you are sitting here calmly. You get up, you go, you work, you do business, you do everything. So, work through your hands. Baba says, doesn’t He that perform actions through the organs of action. Until then, whatever actions you perform, keep on performing. Let the hands do the work and the soul’s heart be with the friend, for your lover. So, now this is not a new topic. Hm? This lover and beloved are praised, aren’t they? So, many are not praised, are they? I think 10, 15, 20 must be there who are known. It could be 50. So, look, these are also so many and how many pass with honour? Look, it is told beforehand. How many? Eight. So, these eight pass with honour completely. Hm? So, even among them, there will be these many only. They then are like this. It is because there is no vice there in the new world. So, they are not defamed as well. No, no. They just look at the face. In this world people become lover and beloved just on the basis of the face. They do become, don’t they? It is not as if they are beautiful or that. No. They lose their hearts [to each other]. You have understood, haven’t you? Later they cannot live without seeing each other. They long [to meet or see] every moment. What? I should see him/her. I should talk to him/her. So, those people have Yoga. They sit. Hm? Even when they sit to eat roti, he/she will come to the mind. He/she will come and stand in front of them. So, then they will also keep on looking at them. They will also keep on eating roti. Did you understand? It is possible that you also develop such a stage in the end. Otherwise, what happens now? Hm? Even when you sit to eat, you don’t get the thoughts [of Baba]. You eat the entire meals, even then you don’t remember [Him]. Sometimes you remember.
So, Baba says that later your stage will become like those lovers and beloveds. Is it not? But very few are praised. What? Very few. Yes. Arey, that can be possible. He can come in front of you. Children, you have small visions, don’t you? You have visions of the soul. So, you have [vision] of the Supreme Soul as well. You indeed have that of the soul. Baba had explained that Ramkrishna Paramhansa’s disciple Vivekananda was sitting. It is written in his Volume. Well, Baba has read everything. So, that is also there. And Baba also has an experience. So, many souls are visible. And it takes just a second, just like this, hm, although the eyes are open, yet they see in a second. They see and vanish. Nothing else. So, we know that it is a soul. Well, what happened if you saw? Well, you cannot get any position without studies, without Yoga at all; can you? Children, there is no benefit in just seeing. It is observed that look, brother you see this also, don’t you? Now you have to become in practical, will you not? Or do you have to just see?
Similarly, children commit one of the much more stranger mistakes, don’t they? It is because when the pictures of Lakshmi-Narayan are prepared, then brother, the picture with same feature should be used. Why should you change the features again and again? You should never make changes. Even if you make [picture] of Krishna, then the same picture of Krishna should be used. Hm? The same features should be used. It should never be changed. Otherwise, they will say that their Krishnas are also seen to be numerous. Although they are many. It is not as if the features are not many. Whose? There are many features of Krishna. Why are they many? It is because child Krishnas with fewer, fewer celestial degrees keep on getting birth, don’t they? When they grow up, then they are called Narayans; they get the title. As regards those who have fewer celestial degrees convert to other religions. But no. We sit and first prepare this picture of the first one only. Why? It is because is our aim-object to go into the number one generation or to the latter generations?
So, the pictures that you have to prepare, their features should be similar. The faces of all should be similar. What is meant by ‘everyone’? Hm? In whichever picture you prepare the features of Shri Krishna or Narayan, their pictures should be similar. Otherwise, they will complain any time. They will definitely complain – What is this? When your Krishna becomes [Krishna] there, then does he have different forms? Yours will be definitely one only. You make here. How do you make? So, do you make him inclined or do you give him a Murli or what do you do? Either you give him a fair face or a slim one. What is all this that you do? So, these are also topics of knowledge, aren’t they? All these are topics to be understood. So, the features of the number one that we keep; Hm? Why do we keep? Hm? We have to go to the first generation only, don’t we have to? Yes. So, you keep. So, brother, this Baba will also become number one, will he not? The features of the number one of Baba that you make, you should make all of them similar, will you not? Why do you create changes? Hm? The Krishna who will be born in the Golden Age in the first birth, will he have same features or will he keep on changing colours like a chameleon? Yes. So, look, why does Baba explain? He keeps on listening that brother, you got the photo of the features only once. That is it; Vishnu’s [photo] also should be produced based on that only. Narayan’s [photo] is also to be prepared. When they grow up, then the features should also continue, shouldn’t they? But here, look, they make varieties. Om Shanti. (End)
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नोटः यह केवल एक प्रारूप है। उक्त वीसीडी के संपूर्ण मूल पाठ या मूल आडियो, वीडियो के लिए www.adhyatmik-vidyalaya.com देखिये।Note: This is just a draft. For the complete text, Audio and Video of the above VCD please visit – www.adhyatmik-vidyalaya.com
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Re: Extracts of PBK Murlis - as narrated to the PBKs
शिवबाबा की मुरली
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2953, दिनांक 26.07.2019
VCD 2953, dated 26.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning Class dated 01.12.1967
VCD-2953-extracts-Bilingual
समय- 00.01-20.12
Time- 00.01-20.12
प्रातः क्लास चल रहा था 1.12.1967. शुक्रवार को आठवें पेज की चौथी, पांचवीं लाइन में बात चल रही थी कि बाबा समझाते हैं कि वो सुनते तो रहते हैं बच्चे कि फीचर्स एक ही तरह के होने चाहिए। एक ही दफा फोटो मिला। बस उसी के ऊपर विष्णु का भी बनना है और नारायण का भी बनना है। माने एक ही हुए या अलग हुए? बड़ा होते हैं और फीचर्स वो ही चलना चाहिए। विष्णु पहले या नारायण पहले? पहले कौन? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, पहले नारायण कि पहले विष्णु? (किसी ने कुछ कहा।) पहले विष्णु? अच्छा? पहले विष्णु। (किसी ने कुछ कहा।) पहले नारायण। अरे, ये तो झगड़ा हो गया। हँ? अच्छा नारायण का अर्थ क्या हुआ? नार माने ज्ञान जल। अयन माने घर। जो ज्ञान जल के घर में रहता हो। बाहर नहीं। तो अब बताओ नारायण पहले या विष्णु पहले? (किसी ने कुछ कहा।) नारायण? अच्छा? अभी विष्णु कह रहे थे अभी नारायण हो गया? अच्छा? कौन? पहले कौन? (किसी ने कुछ कहा।) नारायण? अरे?
अच्छा, नारायण जब तक विष्णु न बने तब तक लगातार 24 घंटे ज्ञान जल में रहेगा कि ज्ञान जल से बाहर निकल पड़ता होगा? बताओ। बाहर निकल पड़ता है। तो फिर विष्णु हुआ या नारायण हुआ? क्या हुआ? (किसी ने कुछ कहा।) नारायण। 24 घंटे कहां रहता है अयन में? नारायण। नार माने ज्ञान जल। अयन माने घर। 24 घंटे ज्ञान जल में रहता है? पक्का नारायण है कि कच्चा नारायण? अरे, क्या है? क्या कहें? कच्चा है कि पक्का? कच्चा ही हुआ ना? पक्का कहें तो भई बिल्कुल पक्का। अटल, अखंड, अडोल। बाहर ही न निकले। तो कब बनता है? जब; कब बनता है? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, जब लक्ष्मी आकरके मिल जाती है प्रैक्टिकल में तो क्या हो जाता है? विष्णु हो जाता है। है ना? तो बताओ, पहले नारायण कि पहले विष्णु? पता नहीं? अरे भई, स्वर्ग पहले बनेगा या पहले विष्णुलोक बनेगा? विष्णुलोक बनेगा। स्वर्ग में तो नारायण तो होते ही हैं। अव्वल नंबर हों, बाद वाले हों, कम कला के हों। लेकिन विष्णु कब कहा जाएगा? आदि में या अंत में? आदि में है तो विष्णु। क्योंकि आदि नारायण के साथ आदि नारायणी भी चाहिए। नहीं तो सृष्टि का आदि होगा? होगा ही नहीं। तो नारायण का भी बनना है। बड़ा होते हैं तो नारायण।
फीचर्स वो ही चलना चाहिए। बदलना नहीं चाहिए। परन्तु ये तो देखो यहां ब्राह्मणों की दुनिया में अलग-अलग ढ़ेर सारे नारायण के और कृष्ण के फीचर्स बनाय देते हैं। तो इसलिए आज इनको वार्निंग देते हैं। किनको? इनको। इनको माने किनको? इन ब्रह्मा बाबा को भी और बाबा के जो बच्चे हैं ब्रह्माकुमार-कुमारियां, इनको भी वार्निंग देते हैं। क्या वार्निंग देते हैं? वार्निंग जिनको देते हैं वो सुनते तो सभी बच्चे हैं। अच्छा, अगर न सुनेंगे टेप और न सुनेंगे वाणी और ये अक्षर नहीं सुनेंगे तो चलते रहेंगे। अब फिर क्या करते रहेंगे? सुनेंगे नहीं। और चलते रहेंगे ज्ञान में। तो क्या होगा रिजल्ट? फिर भी ऐसे ही उल्टे-सुल्टे फीचर्स बनाते रहेंगे। क्या? अरे, बात को ध्यान देके सुने तो कि क्यों कहते हैं कि फीचर्स चेंज नहीं होना चाहिए, एक ही रहना चाहिए? परन्तु जो दूसरे धर्मों में कन्वर्ट होके रहेंगे; कन्वर्ट होंगे ना द्वापरयुग से; तो उनके अंदर संस्कार कौनसे आ जाएंगे? पलटने के संस्कार आ जाएंगे ना? हाँ।
तो फीचर्स बदल देते हैं। यहां ही शूटिंग कर लेते हैं। इसलिए बाप कहते हैं कि जो बाप बैठकरके पढ़ाते हैं। हाँ। कौनसे बाप? ऐसे नहीं 84 जनम के बाप कोई। या धरमपिताओं में से कोई बाप। नहीं। जो बाप यहां बैठकरके पढ़ाते हैं तो वो सुनना चाहिए। जरूर रोज सुनना चाहिए। ये जो टेप की वाणी है ना, वो भी तो सुननी चाहिए। और टेप बहुतों को सुनाना चाहिए। क्यों? क्योंकि वाणी से डायरेक्ट तो बहुत नहीं सुनेंगे ना? हाँ। और टेप तो? टेप तो कहीं भी ले जाओ। कितनों को भी सुनाओ। तो बहुतों को सुनाना चाहिए। समझे ना? टेप से भी सर्विस कराय सकते हैं ना? हाँ। ऐसे नहीं कि कोई टेप खराब हो जाते हैं। नहीं। कार में ले जावें टेप, बहुतों की सेवा करके चले आवें। अरे, टेप खराब हो जाए तो ठीक नहीं कराय सकते? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, कराय सकते, रिपेयर कराओ। एक अपने ऊपर रखें जो खराब भी न होवे। माने डबल रखें। टेप डबल रखें। एक अपने ऊपर। और एक? जो खराब? खराब न हो। हाँ। एक ऐसा होवे जिसको दूसरी सर्विस-वर्विस, भले सर्विस भी हो तो जाकरके कभी सुबह, कभी शाम टेप में सुनने से टाइम तो वो ही लगता है। जितना लंबा यहां लगेगा; वाणी सुनेंगे डायरेक्ट, जितना लंबा यहां लगेगा, उतना लंबा टेप से सुनाएंगे वहां भी लगेगा। पौना घंटा, एक घंटा।
तो कोशिश करेंगे। अब पुरुषार्थ कोई करेंगे। सब तो नहीं करेंगे। ऐसे तो बहुत हैं ना जो बच्चे यही सर्विस करते हैं। क्या? टेप में भरके ले जाएंगे। और सुनाएंगे। बहुतों की सर्विस करते हैं। वो बच्चे पूछते हैं कि क्या सर्विस करें? बाबा बोलता है ये सर्विस करती है क्या? रोज टेप संभाल से ले जाकरके और कोई कार में या किसमें भी; कार हो, मोटर साइकिल हो या जो कुछ भी हो। खराब नहीं होती। जाओ। जो भी सुनने चाहते हैं, सुनने के बहुत शौकीन हैं, आशिक हैं, और जो घोषणा करते हैं, जो सर्विस भी ऐसे ही करते हैं। क्या? घोषणा करना माने? जोर से घोषणा की जाती है ना? हाँ, उनको जाकरके, सुनाकरके भी आओ। जो न कोई आ सकते हैं उनको सुनाओ।
बाहर में भी तुम जाते हो आजकल तो बाबा कहते हैं प्रदर्शनी ले जाते हो? हाँ, ये भी ले जाना चाहिए साथ में। ‘भी’ क्यों लगाया? भई टेप भी ले जाओ और? और प्रदर्शनी? वो भी ले जाओ। तो बहुत अच्छी तरह से एक्यूरेट सुनेंगे। हाँ, क्योंकि आँखों से देखेंगे भी और कानों से सुनेंगे। भले बाबा कहते हैं कि सन्मुख और इस टेप में सुनने में और वाणी में सुनने में; कौन-कौनसी बातें? एक डायरेक्ट टेप में सुनो। इस टेप में। और दूसरा, सन्मुख सुना। हाँ। तो टेप में तो वाणी तो कान से सुनने को मिलेगी। लेकिन आँखों से देखने में तो नहीं मिलेगी। तो तीन बातें हुईं। एक सन्मुख; उनमें आँखों से भी देखेंगे और कानों से भी सुनेंगे। और जो वायब्रेशन हैं। सन्मुख में वायब्रेशन भी मिलेंगे ना? हाँ। हाव-भाव सब कुछ सन्मुख देखने में आवेंगे ना? तो तीनों में बहुत फर्क है। भले टीवी है। क्या है? टीवी। उसमें भी हाव-भाव तो आँखों से, हाथों से देखने में तो आते हैं। परन्तु वायब्रेशन आएंगे? वायब्रेशन तो नहीं आएंगे। टीवी के अन्दर मन-बुद्धि रखी है क्या जो वायब्रेशन छोड़ेगी? नहीं। और सन्मुख में तो वायब्रेशन भी होते हैं।
तो बताया - बहुत फर्क है सन्मुख सुनने में और टेप में सुनने में। और फिर जो वाणी पढ़ करके सुनाते हैं; टेप भी नहीं जो बिल्कुल एक्यूरेट सुनाए। होगा? नहीं। और सन्मुख भी नहीं है। तो कागज़ की मुरली में बैठकरके वाणी सुनाएंगे तो और ज्यादा अंतर पड़ेगा कि नहीं? हाँ। और ज्यादा अंतर पड़ेगा। क्योंकि जो कागज़ में सुनाने वाला वाणी सुनाएगा वो बाबा जितना जैसा जो कुछ बोलते हैं बिना मिक्स किये वैसा ही सुनाएगा? कुछ न कुछ, कुछ न कुछ एक-दो शब्द की भी मिक्सिंग तो कर ही देगा। तो अंतर पड़ेगा कि नहीं? एक घड़े का, दूध का भरा घड़ा हो और उसमें एक बूंद सांप का विष डाल दो तो सारा क्या हो जाएगा? विष ही हो जाएगा ना? हाँ। तो वो टेप से जो सुनते हैं वो फिर सेकण्ड क्लास। सन्मुख सुनते हैं सो फर्स्टक्लास। और कागज़ के पत्ते में बैठकरके सुनते हैं, पढ़ते हैं, दूसरों को सुनाते हैं वो तो हो गया, क्या? थर्ड क्लास। क्यों? क्यों हो गया? क्योंकि न तो वो ओरिजिनल सुनाने वाला सुना रहा है, सुना तो दूसरा डुप्लिकेट कोई दूसरा सुनाय रहा है, मिक्स करने वाला। और टेप में भी है तो एक्यूरेट तो सुनाय रहा है। कोई एक दो अक्षर घटेगा नहीं, बढ़ेगा नहीं। उतना ही टाइम लगेगा, सन्मुख में जितना टाइम लगा है और टेप में जो सुनेगा उतना ही टाइम लगेगा। लेकिन अंतर क्या पड़ेगा? अंतर ये पड़ेगा कि जो सन्मुख में आँखों से मिलते हैं, वायब्रेशन मन-बुद्धि से कैच करते हैं वो पकड़ में नहीं आवेंगे।
तो तीनों में बहुत अंतर है, बहुत फर्क है। क्योंकि यहां तो एक्सप्रेशन्स भी देखते हो। कहां? एक्सप्रेशन माने? इशारेबाजियां करते हैं ना कुछ? हाँ। तो देखते हो। और वहां टेप में? टेप में तो वो कुछ नहीं देख पाएंगे। और वहां एक्सप्रेशन नहीं देखेंगे। जब तलक तुम्हारा वो टेलिविजन निकले तब तक नहीं देख सकेंगे। टेलिविजन निकलेगा तो तुम उसमें एक्शन भी, एक्सप्रेशन भी देख सकेंगे। ठीक है। तो टेलिविजन बढ़िया हुआ या टेप बढ़िया हुआ या कागज़ में मुरली पढ़ना बढ़िया हुआ? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, सन्मुख बढ़िया हुआ। टेप में तो फिर एक्सप्रेशन तो देखने को मिलेंगे नहीं। सिर्फ वाणी जयों की त्यों सुनने को मिलेगी। पीछे तो देख सकते हो। परन्तु वो तो बहुत ही फिर महंगा हो जाता है। क्या? हाँ, जो टीवी है वो तो फिर बहुत ही महंगा हो जाता है। हो जाता है। क्या मतलब? माने उस समय वर्तमान की बात बताई। आगे चलके तो भले सस्ते हो जाएं। लेकिन उस समय तो बहुत महंगाई की बात थी ना? हँ।
तो बहुत महंगे हो जाते हैं। उनको थोड़ेही कहां उठायकरके ले जाएंगे। टेप रिकार्ड तो छोटा होता है। उठायकरके ले जाओ, सुनाओ। हाँ। तो वो बड़ी कीमती चीज़ भी होती है। अभी वर्तमान में कीमती है कि नहीं? नहीं? कितना लगता है पैसा? वर्तमान में कीमती कहें कि सस्ती कहें? 5000 में मिल जाता है। बताओ। हां। कौनसा टीवी? रंगीन कि ब्लैक एंड व्हाइट? कौनसा मिल जाता है? कलर्ड मिल जाता है। तो इसका मतलब ब्लैक एंड व्हाइट तो और सस्ता मिल जाता होगा। वो तो कोई पूछता भी नहीं। इसलिए ऐसे ही उठाय लेते हैं। ले जाओ भाई हज़ार रुपये में ले जाओ। टेप रिकार्डर तुम्हें नया नहीं मिलेगा हज़ार रुपये में। मिलेगा? नहीं। तो देखो बड़ी कीमती चीज़ होती है। “है’ क्यों लगाय दिया? उस समय वर्तमान की सन् 67 की बात बताई। परन्तु हो सकते हैं ऐसे नहीं कि नहीं कुछ हो सकते हैं। नहीं। हो सकते हैं। हाँ।
जैसे तुम बैठकरके सुनते हो तैसे बाबा यहां गद्दी पे बैठा होगा। क्या कहा? जैसे तुम यहां बैठके सन्मुख सुनते हो ना? ऐसे बाबा यहां गद्दी पर बैठा होगा। होगा। क्या कहा? बाबा देखेगा। हाँ। बाबा बैठकरके सुनाते हैं। बच्चे बाबा को, बच्चा बाबा को देखेगा कि बाबा बैठकर सुनाते हैं। ये भी वंडर है ना बच्ची। देखो। अरे, ये साइंस का आज की दुनिया में कितना मज़ा है। वो मज़ा स्वर्ग का मज़ा कहेंगे? नहीं। लेकिन देखने को मिलेगा स्वर्ग का मज़ा? अभी इस दुनिया में स्वर्ग का मज़ा देखने को मिलेगा? स्वर्ग का मज़ा तो नहीं देखने को मिलेगा। वो तो पास्ट हो गया। पास्ट हो गया। फिर ये भी पता है कि अब आएगा जरूर। हिस्ट्री रिपीट्स इटसैल्फ। फिर आएगा। तो ये भी वंडर है ना बच्ची। देखो, कितना हमको साइंस मदद देती है!
The morning class dated 01.12.1967 was going on. We were discussing the topic on the fourth-fifth line of page eight on Friday: Baba explains that the children certainly keep listening that the features should be the same. We received a photo just once; based on that alone we have to make [the picture] of Vishnu as well as Narayan. It means, are they the same or are they different? [Even if] they grow up, there should be the same features. Is Vishnu first or is Narayan first? Who is first? (Someone said something.) Yes. Is Narayan first or is Vishnu first? (Someone said something.) Is Vishnu first? Accha! Vishnu is first. (Someone said something.) Narayan is first. Arey, a dispute has begun! Accha, what is the meaning of Narayan? Naarmeans the water of knowledge [and] ayan means house; the one who resides in the house of the water of knowledge, not outside. So now, tell me, is Narayan first or is Vishnu first? (Someone said something.) Narayan? Accha! Just now you were saying Vishnu and now you have switched over to Narayan? Accha? Who? Who is first? (Someone said something.) Narayan? Arey!
Accha, until Narayan becomes Vishnu, will he continuously remain in the water of knowledge for 24 hours or will he [sometimes] be coming out of the water of knowledge? Tell Me. He [sometimes] comes out of it. Then, is he Vishnu or Narayan? What is he? (Someone said something.) Narayan? Where does he remain in the house for 24 hours? Narayan. ‘Naar’ means the water of knowledge [and] ‘ayan’ means house. Does he remain in the water of knowledge for 24 hours? Is he the perfect Narayan or the imperfect Narayan? Arey! What is he? What will he be called? Is he imperfect or perfect? He is certainly imperfect, isn’t he? If we call him perfect, he should be fully perfect; unshakable, indestructible, immovable who doesn’t come out of it at all. So, when does he become that? When…When does he become that? (Someone said something.) Yes, when Lakshmi comes and unites with him in practical, what does he become? He becomes Vishnu, doesn’t he? So, tell Me: Is Narayan first or is Vishnu first? I don’t know? Arey brother! Will heaven be established first or will the Abode of Vishnu (Vishnulok) be established first? The Abode of Vishnu will be established [first]. There are certainly Narayans in heaven, whether it is number one [Narayan] or [the Narayans] those that come later, those with fewer celestial degrees but when will he be called Vishnu? Is it in the beginning or the end? If he is in the beginning, he is Vishnu. It is because Adinarayani (the first Narayani [Lakshmi]) is also required along with Adinarayan (the first Narayan). Otherwise, will there be the beginning of the world? There certainly won't be. So, [the picture] of Narayan is also to be made. When he grows up, he becomes Narayan.
The features should be the same. They shouldn't change. But look in the Brahmin world here, they make various, numerous features of Narayan and Krishna. This is why, these are given a warning today. Who? 'Inko' (these). 'These' means who? This Brahma Baba and also the children of Baba, the Brahmakumar-kumaris are given a warning. What warning are they given? Those who are given a warning, all the children certainly listen to it. Accha, if they don't listen to the tape [recorder], if they don't listen to the Vani, if they don't listen to these words [and] keep following [the knowledge]; What will they keep doing then? If they don’t listen [to the Vani] and continue following the knowledge, what will be the result? They will still keep making such wrong features. What? Arey, they should at least listen to what has been said carefully, why He says that the features shouldn't change, they should remain the same. But those who convert to the other religions… they will convert from the Copper Age, won't they? So, what sanskaars will come in them? The sanskaars of turning will come in them, won't they? Yes.
So, they change the features. They perform the shooting here itself. This is why, the Father says: the Father who sits and teaches; Yes. Which Father? It isn’t about any of the fathers of the 84 births or any Father from among the founders of religions. No. We should listen to what the Father teaches while sitting here; we should certainly listen to it every day. We should also listen to the Vanithrough the tape [recorder]. And we should make many listen to the tape. Why? It is because not many will listen to the Vani directly, will they? Yes. And what about the tape? You may take the tape anywhere. You may make as many people listen to it as you like. So, you should make many to listen [to the tape]. You did understand, didn’t you? You can have service done even through the tape, can’t you? Yes. It isn’t that the tape doesn’t work. No. You can carry the tape in a car and return after serving many. Arey! Can’t you get the tape repaired if it doesn’t work? (Someone said something.) Yes, you can. Have it repaired. You should keep one for yourself so that it doesn’t become non-functional. It means you should keep double [tapes]. Keep double tapes, one for yourself and the other? That doesn’t stop working; that it doesn’t stop working. Yes. There should be one for other service etc. Even if you have [other] service, if you go and listen to it from the tape, either in the morning or in the evening, it takes the same amount of time. As much time it takes here, while listening to the direct Vani, it will take the same amount of time while listening through the tape. It may take forty-five minutes or an hour.
So, you will try. Now, some will make purusharth, not everyone will do. There are many such children who do this very service. What? They record [the Vani] in the tape, take it with them and make [others] listen to it. They serve many. The children ask: What service should we do? Baba asks: Do you do this service? Carry the tape carefully everyday and... in a car or in anything... whether it is a car, a motor cycle or whatever it is. It doesn’t become non-functional. Go. Whoever wants to listen to it, if they are fond of listening, if they are lovers and those who declare... and those who also do such service. What? What does ‘to declare’ mean? A declaration is made loudly, isn’t it? Yes. Go and make them listen to it. Those who can’t come [here], make them listen to it.
Nowadays, you also go outside, so Baba asks: Do you carry the exhibition [with you]? Yes, you should also carry this with you. Why did he add ‘also’? Brother, carry the tape as well as the exhibits. So, they will listen to it very well, accurately. It is because they will see through the eyes also and listen through the ears. Although Baba says: [Listening] sanmukh (face to face), listening from this tape and listening from the Vani (paper Murli)…Which all topics? One is to listen directly from this tape and the second is to listen sanmukh. Yes. You will certainly get to listen to the Vani through the ears from the tape but you won’t be able to see [anything] through the eyes. So, three things are involved: One is [to be] sanmukh; in that [case], you can see through the eyes as well as listen through the ears. And the vibrations; You will also receive the vibrations in sanmukh [class], won’t you? Yes. You will be able to see gestures, expressions, everything face to face, won’t you? So, there is a great difference between all the three [methods]. Though, there is the TV. What is there? Even in that, you can certainly see the gestures of the eyes and hands but will there be the vibrations? There certainly won’t be the vibrations. Is there a mind and intellect inside the TV, so that it gives out vibrations? No. And in sanmukh [class], the vibrations are also present.
So, it was said: There is a vast difference between listening face to face and listening through the tape. And then, those who read out the Vani... It isn’t even the tape which would play [the Vani] accurately. Will it be [accurate]? No. It isn’t sanmukh either. So, they will sit and narrate the Vani through the paper Murli. Then, will there be even more difference or not? Yes, there will be even more difference. It is because the narrator who narrates the Vani from the paper, will he narrate it just as Baba narrates, without mixing anything [in it]? He will definitely mix one or two words to some extent or the other. So, will there be a difference or not? If you put a drop of snake poison in a pot full of milk, what will the whole [thing] turn [into]? It will turn into poison alone, won’t it? Yes. So, those who listen through the tape are second class and those who listen sanmukh are the first class. And those who listen, read or narrate to others from sheets of paper are - what? - Third class. Why? Why is it [third class]? It is because the original narrator isn’t narrating it; some other person, a duplicate (replacement), someone who mixes [his opinion] is narrating it. As regards the tape, it will certainly play accurately. There won’t be one or two words extra or less. It will take the same amount of time as much time it took for [the Vani] to play face to face and it will take the same amount of time if you listen from the tape but what will be the difference? The difference will be that those who meet face to face through the eyes, the vibrations that they catch through the mind and intellect, you won’t be able to catch them.
So, there is a vast difference between all the three [methods]. It is because you also see the expressions here. Where? What does expression mean? He makes some gestures, doesn’t He? Yes. So, you see them. And there, in the tape? You won’t be able to see anything in the tape. And there you won’t see the expressions. You won’t be able to see [the expressions] until your television emerges. When television emerges, you will be able to see the actions as well as the expressions in it. Alright, is television better, is the tape better or is reading the paper Murli better? (Someone said something.) Yes. [Listening] face to face is the best. You won’t be able to see the expressions in the tape at all. You will just get the accurate Vani to listen. Later, you will be able to see it but that becomes very expensive. What? (Someone said something.) Yes, the TV becomes very expensive. It becomes. What does mean? It means, it was said about that time, the present time [of that time]. It may become cheap in future but it was very expensive at that time, wasn’t it? Yes.
So, it becomes very costly. We can’t carry it wherever we want. A tape record is small; you can carry it [with you] and make people listen to it. Yes. So, that (TV) is also very costly. Is it costly now at present or not? No? How much does it cost? Will it be said to be costly or cheap at present? You get it in five thousand rupees. Speak up. Yes. Which TV? Colour or black and white? Which one do you get? You get a coloured one. It means black and white will be much cheaper. Nobody even asks for it. This is why, they pick it up just like that. [The seller says] Take it brother. Take it for thousand rupees. You won’t get a new tape recorder for thousand rupees. Will you? No. So look, it is a very costly thing. Why did He use ‘is’? It was said about that present time, the topic of the year 1967. But it is possible. It isn’t that it is impossible. No. It is possible. Yes.
Just like you sit and listen, similarly Baba will be sitting on the gaddi here. What was said? Just like you sit and listen face to face here, don’t you? Similarly, Baba will be sitting on the gaddi here. ‘He will be’. What was said? You will see Baba. Baba sits and narrates [the Vani]. The child will see Baba, the child will see Baba that Baba sits and narrates [the Vani]. Daughter, this is also a wonder, isn’t it? Look! Arey, there is so much enjoyment of science in today's world! Will that enjoyment be called the enjoyment of heaven? No. But will you be able to see the enjoyment of heaven? Will you be able to see the enjoyment of heaven in this world now? You certainly won’t be able to see the enjoyment of heaven. That has become past. It has become past. Then we also know that it will now certainly arrive. History repeats itself. It will come once again. So, this is also a wonder, is not it daughter? Look, how much science helps us!
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ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2953, दिनांक 26.07.2019
VCD 2953, dated 26.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning Class dated 01.12.1967
VCD-2953-extracts-Bilingual
समय- 00.01-20.12
Time- 00.01-20.12
प्रातः क्लास चल रहा था 1.12.1967. शुक्रवार को आठवें पेज की चौथी, पांचवीं लाइन में बात चल रही थी कि बाबा समझाते हैं कि वो सुनते तो रहते हैं बच्चे कि फीचर्स एक ही तरह के होने चाहिए। एक ही दफा फोटो मिला। बस उसी के ऊपर विष्णु का भी बनना है और नारायण का भी बनना है। माने एक ही हुए या अलग हुए? बड़ा होते हैं और फीचर्स वो ही चलना चाहिए। विष्णु पहले या नारायण पहले? पहले कौन? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, पहले नारायण कि पहले विष्णु? (किसी ने कुछ कहा।) पहले विष्णु? अच्छा? पहले विष्णु। (किसी ने कुछ कहा।) पहले नारायण। अरे, ये तो झगड़ा हो गया। हँ? अच्छा नारायण का अर्थ क्या हुआ? नार माने ज्ञान जल। अयन माने घर। जो ज्ञान जल के घर में रहता हो। बाहर नहीं। तो अब बताओ नारायण पहले या विष्णु पहले? (किसी ने कुछ कहा।) नारायण? अच्छा? अभी विष्णु कह रहे थे अभी नारायण हो गया? अच्छा? कौन? पहले कौन? (किसी ने कुछ कहा।) नारायण? अरे?
अच्छा, नारायण जब तक विष्णु न बने तब तक लगातार 24 घंटे ज्ञान जल में रहेगा कि ज्ञान जल से बाहर निकल पड़ता होगा? बताओ। बाहर निकल पड़ता है। तो फिर विष्णु हुआ या नारायण हुआ? क्या हुआ? (किसी ने कुछ कहा।) नारायण। 24 घंटे कहां रहता है अयन में? नारायण। नार माने ज्ञान जल। अयन माने घर। 24 घंटे ज्ञान जल में रहता है? पक्का नारायण है कि कच्चा नारायण? अरे, क्या है? क्या कहें? कच्चा है कि पक्का? कच्चा ही हुआ ना? पक्का कहें तो भई बिल्कुल पक्का। अटल, अखंड, अडोल। बाहर ही न निकले। तो कब बनता है? जब; कब बनता है? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, जब लक्ष्मी आकरके मिल जाती है प्रैक्टिकल में तो क्या हो जाता है? विष्णु हो जाता है। है ना? तो बताओ, पहले नारायण कि पहले विष्णु? पता नहीं? अरे भई, स्वर्ग पहले बनेगा या पहले विष्णुलोक बनेगा? विष्णुलोक बनेगा। स्वर्ग में तो नारायण तो होते ही हैं। अव्वल नंबर हों, बाद वाले हों, कम कला के हों। लेकिन विष्णु कब कहा जाएगा? आदि में या अंत में? आदि में है तो विष्णु। क्योंकि आदि नारायण के साथ आदि नारायणी भी चाहिए। नहीं तो सृष्टि का आदि होगा? होगा ही नहीं। तो नारायण का भी बनना है। बड़ा होते हैं तो नारायण।
फीचर्स वो ही चलना चाहिए। बदलना नहीं चाहिए। परन्तु ये तो देखो यहां ब्राह्मणों की दुनिया में अलग-अलग ढ़ेर सारे नारायण के और कृष्ण के फीचर्स बनाय देते हैं। तो इसलिए आज इनको वार्निंग देते हैं। किनको? इनको। इनको माने किनको? इन ब्रह्मा बाबा को भी और बाबा के जो बच्चे हैं ब्रह्माकुमार-कुमारियां, इनको भी वार्निंग देते हैं। क्या वार्निंग देते हैं? वार्निंग जिनको देते हैं वो सुनते तो सभी बच्चे हैं। अच्छा, अगर न सुनेंगे टेप और न सुनेंगे वाणी और ये अक्षर नहीं सुनेंगे तो चलते रहेंगे। अब फिर क्या करते रहेंगे? सुनेंगे नहीं। और चलते रहेंगे ज्ञान में। तो क्या होगा रिजल्ट? फिर भी ऐसे ही उल्टे-सुल्टे फीचर्स बनाते रहेंगे। क्या? अरे, बात को ध्यान देके सुने तो कि क्यों कहते हैं कि फीचर्स चेंज नहीं होना चाहिए, एक ही रहना चाहिए? परन्तु जो दूसरे धर्मों में कन्वर्ट होके रहेंगे; कन्वर्ट होंगे ना द्वापरयुग से; तो उनके अंदर संस्कार कौनसे आ जाएंगे? पलटने के संस्कार आ जाएंगे ना? हाँ।
तो फीचर्स बदल देते हैं। यहां ही शूटिंग कर लेते हैं। इसलिए बाप कहते हैं कि जो बाप बैठकरके पढ़ाते हैं। हाँ। कौनसे बाप? ऐसे नहीं 84 जनम के बाप कोई। या धरमपिताओं में से कोई बाप। नहीं। जो बाप यहां बैठकरके पढ़ाते हैं तो वो सुनना चाहिए। जरूर रोज सुनना चाहिए। ये जो टेप की वाणी है ना, वो भी तो सुननी चाहिए। और टेप बहुतों को सुनाना चाहिए। क्यों? क्योंकि वाणी से डायरेक्ट तो बहुत नहीं सुनेंगे ना? हाँ। और टेप तो? टेप तो कहीं भी ले जाओ। कितनों को भी सुनाओ। तो बहुतों को सुनाना चाहिए। समझे ना? टेप से भी सर्विस कराय सकते हैं ना? हाँ। ऐसे नहीं कि कोई टेप खराब हो जाते हैं। नहीं। कार में ले जावें टेप, बहुतों की सेवा करके चले आवें। अरे, टेप खराब हो जाए तो ठीक नहीं कराय सकते? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, कराय सकते, रिपेयर कराओ। एक अपने ऊपर रखें जो खराब भी न होवे। माने डबल रखें। टेप डबल रखें। एक अपने ऊपर। और एक? जो खराब? खराब न हो। हाँ। एक ऐसा होवे जिसको दूसरी सर्विस-वर्विस, भले सर्विस भी हो तो जाकरके कभी सुबह, कभी शाम टेप में सुनने से टाइम तो वो ही लगता है। जितना लंबा यहां लगेगा; वाणी सुनेंगे डायरेक्ट, जितना लंबा यहां लगेगा, उतना लंबा टेप से सुनाएंगे वहां भी लगेगा। पौना घंटा, एक घंटा।
तो कोशिश करेंगे। अब पुरुषार्थ कोई करेंगे। सब तो नहीं करेंगे। ऐसे तो बहुत हैं ना जो बच्चे यही सर्विस करते हैं। क्या? टेप में भरके ले जाएंगे। और सुनाएंगे। बहुतों की सर्विस करते हैं। वो बच्चे पूछते हैं कि क्या सर्विस करें? बाबा बोलता है ये सर्विस करती है क्या? रोज टेप संभाल से ले जाकरके और कोई कार में या किसमें भी; कार हो, मोटर साइकिल हो या जो कुछ भी हो। खराब नहीं होती। जाओ। जो भी सुनने चाहते हैं, सुनने के बहुत शौकीन हैं, आशिक हैं, और जो घोषणा करते हैं, जो सर्विस भी ऐसे ही करते हैं। क्या? घोषणा करना माने? जोर से घोषणा की जाती है ना? हाँ, उनको जाकरके, सुनाकरके भी आओ। जो न कोई आ सकते हैं उनको सुनाओ।
बाहर में भी तुम जाते हो आजकल तो बाबा कहते हैं प्रदर्शनी ले जाते हो? हाँ, ये भी ले जाना चाहिए साथ में। ‘भी’ क्यों लगाया? भई टेप भी ले जाओ और? और प्रदर्शनी? वो भी ले जाओ। तो बहुत अच्छी तरह से एक्यूरेट सुनेंगे। हाँ, क्योंकि आँखों से देखेंगे भी और कानों से सुनेंगे। भले बाबा कहते हैं कि सन्मुख और इस टेप में सुनने में और वाणी में सुनने में; कौन-कौनसी बातें? एक डायरेक्ट टेप में सुनो। इस टेप में। और दूसरा, सन्मुख सुना। हाँ। तो टेप में तो वाणी तो कान से सुनने को मिलेगी। लेकिन आँखों से देखने में तो नहीं मिलेगी। तो तीन बातें हुईं। एक सन्मुख; उनमें आँखों से भी देखेंगे और कानों से भी सुनेंगे। और जो वायब्रेशन हैं। सन्मुख में वायब्रेशन भी मिलेंगे ना? हाँ। हाव-भाव सब कुछ सन्मुख देखने में आवेंगे ना? तो तीनों में बहुत फर्क है। भले टीवी है। क्या है? टीवी। उसमें भी हाव-भाव तो आँखों से, हाथों से देखने में तो आते हैं। परन्तु वायब्रेशन आएंगे? वायब्रेशन तो नहीं आएंगे। टीवी के अन्दर मन-बुद्धि रखी है क्या जो वायब्रेशन छोड़ेगी? नहीं। और सन्मुख में तो वायब्रेशन भी होते हैं।
तो बताया - बहुत फर्क है सन्मुख सुनने में और टेप में सुनने में। और फिर जो वाणी पढ़ करके सुनाते हैं; टेप भी नहीं जो बिल्कुल एक्यूरेट सुनाए। होगा? नहीं। और सन्मुख भी नहीं है। तो कागज़ की मुरली में बैठकरके वाणी सुनाएंगे तो और ज्यादा अंतर पड़ेगा कि नहीं? हाँ। और ज्यादा अंतर पड़ेगा। क्योंकि जो कागज़ में सुनाने वाला वाणी सुनाएगा वो बाबा जितना जैसा जो कुछ बोलते हैं बिना मिक्स किये वैसा ही सुनाएगा? कुछ न कुछ, कुछ न कुछ एक-दो शब्द की भी मिक्सिंग तो कर ही देगा। तो अंतर पड़ेगा कि नहीं? एक घड़े का, दूध का भरा घड़ा हो और उसमें एक बूंद सांप का विष डाल दो तो सारा क्या हो जाएगा? विष ही हो जाएगा ना? हाँ। तो वो टेप से जो सुनते हैं वो फिर सेकण्ड क्लास। सन्मुख सुनते हैं सो फर्स्टक्लास। और कागज़ के पत्ते में बैठकरके सुनते हैं, पढ़ते हैं, दूसरों को सुनाते हैं वो तो हो गया, क्या? थर्ड क्लास। क्यों? क्यों हो गया? क्योंकि न तो वो ओरिजिनल सुनाने वाला सुना रहा है, सुना तो दूसरा डुप्लिकेट कोई दूसरा सुनाय रहा है, मिक्स करने वाला। और टेप में भी है तो एक्यूरेट तो सुनाय रहा है। कोई एक दो अक्षर घटेगा नहीं, बढ़ेगा नहीं। उतना ही टाइम लगेगा, सन्मुख में जितना टाइम लगा है और टेप में जो सुनेगा उतना ही टाइम लगेगा। लेकिन अंतर क्या पड़ेगा? अंतर ये पड़ेगा कि जो सन्मुख में आँखों से मिलते हैं, वायब्रेशन मन-बुद्धि से कैच करते हैं वो पकड़ में नहीं आवेंगे।
तो तीनों में बहुत अंतर है, बहुत फर्क है। क्योंकि यहां तो एक्सप्रेशन्स भी देखते हो। कहां? एक्सप्रेशन माने? इशारेबाजियां करते हैं ना कुछ? हाँ। तो देखते हो। और वहां टेप में? टेप में तो वो कुछ नहीं देख पाएंगे। और वहां एक्सप्रेशन नहीं देखेंगे। जब तलक तुम्हारा वो टेलिविजन निकले तब तक नहीं देख सकेंगे। टेलिविजन निकलेगा तो तुम उसमें एक्शन भी, एक्सप्रेशन भी देख सकेंगे। ठीक है। तो टेलिविजन बढ़िया हुआ या टेप बढ़िया हुआ या कागज़ में मुरली पढ़ना बढ़िया हुआ? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, सन्मुख बढ़िया हुआ। टेप में तो फिर एक्सप्रेशन तो देखने को मिलेंगे नहीं। सिर्फ वाणी जयों की त्यों सुनने को मिलेगी। पीछे तो देख सकते हो। परन्तु वो तो बहुत ही फिर महंगा हो जाता है। क्या? हाँ, जो टीवी है वो तो फिर बहुत ही महंगा हो जाता है। हो जाता है। क्या मतलब? माने उस समय वर्तमान की बात बताई। आगे चलके तो भले सस्ते हो जाएं। लेकिन उस समय तो बहुत महंगाई की बात थी ना? हँ।
तो बहुत महंगे हो जाते हैं। उनको थोड़ेही कहां उठायकरके ले जाएंगे। टेप रिकार्ड तो छोटा होता है। उठायकरके ले जाओ, सुनाओ। हाँ। तो वो बड़ी कीमती चीज़ भी होती है। अभी वर्तमान में कीमती है कि नहीं? नहीं? कितना लगता है पैसा? वर्तमान में कीमती कहें कि सस्ती कहें? 5000 में मिल जाता है। बताओ। हां। कौनसा टीवी? रंगीन कि ब्लैक एंड व्हाइट? कौनसा मिल जाता है? कलर्ड मिल जाता है। तो इसका मतलब ब्लैक एंड व्हाइट तो और सस्ता मिल जाता होगा। वो तो कोई पूछता भी नहीं। इसलिए ऐसे ही उठाय लेते हैं। ले जाओ भाई हज़ार रुपये में ले जाओ। टेप रिकार्डर तुम्हें नया नहीं मिलेगा हज़ार रुपये में। मिलेगा? नहीं। तो देखो बड़ी कीमती चीज़ होती है। “है’ क्यों लगाय दिया? उस समय वर्तमान की सन् 67 की बात बताई। परन्तु हो सकते हैं ऐसे नहीं कि नहीं कुछ हो सकते हैं। नहीं। हो सकते हैं। हाँ।
जैसे तुम बैठकरके सुनते हो तैसे बाबा यहां गद्दी पे बैठा होगा। क्या कहा? जैसे तुम यहां बैठके सन्मुख सुनते हो ना? ऐसे बाबा यहां गद्दी पर बैठा होगा। होगा। क्या कहा? बाबा देखेगा। हाँ। बाबा बैठकरके सुनाते हैं। बच्चे बाबा को, बच्चा बाबा को देखेगा कि बाबा बैठकर सुनाते हैं। ये भी वंडर है ना बच्ची। देखो। अरे, ये साइंस का आज की दुनिया में कितना मज़ा है। वो मज़ा स्वर्ग का मज़ा कहेंगे? नहीं। लेकिन देखने को मिलेगा स्वर्ग का मज़ा? अभी इस दुनिया में स्वर्ग का मज़ा देखने को मिलेगा? स्वर्ग का मज़ा तो नहीं देखने को मिलेगा। वो तो पास्ट हो गया। पास्ट हो गया। फिर ये भी पता है कि अब आएगा जरूर। हिस्ट्री रिपीट्स इटसैल्फ। फिर आएगा। तो ये भी वंडर है ना बच्ची। देखो, कितना हमको साइंस मदद देती है!
The morning class dated 01.12.1967 was going on. We were discussing the topic on the fourth-fifth line of page eight on Friday: Baba explains that the children certainly keep listening that the features should be the same. We received a photo just once; based on that alone we have to make [the picture] of Vishnu as well as Narayan. It means, are they the same or are they different? [Even if] they grow up, there should be the same features. Is Vishnu first or is Narayan first? Who is first? (Someone said something.) Yes. Is Narayan first or is Vishnu first? (Someone said something.) Is Vishnu first? Accha! Vishnu is first. (Someone said something.) Narayan is first. Arey, a dispute has begun! Accha, what is the meaning of Narayan? Naarmeans the water of knowledge [and] ayan means house; the one who resides in the house of the water of knowledge, not outside. So now, tell me, is Narayan first or is Vishnu first? (Someone said something.) Narayan? Accha! Just now you were saying Vishnu and now you have switched over to Narayan? Accha? Who? Who is first? (Someone said something.) Narayan? Arey!
Accha, until Narayan becomes Vishnu, will he continuously remain in the water of knowledge for 24 hours or will he [sometimes] be coming out of the water of knowledge? Tell Me. He [sometimes] comes out of it. Then, is he Vishnu or Narayan? What is he? (Someone said something.) Narayan? Where does he remain in the house for 24 hours? Narayan. ‘Naar’ means the water of knowledge [and] ‘ayan’ means house. Does he remain in the water of knowledge for 24 hours? Is he the perfect Narayan or the imperfect Narayan? Arey! What is he? What will he be called? Is he imperfect or perfect? He is certainly imperfect, isn’t he? If we call him perfect, he should be fully perfect; unshakable, indestructible, immovable who doesn’t come out of it at all. So, when does he become that? When…When does he become that? (Someone said something.) Yes, when Lakshmi comes and unites with him in practical, what does he become? He becomes Vishnu, doesn’t he? So, tell Me: Is Narayan first or is Vishnu first? I don’t know? Arey brother! Will heaven be established first or will the Abode of Vishnu (Vishnulok) be established first? The Abode of Vishnu will be established [first]. There are certainly Narayans in heaven, whether it is number one [Narayan] or [the Narayans] those that come later, those with fewer celestial degrees but when will he be called Vishnu? Is it in the beginning or the end? If he is in the beginning, he is Vishnu. It is because Adinarayani (the first Narayani [Lakshmi]) is also required along with Adinarayan (the first Narayan). Otherwise, will there be the beginning of the world? There certainly won't be. So, [the picture] of Narayan is also to be made. When he grows up, he becomes Narayan.
The features should be the same. They shouldn't change. But look in the Brahmin world here, they make various, numerous features of Narayan and Krishna. This is why, these are given a warning today. Who? 'Inko' (these). 'These' means who? This Brahma Baba and also the children of Baba, the Brahmakumar-kumaris are given a warning. What warning are they given? Those who are given a warning, all the children certainly listen to it. Accha, if they don't listen to the tape [recorder], if they don't listen to the Vani, if they don't listen to these words [and] keep following [the knowledge]; What will they keep doing then? If they don’t listen [to the Vani] and continue following the knowledge, what will be the result? They will still keep making such wrong features. What? Arey, they should at least listen to what has been said carefully, why He says that the features shouldn't change, they should remain the same. But those who convert to the other religions… they will convert from the Copper Age, won't they? So, what sanskaars will come in them? The sanskaars of turning will come in them, won't they? Yes.
So, they change the features. They perform the shooting here itself. This is why, the Father says: the Father who sits and teaches; Yes. Which Father? It isn’t about any of the fathers of the 84 births or any Father from among the founders of religions. No. We should listen to what the Father teaches while sitting here; we should certainly listen to it every day. We should also listen to the Vanithrough the tape [recorder]. And we should make many listen to the tape. Why? It is because not many will listen to the Vani directly, will they? Yes. And what about the tape? You may take the tape anywhere. You may make as many people listen to it as you like. So, you should make many to listen [to the tape]. You did understand, didn’t you? You can have service done even through the tape, can’t you? Yes. It isn’t that the tape doesn’t work. No. You can carry the tape in a car and return after serving many. Arey! Can’t you get the tape repaired if it doesn’t work? (Someone said something.) Yes, you can. Have it repaired. You should keep one for yourself so that it doesn’t become non-functional. It means you should keep double [tapes]. Keep double tapes, one for yourself and the other? That doesn’t stop working; that it doesn’t stop working. Yes. There should be one for other service etc. Even if you have [other] service, if you go and listen to it from the tape, either in the morning or in the evening, it takes the same amount of time. As much time it takes here, while listening to the direct Vani, it will take the same amount of time while listening through the tape. It may take forty-five minutes or an hour.
So, you will try. Now, some will make purusharth, not everyone will do. There are many such children who do this very service. What? They record [the Vani] in the tape, take it with them and make [others] listen to it. They serve many. The children ask: What service should we do? Baba asks: Do you do this service? Carry the tape carefully everyday and... in a car or in anything... whether it is a car, a motor cycle or whatever it is. It doesn’t become non-functional. Go. Whoever wants to listen to it, if they are fond of listening, if they are lovers and those who declare... and those who also do such service. What? What does ‘to declare’ mean? A declaration is made loudly, isn’t it? Yes. Go and make them listen to it. Those who can’t come [here], make them listen to it.
Nowadays, you also go outside, so Baba asks: Do you carry the exhibition [with you]? Yes, you should also carry this with you. Why did he add ‘also’? Brother, carry the tape as well as the exhibits. So, they will listen to it very well, accurately. It is because they will see through the eyes also and listen through the ears. Although Baba says: [Listening] sanmukh (face to face), listening from this tape and listening from the Vani (paper Murli)…Which all topics? One is to listen directly from this tape and the second is to listen sanmukh. Yes. You will certainly get to listen to the Vani through the ears from the tape but you won’t be able to see [anything] through the eyes. So, three things are involved: One is [to be] sanmukh; in that [case], you can see through the eyes as well as listen through the ears. And the vibrations; You will also receive the vibrations in sanmukh [class], won’t you? Yes. You will be able to see gestures, expressions, everything face to face, won’t you? So, there is a great difference between all the three [methods]. Though, there is the TV. What is there? Even in that, you can certainly see the gestures of the eyes and hands but will there be the vibrations? There certainly won’t be the vibrations. Is there a mind and intellect inside the TV, so that it gives out vibrations? No. And in sanmukh [class], the vibrations are also present.
So, it was said: There is a vast difference between listening face to face and listening through the tape. And then, those who read out the Vani... It isn’t even the tape which would play [the Vani] accurately. Will it be [accurate]? No. It isn’t sanmukh either. So, they will sit and narrate the Vani through the paper Murli. Then, will there be even more difference or not? Yes, there will be even more difference. It is because the narrator who narrates the Vani from the paper, will he narrate it just as Baba narrates, without mixing anything [in it]? He will definitely mix one or two words to some extent or the other. So, will there be a difference or not? If you put a drop of snake poison in a pot full of milk, what will the whole [thing] turn [into]? It will turn into poison alone, won’t it? Yes. So, those who listen through the tape are second class and those who listen sanmukh are the first class. And those who listen, read or narrate to others from sheets of paper are - what? - Third class. Why? Why is it [third class]? It is because the original narrator isn’t narrating it; some other person, a duplicate (replacement), someone who mixes [his opinion] is narrating it. As regards the tape, it will certainly play accurately. There won’t be one or two words extra or less. It will take the same amount of time as much time it took for [the Vani] to play face to face and it will take the same amount of time if you listen from the tape but what will be the difference? The difference will be that those who meet face to face through the eyes, the vibrations that they catch through the mind and intellect, you won’t be able to catch them.
So, there is a vast difference between all the three [methods]. It is because you also see the expressions here. Where? What does expression mean? He makes some gestures, doesn’t He? Yes. So, you see them. And there, in the tape? You won’t be able to see anything in the tape. And there you won’t see the expressions. You won’t be able to see [the expressions] until your television emerges. When television emerges, you will be able to see the actions as well as the expressions in it. Alright, is television better, is the tape better or is reading the paper Murli better? (Someone said something.) Yes. [Listening] face to face is the best. You won’t be able to see the expressions in the tape at all. You will just get the accurate Vani to listen. Later, you will be able to see it but that becomes very expensive. What? (Someone said something.) Yes, the TV becomes very expensive. It becomes. What does mean? It means, it was said about that time, the present time [of that time]. It may become cheap in future but it was very expensive at that time, wasn’t it? Yes.
So, it becomes very costly. We can’t carry it wherever we want. A tape record is small; you can carry it [with you] and make people listen to it. Yes. So, that (TV) is also very costly. Is it costly now at present or not? No? How much does it cost? Will it be said to be costly or cheap at present? You get it in five thousand rupees. Speak up. Yes. Which TV? Colour or black and white? Which one do you get? You get a coloured one. It means black and white will be much cheaper. Nobody even asks for it. This is why, they pick it up just like that. [The seller says] Take it brother. Take it for thousand rupees. You won’t get a new tape recorder for thousand rupees. Will you? No. So look, it is a very costly thing. Why did He use ‘is’? It was said about that present time, the topic of the year 1967. But it is possible. It isn’t that it is impossible. No. It is possible. Yes.
Just like you sit and listen, similarly Baba will be sitting on the gaddi here. What was said? Just like you sit and listen face to face here, don’t you? Similarly, Baba will be sitting on the gaddi here. ‘He will be’. What was said? You will see Baba. Baba sits and narrates [the Vani]. The child will see Baba, the child will see Baba that Baba sits and narrates [the Vani]. Daughter, this is also a wonder, isn’t it? Look! Arey, there is so much enjoyment of science in today's world! Will that enjoyment be called the enjoyment of heaven? No. But will you be able to see the enjoyment of heaven? Will you be able to see the enjoyment of heaven in this world now? You certainly won’t be able to see the enjoyment of heaven. That has become past. It has become past. Then we also know that it will now certainly arrive. History repeats itself. It will come once again. So, this is also a wonder, is not it daughter? Look, how much science helps us!
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- arjun
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Re: Extracts of PBK Murlis - as narrated to the PBKs
शिवबाबा की मुरली
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2954, दिनांक 27.07.2019
VCD 2954, dated 27.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning class dated 01.12.1967
VCD-2954-Bilingual
समय- 00.01-20.13
Time- 00.01-20.13
प्रातः क्लास चल रहा था 1.12.1967. शुक्रवार को नौ पेज की तीसरी, चौथी लाइन में बात चल रही थी कि जब लगन लग जाती है तो भले खाना खाते हैं, हँ, खाना खाएंगे, बाबा की याद में खाएंगे। उठेंगे, बैठेंगे, प्रण करेंगे तो इतना कड़ा एकदम प्रण करेंगे। ऐसे बैठेंगे तो फिर बाबा की मदद जरूर मिलेगी। हाँ, ये सब कुछ होने का है। पिछाड़ी में पुरुषार्थ जरूर होते हैं। और पिछाड़ी में मजे भी बहुत होते हैं क्योंकि जैसे शुरुआत में मजा था साक्षात्कार का ऐसे तुमको पिछाड़ी में है। आदमी वो ही होंगे क्योंकि वहां भी ऐसे ही हम मलूक बनते थे। पर हमको कोई किसी की परवाह थोड़ेही रहती थी? अरे, कत्ले आम होते थे। हम क्या कर सकते हैं? कोई भी फिकर की बात नहीं थी। पिछाड़ी में तो ऐसे ही होंगे। समझा ना? क्योंकि एक बार तो देख लिया ना कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान की पार्टिशन हुई तो क्या होते थे? तो पीछे भी तो ये लड़ाई देखी ना? कैसे मारते हैं एक दो को बात मत पूछो। समझा ना? उन लोगों को क्यास-व्यास नहीं पड़ता है किसी के ऊपर। अरे, बात मत पूछो। बस, वो तो माइयां और वो छोकरियां और देखा और समझा काल आया है। हे भगवन, बस। और गला चट्ट या टांगें चट्ट या फलाना चट्ट। देखो, बहुत-बहुत खराब हुआ था।
तो वो तो कोई प्रलय तो नहीं थी। और ये जो अभी विनाश होने वाला है ये विनाश तो नहीं था ना? ये तुमको साक्षात्कार कराने के लिए तो कैसे विनाश होते हैं? ये तो तुम बच्चे जानते हो कि बिल्कुल अच्छी तरह से कि ये विनाश होने का है। और ऐसे में भी हमको बड़ा महावीर बनना है। जरा भी कहीं भी हिचकिचाना नहीं है। समझा ना? ये सब देखकरके भी हिचना-करना नहीं है। नहीं तो तुम बच्चों को मालूम है कोई को आपरेशन सिर्फ करने वाला कोई देखे तो वो हार्टफेल होकरके गिर जाते हैं। और ये-3. कौन ये? हाँ, ये खुद भी गिरा हुआ है। ये सब बाबा अनुभव की बातें सुनाते हैं। ये किसका आपरेशन होता था, देखते-देखते ये-ये गिर गया एकदम। उठाकरके खटिया, खटिया के ऊपर डाल दिया। 15 मिनट तो बेशक पड़े थे। तो है ना बरोबर।
यहां खूनी-नाहक खेल है। इसमें इतना मजबूत हो जाना चाहिए बिल्कुल ही। एकदम मजबूत। जैसे महावीर। अरे, दृष्टांत भी तो पूरा दिया हुआ है ना? और खेल भी तो यही है। ये रावण का और ये राम का। और-और दृष्टांत भी उन्हीं का दिया हुआ है। तो भई उनको कितना भी तूफान आवें, कोई भी बात होवे तो वो एकदम अडोल बैठे रहेंगे। हिलेंगे नहीं। तो ऐसे तो नहीं है कोई पैर आकरके उठाएगा। हँ? पैर उठाने तो ऐसी बात वरी पैर उठाकरके घिसकरके ले जावे। नहीं। ये बाप बैठकरके समझाते हैं कि कितना भी तूफान माया का आवे, संकल्प जैसे तुम कहते हो ना बाबा स्वप्न आते हैं, ये आते हैं, वो आते हैं। ढ़ेर और अथाह और दिन प्रतिदिन वृद्धि को पाते जाएंगे। क्योंकि तुम पहलवान बनते जाएंगे तो माया भी पहलवान बनती जाएगी। ये तो समझते हो ना पहलवान पहलवान से लड़ेंगे, सेकण्ड सेकण्ड से, थर्ड थर्ड से। तो ये सुनते हो, अखबार में भी सुनते हो। और ये भी ऐसे ही है। जितना तुम पहलवान बनेंगे माया भी पहलवान बनेगी। तो पिछाड़ी को देखो ना? एक का ये दृष्टांत दे दिया कि भई अचल-अचल, अडोल रहा। है ना? और आग भी लग गई। समझे ना?
तो देखो, कितना अच्छा दृष्टांत बनाया है! परन्तु कोई समझे ना? बाप बैठकरके समझाते हैं अच्छी तरह से कि क्या होता है पिछाड़ी में? तो तुमको भी ऐसा महावीर बनना है। और उनकी यादगार यहां खड़ी है। ये यादगार तो एक्यूरेट है बिल्कुल ही। तो महावीर का ही तो चित्र दिया है ना? तो महावीर वो ही तो ब्रह्मा है ना? हँ? दूसरी तो कोई चीज़ नहीं है। वो ही आदि देव है। नाम ढ़ेर रख दिये हैं। जैसे शास्त्रों में लिख दिया है। हँ? क्या? एको सद्विप्रा बहुधा वदन्ती। है एक ही। तो वो ही आदि देव है। नाम ढ़ेर रखा है। अच्छा, आओ बच्ची। ये तभी तो गाया जाता है ना ज्ञान का सागर है। जनम बाई जनम कहते आए हो ज्ञान का सागर। एक दिन तो जरूर वो ज्ञान का सागर पढ़ाएंगे ना? पढ़ाएंगे जो बंद हो जावे मूथ। हँ? कहने का भी, स्तुति करने का भी। जिसमें, जिसमें गुण हैं। तुम्हारे में भी अच्छा लगता है। वो जो किसको बैठकरके और, और सिखलाते हैं। ये तो ठीक है ना? मीठा लगेगा बहुत। और बाबा भी यहां देखते रहेंगे ये कौन हैं जो बहुतों को जाकरके ये, ये सुनाते हैं। और बहुत अच्छा-अच्छा करके बनाकरके ले आते हैं। साथ में ले आते हैं। तो जितना साथ में ले आएंगे उतना बाबा कहेंगे अच्छी मेहनत करती है। बाबा ऐसे नहीं कहते हैं कि जो ले आती है वो अच्छी मेहनत करती है। वो नहीं करते हैं। नहीं। जिनको फिर ले आती है वो फिर उनसे भी अच्छे चले जाते हैं। हाँ। ये ऐसे-ऐसे बहुत-बहुत हैं ऐसे जो सीखते हैं। तो वो सिखलाने वाले से भी तीखे हो जाते हैं। कहते हैं ना गुरु गुड़ रह गए चेला शक्कर हो गए।
तो ये बातें सिर्फ तुम जानते हो। रमेश, ऊषा, अरे, ये अभी तो आए हैं। हँ? तो देखो, कितनों से तीखा जाते हैं। उनकी पुकार पड़ती है। हँ? उनको भेज दियो। उनको भेज दियो। होते हैं ना बच्ची। नए-नए को, भई सुदेश है, फलाना है। ये तो नए हैं ना सब। अब ये भी तो नया है। इनको कितने बुलाते हैं। मेल को भी। फलाने को भेज दियो। क्यों भई? ये आकरके सर्विस करेगी। हँ। दोनों मिलकरके सजाएंगे। तो वो सजाने का काम भी करेंगे। तो आलराउंड सर्विस वाला चाहिए। कौन दोनों की बात हो रही है? हँ? ऊषा- रमेश की बात हो रही है। हँ? बाबा तो हद में भी बोलते हैं तो बेहद में भी बोलते हैं। हँ? बेहद में क्या? हँ? बेहद में ऊषा कहते हैं जब सूरज निकलता है तो पहले लाल-लाल लालिमा ऊषा निकलती है। फिर बताया रमेश साथ में। रमा का ईश। रमा माने? पार्वती। और उसका ईश माने स्वामी। कौन? शंकरजी। तो शंकर-पार्वती की बात बताय रहे हैं, नाम लिया रमेश ऊषा का। हँ? हाँ। कहां के हैं? हाँ, सभी समझेंगे हां बाम्बे के हैं। तो बेहद में भी तो हर-हर बम-बम लगा हुआ है ना? नहीं लगा है? लगा है।
तो ऐसे आलराउंड सर्विस वाले चाहिए। ऐसे बहुत भाषाएं सीखने वाले का मान देते हैं। ऐसे आलराउंड सर्विस करने के बाद जो काम आए। बाड़े का काम आए तो बाड़े का लगाय दिया। तो आलराउंड। इन बच्चों से पूछो कि आलराउंड मम्मा-बाबा भी काम करते थे ना? हँ? क्या? हां, ये लोग क्या करते थे? मम्मा-बाबा इस्त्री करते थे। हाँ, कपड़ों पे प्रेस की जाती है ना? हँ। पहले मम्मा-बाबा जाते थे। बर्तन भी मांजते थे। तो मम्मा-बाबा जाते थे। तो वो जाकरके करते थे। क्यों? क्यों करते थे ऐसे? कि जैसे हम कर्म करेंगे हमें देख और बच्चे भी फालो करेंगे। और भी करने लग पड़ेंगे। तो ये करना पड़े ना बच्चे। सिखलाना भी होता है। तो इनको भी देखो सिखलाते हैं ना? जैसा कर्म इनकी मां या इनको सिखलाएंगे। अभी कल इनको देंगे थाली। या आपे ही लेकरके, जाकरके सबको देंगे। और पीछे एक दफा नहीं तो दूसरी दफा ट्राइ करेंगे। पर देखने में ऐसे आते हैं क्योंकि बच्चे-बच्चे भी होते हैं ना? कोई तो फट से सीख जाते हैं। कोई को फिर लंबा टाइम लगता है। कोई तो सीखते ही नहीं। अच्छा, मीठे-मीठे, रूहानी, सीकिलधे बच्चों प्रति रूहानी बाप व दादा का दिल व जान, सिक और प्रेम से यादप्यार, गुडमार्निंग। बच्चों प्रति रूहानी बाप की नमस्ते। ओमशान्ति। 27 तारीख हो गई? (समाप्त)
A morning classdated 1.12.1967 was being narrated. The topic being discussed in the third, fourth line of the ninth page on Friday was that when one develops devotion, then although you eat, hm, when you eat, you will eat in Baba’s remembrance. When you stand, when you sit, when you take a vow, then you will take such a strong vow. When you sit like this, then you will definitely get Baba’s help. Yes, all this is going to happen. In the end purusharth definitely takes place. And in the end there will be a lot of enjoyment also because just as there was enjoyment of visions (saakshaatkaar) in the beginning, similarly you will have in the end. The persons will be the same because there also we used to become hunters (malook) like this only. But did we used to care for anyone? Arey, there used to be mass bloodshed. What can we do? There was no topic of worry. In the end it will be like this only. You have understood, haven’t you? It is because you have seen once, haven’t you that when the partition of Hindustan-Pakistan took place, then what used to happen? So, you have seen this fight in the past also, haven’t you? How they kill each other, just don’t ask. You have understood, haven’t you? Those people don’t feel pity on anyone. Arey, just don’t ask. That is it; those mothers and those virgins and when they saw, they thought that our death has arrived. O God! That is it. And they cut the throat or cut the legs or cut some other organ. Look, very, very bad things happened.
So, that was not pralai (inundation of the world). And this destruction that is going to take place now, it was not this destruction, was it? You are made to have visions of how destruction takes place. You children know very nicely that this destruction is to take place. And in such situations also we have to become very brave (Mahaveer). You should not hesitate even a little anywhere. You have understood, haven’t you? You should not hesitate even after seeing all this. Otherwise, you children know if anyone just sees an operation (surgery) being conducted, he falls down due to heart failure. And this, this, this; who this? Yes, this one himself has also fallen. Baba narrates all these topics of experience. If anyone’s operation is taking place, then he used to fall just on watching. He used to be lifted and put on a cot. He was lying [unconscious] certainly for 15 minutes. So, it is right, isn’t it?
Here it is an unnecessary bloodshed. You should become so strong in this completely. Completely strong. Just like Mahavir. Arey, an example has also been given completely, hasn’t it been? And the drama is also this only. Of this Ravan and of this Ram. And, and the example is also given about them only. So, brother, howevermuch storm he faces, whatever thing happens, he will sit completely unshakeable. They will not shake. So, it is not as if someone will come and lift your leg. Hm? The topic of lifting the leg that someone will lift your leg and pull it away. No. This Father sits and explains that howevermuch storms, thoughts of Maya you may face, for example you say, don’t you that Baba, we get dreams, we face this, we face that. Numerous and immeasurable and day by day they will go on increasing. It is because you will go on becoming strong (pehelwaan), then Maya will also go on becoming strong. You understand that a wrestler (pehelwaan) will fight with a wrestler, second one with the second one, third one with the third one. So, you hear this, you hear from the newspapers also. And this is also like this only. Maya will also become as strong as you become. So, look at the end, will you not? An example of one [Angad, a character from the epic Ramayana] was given that brother he remained unshakeable, immovable. Is it not? And he was set on fire as well. You have understood, haven’t you?
So, look, such a nice instance has been made! But someone should understand, shouldn’t they? The Father sits and explains nicely as to what happens in the end. So, you too have to become such Mahavirs (bravest ones). And their memorial is standing here. This memorial is completely accurate. So, Mahavir’s picture has only been given, hasn’t it been? So, Mahavir himself is Brahma, isn’t he? Hm? It is no other thing. It is the same Aadi Dev (the first deity). Numerous names have been coined. For example, it has been written in the scriptures. Hm? What? Eko sadvipra bahudha vadanti. He is only one. So, he alone is Aadi Dev. Numerous names have been coined [for him]. Achcha, come daughter. That is why it is sung, isn’t it that He is the ocean of knowledge? You have been calling the ocean of knowledge birth by birth. One day that ocean of knowledge will definitely teach, will He not? He will teach so that the mooth closes. Hm? That of saying as well as praising. The one, the one in whom there are virtues. Even among you it looks nice. Those who sit and, and explain to someone. This is correct, isn’t it? It will appear very sweet. And Baba will also keep on seeing here as to who are these who go and narrate this, this to many. And they make them very nice ones and bring them. They bring them with themselves. So, the more they bring with themselves, Baba will say that she works hard. Baba does not say that the one who brings works hard nicely. They don’t do. No. Those whom she brings, they then become better than them [the teachers]. Yes. There are many, many such persons who learn. So, they become sharper [cleverer] than the teachers. It is said, isn’t it that the guru remained jaggery and the disciple became sugar.
So, you alone know these topics. Ramesh, Usha, arey, they have come just now. Hm? So, look, they go faster than so many people. They are called. Hm? Send them [to us for service]. Send them. It happens, doesn’t it daughter? New ones, there is Sudesh, there is such and such person. All these are new ones, aren’t they? Well, this one is also new. So many call this one. Even the male. Send such and such person. Why brother? She will come and do service. Hm. Both will together decorate. So, they will perform the task of decorating also. So, a person fit for all-round service is required. The topic of which two persons is being discussed? Hm? The topic of Usha and Ramesh is being discussed. Hm? Baba speaks in a limited sense as well as in an unlimited sense. Hm? What in an unlimited form? Hm? Usha in unlimited sense is said to be when the Sun rises then initially the red light called laalima emerges. Then it was told that Ramesh is with her. Rama’s Eesh (lord). What is meant by Rama? Parvati. And her Eesh, i.e. Lord (husband). Who? Shankarji. So, the topic of Shankar Parvati is being told that the name of Ramesh and Usha was mentioned. Hm? Yes. They belong to which place? Yes, everyone will understand that yes, they belong to Bombay. So, even in an unlimited sense, Har-Har, Bam-Bam is attached, isn’t it? Isn’t it attached? It is attached.
So, such persons who can do all-round service are required. People who learn many languages are given respect. After doing all-round service, whichever task arrives. If the task of cattle enclave is there then they are engaged in that task. So, all-round. Ask these children that Mama and Baba also used to do all-round work, didn’t they? Hm? What? Yes, what did these people used to do? Mama Baba used to iron (press) the clothes. Yes, clothes are pressed, aren’t they? Hm. Earlier Mama-Baba used to go. They even used to clean the utensils. So, Mama-Baba used to go. So, they used to go and do. Why? Why did they used to do like this? So that whatever kind of actions we perform, other children will also observe us and follow us. Others will also start doing. So, children, you will have to do this, will you not? You also have to teach. So, look at these, they are also taught, aren’t they? Whatever action her mother or she is taught. Well, tomorrow they will be given a plate. Or they will go and pick-up on their own and give to everyone. And later if not once, they will try another time. But it is observed like this because there are children, children also, aren’t they there? Some learn immediately. Some take a long time. Some don’t learn at all. Achcha, remembrance, love and good morning of the spiritual Father and Dada from their heart and life, love and affection to the sweet, sweet, spiritual, seekiladhey (children reunited with parents after a long gap) children. Spiritual Father’s namaste to the children. Om Shanti. Is it 27th? (End)
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नोटः यह केवल एक प्रारूप है। उक्त वीसीडी के संपूर्ण मूल पाठ या मूल आडियो, वीडियो के लिए www.adhyatmik-vidyalaya.com देखिये।
Note: This is just a draft. For the complete text, Audio and Video of the above VCD please visit – www.adhyatmik-vidyalaya.com
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2954, दिनांक 27.07.2019
VCD 2954, dated 27.07.2019
प्रातः क्लास 01.12.1967
Morning class dated 01.12.1967
VCD-2954-Bilingual
समय- 00.01-20.13
Time- 00.01-20.13
प्रातः क्लास चल रहा था 1.12.1967. शुक्रवार को नौ पेज की तीसरी, चौथी लाइन में बात चल रही थी कि जब लगन लग जाती है तो भले खाना खाते हैं, हँ, खाना खाएंगे, बाबा की याद में खाएंगे। उठेंगे, बैठेंगे, प्रण करेंगे तो इतना कड़ा एकदम प्रण करेंगे। ऐसे बैठेंगे तो फिर बाबा की मदद जरूर मिलेगी। हाँ, ये सब कुछ होने का है। पिछाड़ी में पुरुषार्थ जरूर होते हैं। और पिछाड़ी में मजे भी बहुत होते हैं क्योंकि जैसे शुरुआत में मजा था साक्षात्कार का ऐसे तुमको पिछाड़ी में है। आदमी वो ही होंगे क्योंकि वहां भी ऐसे ही हम मलूक बनते थे। पर हमको कोई किसी की परवाह थोड़ेही रहती थी? अरे, कत्ले आम होते थे। हम क्या कर सकते हैं? कोई भी फिकर की बात नहीं थी। पिछाड़ी में तो ऐसे ही होंगे। समझा ना? क्योंकि एक बार तो देख लिया ना कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान की पार्टिशन हुई तो क्या होते थे? तो पीछे भी तो ये लड़ाई देखी ना? कैसे मारते हैं एक दो को बात मत पूछो। समझा ना? उन लोगों को क्यास-व्यास नहीं पड़ता है किसी के ऊपर। अरे, बात मत पूछो। बस, वो तो माइयां और वो छोकरियां और देखा और समझा काल आया है। हे भगवन, बस। और गला चट्ट या टांगें चट्ट या फलाना चट्ट। देखो, बहुत-बहुत खराब हुआ था।
तो वो तो कोई प्रलय तो नहीं थी। और ये जो अभी विनाश होने वाला है ये विनाश तो नहीं था ना? ये तुमको साक्षात्कार कराने के लिए तो कैसे विनाश होते हैं? ये तो तुम बच्चे जानते हो कि बिल्कुल अच्छी तरह से कि ये विनाश होने का है। और ऐसे में भी हमको बड़ा महावीर बनना है। जरा भी कहीं भी हिचकिचाना नहीं है। समझा ना? ये सब देखकरके भी हिचना-करना नहीं है। नहीं तो तुम बच्चों को मालूम है कोई को आपरेशन सिर्फ करने वाला कोई देखे तो वो हार्टफेल होकरके गिर जाते हैं। और ये-3. कौन ये? हाँ, ये खुद भी गिरा हुआ है। ये सब बाबा अनुभव की बातें सुनाते हैं। ये किसका आपरेशन होता था, देखते-देखते ये-ये गिर गया एकदम। उठाकरके खटिया, खटिया के ऊपर डाल दिया। 15 मिनट तो बेशक पड़े थे। तो है ना बरोबर।
यहां खूनी-नाहक खेल है। इसमें इतना मजबूत हो जाना चाहिए बिल्कुल ही। एकदम मजबूत। जैसे महावीर। अरे, दृष्टांत भी तो पूरा दिया हुआ है ना? और खेल भी तो यही है। ये रावण का और ये राम का। और-और दृष्टांत भी उन्हीं का दिया हुआ है। तो भई उनको कितना भी तूफान आवें, कोई भी बात होवे तो वो एकदम अडोल बैठे रहेंगे। हिलेंगे नहीं। तो ऐसे तो नहीं है कोई पैर आकरके उठाएगा। हँ? पैर उठाने तो ऐसी बात वरी पैर उठाकरके घिसकरके ले जावे। नहीं। ये बाप बैठकरके समझाते हैं कि कितना भी तूफान माया का आवे, संकल्प जैसे तुम कहते हो ना बाबा स्वप्न आते हैं, ये आते हैं, वो आते हैं। ढ़ेर और अथाह और दिन प्रतिदिन वृद्धि को पाते जाएंगे। क्योंकि तुम पहलवान बनते जाएंगे तो माया भी पहलवान बनती जाएगी। ये तो समझते हो ना पहलवान पहलवान से लड़ेंगे, सेकण्ड सेकण्ड से, थर्ड थर्ड से। तो ये सुनते हो, अखबार में भी सुनते हो। और ये भी ऐसे ही है। जितना तुम पहलवान बनेंगे माया भी पहलवान बनेगी। तो पिछाड़ी को देखो ना? एक का ये दृष्टांत दे दिया कि भई अचल-अचल, अडोल रहा। है ना? और आग भी लग गई। समझे ना?
तो देखो, कितना अच्छा दृष्टांत बनाया है! परन्तु कोई समझे ना? बाप बैठकरके समझाते हैं अच्छी तरह से कि क्या होता है पिछाड़ी में? तो तुमको भी ऐसा महावीर बनना है। और उनकी यादगार यहां खड़ी है। ये यादगार तो एक्यूरेट है बिल्कुल ही। तो महावीर का ही तो चित्र दिया है ना? तो महावीर वो ही तो ब्रह्मा है ना? हँ? दूसरी तो कोई चीज़ नहीं है। वो ही आदि देव है। नाम ढ़ेर रख दिये हैं। जैसे शास्त्रों में लिख दिया है। हँ? क्या? एको सद्विप्रा बहुधा वदन्ती। है एक ही। तो वो ही आदि देव है। नाम ढ़ेर रखा है। अच्छा, आओ बच्ची। ये तभी तो गाया जाता है ना ज्ञान का सागर है। जनम बाई जनम कहते आए हो ज्ञान का सागर। एक दिन तो जरूर वो ज्ञान का सागर पढ़ाएंगे ना? पढ़ाएंगे जो बंद हो जावे मूथ। हँ? कहने का भी, स्तुति करने का भी। जिसमें, जिसमें गुण हैं। तुम्हारे में भी अच्छा लगता है। वो जो किसको बैठकरके और, और सिखलाते हैं। ये तो ठीक है ना? मीठा लगेगा बहुत। और बाबा भी यहां देखते रहेंगे ये कौन हैं जो बहुतों को जाकरके ये, ये सुनाते हैं। और बहुत अच्छा-अच्छा करके बनाकरके ले आते हैं। साथ में ले आते हैं। तो जितना साथ में ले आएंगे उतना बाबा कहेंगे अच्छी मेहनत करती है। बाबा ऐसे नहीं कहते हैं कि जो ले आती है वो अच्छी मेहनत करती है। वो नहीं करते हैं। नहीं। जिनको फिर ले आती है वो फिर उनसे भी अच्छे चले जाते हैं। हाँ। ये ऐसे-ऐसे बहुत-बहुत हैं ऐसे जो सीखते हैं। तो वो सिखलाने वाले से भी तीखे हो जाते हैं। कहते हैं ना गुरु गुड़ रह गए चेला शक्कर हो गए।
तो ये बातें सिर्फ तुम जानते हो। रमेश, ऊषा, अरे, ये अभी तो आए हैं। हँ? तो देखो, कितनों से तीखा जाते हैं। उनकी पुकार पड़ती है। हँ? उनको भेज दियो। उनको भेज दियो। होते हैं ना बच्ची। नए-नए को, भई सुदेश है, फलाना है। ये तो नए हैं ना सब। अब ये भी तो नया है। इनको कितने बुलाते हैं। मेल को भी। फलाने को भेज दियो। क्यों भई? ये आकरके सर्विस करेगी। हँ। दोनों मिलकरके सजाएंगे। तो वो सजाने का काम भी करेंगे। तो आलराउंड सर्विस वाला चाहिए। कौन दोनों की बात हो रही है? हँ? ऊषा- रमेश की बात हो रही है। हँ? बाबा तो हद में भी बोलते हैं तो बेहद में भी बोलते हैं। हँ? बेहद में क्या? हँ? बेहद में ऊषा कहते हैं जब सूरज निकलता है तो पहले लाल-लाल लालिमा ऊषा निकलती है। फिर बताया रमेश साथ में। रमा का ईश। रमा माने? पार्वती। और उसका ईश माने स्वामी। कौन? शंकरजी। तो शंकर-पार्वती की बात बताय रहे हैं, नाम लिया रमेश ऊषा का। हँ? हाँ। कहां के हैं? हाँ, सभी समझेंगे हां बाम्बे के हैं। तो बेहद में भी तो हर-हर बम-बम लगा हुआ है ना? नहीं लगा है? लगा है।
तो ऐसे आलराउंड सर्विस वाले चाहिए। ऐसे बहुत भाषाएं सीखने वाले का मान देते हैं। ऐसे आलराउंड सर्विस करने के बाद जो काम आए। बाड़े का काम आए तो बाड़े का लगाय दिया। तो आलराउंड। इन बच्चों से पूछो कि आलराउंड मम्मा-बाबा भी काम करते थे ना? हँ? क्या? हां, ये लोग क्या करते थे? मम्मा-बाबा इस्त्री करते थे। हाँ, कपड़ों पे प्रेस की जाती है ना? हँ। पहले मम्मा-बाबा जाते थे। बर्तन भी मांजते थे। तो मम्मा-बाबा जाते थे। तो वो जाकरके करते थे। क्यों? क्यों करते थे ऐसे? कि जैसे हम कर्म करेंगे हमें देख और बच्चे भी फालो करेंगे। और भी करने लग पड़ेंगे। तो ये करना पड़े ना बच्चे। सिखलाना भी होता है। तो इनको भी देखो सिखलाते हैं ना? जैसा कर्म इनकी मां या इनको सिखलाएंगे। अभी कल इनको देंगे थाली। या आपे ही लेकरके, जाकरके सबको देंगे। और पीछे एक दफा नहीं तो दूसरी दफा ट्राइ करेंगे। पर देखने में ऐसे आते हैं क्योंकि बच्चे-बच्चे भी होते हैं ना? कोई तो फट से सीख जाते हैं। कोई को फिर लंबा टाइम लगता है। कोई तो सीखते ही नहीं। अच्छा, मीठे-मीठे, रूहानी, सीकिलधे बच्चों प्रति रूहानी बाप व दादा का दिल व जान, सिक और प्रेम से यादप्यार, गुडमार्निंग। बच्चों प्रति रूहानी बाप की नमस्ते। ओमशान्ति। 27 तारीख हो गई? (समाप्त)
A morning classdated 1.12.1967 was being narrated. The topic being discussed in the third, fourth line of the ninth page on Friday was that when one develops devotion, then although you eat, hm, when you eat, you will eat in Baba’s remembrance. When you stand, when you sit, when you take a vow, then you will take such a strong vow. When you sit like this, then you will definitely get Baba’s help. Yes, all this is going to happen. In the end purusharth definitely takes place. And in the end there will be a lot of enjoyment also because just as there was enjoyment of visions (saakshaatkaar) in the beginning, similarly you will have in the end. The persons will be the same because there also we used to become hunters (malook) like this only. But did we used to care for anyone? Arey, there used to be mass bloodshed. What can we do? There was no topic of worry. In the end it will be like this only. You have understood, haven’t you? It is because you have seen once, haven’t you that when the partition of Hindustan-Pakistan took place, then what used to happen? So, you have seen this fight in the past also, haven’t you? How they kill each other, just don’t ask. You have understood, haven’t you? Those people don’t feel pity on anyone. Arey, just don’t ask. That is it; those mothers and those virgins and when they saw, they thought that our death has arrived. O God! That is it. And they cut the throat or cut the legs or cut some other organ. Look, very, very bad things happened.
So, that was not pralai (inundation of the world). And this destruction that is going to take place now, it was not this destruction, was it? You are made to have visions of how destruction takes place. You children know very nicely that this destruction is to take place. And in such situations also we have to become very brave (Mahaveer). You should not hesitate even a little anywhere. You have understood, haven’t you? You should not hesitate even after seeing all this. Otherwise, you children know if anyone just sees an operation (surgery) being conducted, he falls down due to heart failure. And this, this, this; who this? Yes, this one himself has also fallen. Baba narrates all these topics of experience. If anyone’s operation is taking place, then he used to fall just on watching. He used to be lifted and put on a cot. He was lying [unconscious] certainly for 15 minutes. So, it is right, isn’t it?
Here it is an unnecessary bloodshed. You should become so strong in this completely. Completely strong. Just like Mahavir. Arey, an example has also been given completely, hasn’t it been? And the drama is also this only. Of this Ravan and of this Ram. And, and the example is also given about them only. So, brother, howevermuch storm he faces, whatever thing happens, he will sit completely unshakeable. They will not shake. So, it is not as if someone will come and lift your leg. Hm? The topic of lifting the leg that someone will lift your leg and pull it away. No. This Father sits and explains that howevermuch storms, thoughts of Maya you may face, for example you say, don’t you that Baba, we get dreams, we face this, we face that. Numerous and immeasurable and day by day they will go on increasing. It is because you will go on becoming strong (pehelwaan), then Maya will also go on becoming strong. You understand that a wrestler (pehelwaan) will fight with a wrestler, second one with the second one, third one with the third one. So, you hear this, you hear from the newspapers also. And this is also like this only. Maya will also become as strong as you become. So, look at the end, will you not? An example of one [Angad, a character from the epic Ramayana] was given that brother he remained unshakeable, immovable. Is it not? And he was set on fire as well. You have understood, haven’t you?
So, look, such a nice instance has been made! But someone should understand, shouldn’t they? The Father sits and explains nicely as to what happens in the end. So, you too have to become such Mahavirs (bravest ones). And their memorial is standing here. This memorial is completely accurate. So, Mahavir’s picture has only been given, hasn’t it been? So, Mahavir himself is Brahma, isn’t he? Hm? It is no other thing. It is the same Aadi Dev (the first deity). Numerous names have been coined. For example, it has been written in the scriptures. Hm? What? Eko sadvipra bahudha vadanti. He is only one. So, he alone is Aadi Dev. Numerous names have been coined [for him]. Achcha, come daughter. That is why it is sung, isn’t it that He is the ocean of knowledge? You have been calling the ocean of knowledge birth by birth. One day that ocean of knowledge will definitely teach, will He not? He will teach so that the mooth closes. Hm? That of saying as well as praising. The one, the one in whom there are virtues. Even among you it looks nice. Those who sit and, and explain to someone. This is correct, isn’t it? It will appear very sweet. And Baba will also keep on seeing here as to who are these who go and narrate this, this to many. And they make them very nice ones and bring them. They bring them with themselves. So, the more they bring with themselves, Baba will say that she works hard. Baba does not say that the one who brings works hard nicely. They don’t do. No. Those whom she brings, they then become better than them [the teachers]. Yes. There are many, many such persons who learn. So, they become sharper [cleverer] than the teachers. It is said, isn’t it that the guru remained jaggery and the disciple became sugar.
So, you alone know these topics. Ramesh, Usha, arey, they have come just now. Hm? So, look, they go faster than so many people. They are called. Hm? Send them [to us for service]. Send them. It happens, doesn’t it daughter? New ones, there is Sudesh, there is such and such person. All these are new ones, aren’t they? Well, this one is also new. So many call this one. Even the male. Send such and such person. Why brother? She will come and do service. Hm. Both will together decorate. So, they will perform the task of decorating also. So, a person fit for all-round service is required. The topic of which two persons is being discussed? Hm? The topic of Usha and Ramesh is being discussed. Hm? Baba speaks in a limited sense as well as in an unlimited sense. Hm? What in an unlimited form? Hm? Usha in unlimited sense is said to be when the Sun rises then initially the red light called laalima emerges. Then it was told that Ramesh is with her. Rama’s Eesh (lord). What is meant by Rama? Parvati. And her Eesh, i.e. Lord (husband). Who? Shankarji. So, the topic of Shankar Parvati is being told that the name of Ramesh and Usha was mentioned. Hm? Yes. They belong to which place? Yes, everyone will understand that yes, they belong to Bombay. So, even in an unlimited sense, Har-Har, Bam-Bam is attached, isn’t it? Isn’t it attached? It is attached.
So, such persons who can do all-round service are required. People who learn many languages are given respect. After doing all-round service, whichever task arrives. If the task of cattle enclave is there then they are engaged in that task. So, all-round. Ask these children that Mama and Baba also used to do all-round work, didn’t they? Hm? What? Yes, what did these people used to do? Mama Baba used to iron (press) the clothes. Yes, clothes are pressed, aren’t they? Hm. Earlier Mama-Baba used to go. They even used to clean the utensils. So, Mama-Baba used to go. So, they used to go and do. Why? Why did they used to do like this? So that whatever kind of actions we perform, other children will also observe us and follow us. Others will also start doing. So, children, you will have to do this, will you not? You also have to teach. So, look at these, they are also taught, aren’t they? Whatever action her mother or she is taught. Well, tomorrow they will be given a plate. Or they will go and pick-up on their own and give to everyone. And later if not once, they will try another time. But it is observed like this because there are children, children also, aren’t they there? Some learn immediately. Some take a long time. Some don’t learn at all. Achcha, remembrance, love and good morning of the spiritual Father and Dada from their heart and life, love and affection to the sweet, sweet, spiritual, seekiladhey (children reunited with parents after a long gap) children. Spiritual Father’s namaste to the children. Om Shanti. Is it 27th? (End)
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Re: Extracts of PBK Murlis - as narrated to the PBKs
शिवबाबा की मुरली
ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2955, दिनांक 28.07.2019
VCD 2955, dated 28.07.2019
रात्रि क्लास 01.12.1967
Night Class dated 01.12.1967
VCD-2955-extracts-Bilingual
समय- 00.01-14.52
Time- 00.01-14.52
आज का रात्रि क्लास है - 1.12.1967. आते हैं ओपनिंग करने। कौन आते हैं? कौन आते हैं ओपनिंग करने? अरे? कोई आते हैं? कीड़े-मकोड़े, देव, दैत्य? (किसी ने कुछ कहा।) शिवबाबा ओपनिंग करने आते हैं? अच्छा? करवाते नहीं हैं? शिवबाबा कुछ करते हैं? करता है? हँ? (किसी ने कुछ कहा।) सदा? सदा कायम है? हम कर्ता की बात पूछ रहे हैं वो कायम की बात कर रहे। शिवबाबा कुछ करता है? (किसी ने कुछ कहा।) सदा कायम है। (बोलने वाले को कहाः) कहां बुद्धि रहती है? शिवबाबा कायम है। अरे, संगमयुग में, कम से कम पुरुषोत्तम संगमयुग में तो सुप्रीम सोल को याद करो। वो सदाकाल रहता है इस सृष्टि पर? रहता है? (किसी ने कुछ कहा।) फिर? सदा कायम? अरे, वो जब चला जाए तो आप समान जिसको बनाय देता है उसको कहेंगे सदा कायम। तो वो डुप्लिकेट चीज़ हुई या असली हुई? डुप्लिकेट हुई। तो कौन आते हैं ओपनिंग करने? नहीं पता। अरे, दुनिया के बड़े-बड़े आदमी आते हैं ओपनिंग करने। हद की प्रदर्शनी हो, हद का म्यूजियम हो, हद का सेंटर हो। बीके में आते थे ना? हाँ। एडवांस में तो दुनियादारी वालों को घास नहीं डालते। घास डालते हैं? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ। बुलाते हैं? कि भई प्राइम मिनिस्टर आइयो, हँ, कॉन्फ्रेन्स की ओपनिंग कराइयो। बुलाते हैं? बिल्कुल नहीं बुलाते।
तो दुनिया के जो बड़े-बड़े आदमी हैं ब्रह्मा बाबा की दृष्टि में वो ओपनिंग करने आते हैं। और तुम्हारी दृष्टि में कौन ओपनिंग करने आएगा? हम तो बेहद के बच्चे हैं। बेहद का बाप है। तो ओपनिंग करने कौन आते हैं? फिर बताया – या ओपिनियन लिखने। ओपनिंग करने आते हैं या फिर उनसे लिखवाओ। हां। लिखने के लिए आते हैं। ओपिनियन लिखने। लिखो भई। लिखेंगे ये? ये लिखेंगे? (किसी ने कुछ कहा।) अरे, तो फिर काहे के लिए लिख दिया? दुनियावी लोग? बड़े-बड़े आदमियों की बात की। उसका सब नाम चाहिए। किसका? जो भी बड़ा आदमी ओपनिंग करने आए, ओपिनियन लिखने आए उसका सब नाम चाहिए। सब नाम माने? टाइटल नेम भी चाहिए। और जो असली नेम है वो भी चाहिए। और आईडी प्रूफ सारा चाहिए कि नहीं? हाँ। सब नाम चाहिए। उसके ऊपर। किसके ऊपर? अरे, ओपिनियन के ऊपर सब कुछ चाहिए उनका आईडी प्रूफ। और चित्र तो कल दे देना तुमको। हँ? हाँ। तो जो बाजे वाला है ना, हँ, अलबम। हां। तो बाजा भी सुनेंगे। अलबम भी देखेंगे। परन्तु जब लगा होवे तो देखेंगे। तब ये कौन खोलते हैं? जो भी खोलते हैं ओपनिंग करने वाले सब नाम उसके ऊपर चित्र के हरेक के नीचे लिखो, लिखवाओ। जैसे अखबार में डालते हैं ना? डालते हैं ना? हाँ। फ्रम लेफ्ट टू राइट। है ना? लेफ्ट टू राइट डालते हैं या फ्रम लेफ्ट टू राइट कौन-कौन हैं उसे डालते हैं। नंबरवार हैं ना? हँ।
तो म्यूजियम का किताब अगर छप जाए; बहुत दफा बाबा ने लिखा है। तो कहां भी जहां विरोधी बहुत हैं ना? हाँ। और विरोधी तो इस दुनिया में बाबा आते हैं, जो ज्ञान सुनाते हैं, नई बातें सुनाते हैं ना? तो विरोधी तो दुनिया में होते ही हैं कि नहीं? होते हैं। और एक-दो विरोधी नहीं होते हैं। क्या कहा? कितने होते हैं विरोधी? कुछ पता है? नहीं पता? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, सारी दुनिया विरोधी है। सारी दुनिया में कितने आ गए? (किसी ने कुछ कहा।) 750 लोग? (किसी ने कुछ कहा।) 7500? (किसी ने कुछ कहा।) 7500? अरे? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, 750 करोड़। माना 500-700 करोड़ जितने भी मनुष्य मात्र इस दुनिया में हैं सारी दुनिया विरोधी है। अरे, ये क्या कह दिया? सारी दुनिया में बीके, पीबीके नहीं हैं क्या? वो सब विरोधी हैं? (किसी ने कुछ कहा।) वो विरोधी नहीं? बाबा झूठ बोलता है। झूठ बोलता है क्या? (किसी ने कुछ कहा।) फिर? क्यों ऐसे कह दिया सब विरोधी हैं, सारी दुनिया विरोधी है?
और विरोधी, विरोध किसका? विरोधी है, विरोध करते हैं, तो किसका विरोध करते हैं? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, जिसमें प्रवेश करते हैं उसका विरोध करते हैं। भई निराकार को तो सब मानते हैं। मानते कि नहीं? दूसरे धरम वाले भी निराकार और भारतवासी भी निराकार को मानते हैं कि नहीं? मानते हैं। बाकि विरोध किसका? सारी दुनिया विरोधी है। हाँ, समझ गए कि नहीं? किसका? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, जो मुकर्रर रथधारी है उसका सारी दुनिया विरोधी बनती है। हाँ। बाप के साथ। कौनसे बाप के साथ? अरे, मुकर्रर रथ में कोई है कि नहीं और? कि मुकर्रर रथधारी आत्मा ही है? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, शिव है ना सुप्रीम सोल? परमपिता है ना? उससे ऊँचा कोई पिता है? नहीं। तो वो परमपिता के साथ, उस मुकर्रर रथधारी का सारी दुनिया विरोधी बनती है। आगे या पीछे। माया किसी को छोड़ती है? माया किसी को छोड़ती नहीं है।
हाँ, ये कहेंगे कि ब्राह्मणों के बिगर सारी दुनिया विरोधी है। फिर कौन हुए ब्राह्मण? और ब्राह्मणों में भी दो तरह के बता दिये। कौन-कौन? मुख वंशावली और कुख वंशावली। तो जो कोख की याद छोड़ते नहीं हैं, गोद में बैठने का उनका बड़ा नशा है। अरे, हमने बाबा की गोद ली है। तुम आए कल के छोकरे। तुम क्या जानो क्या होता है? ऐसे नशे से कहते हैं ना? तो वो तो अपन को ऊँच समझते हैं। कौन? कुख वंशावली या मुख वंशावली? कुख वंशावली। तो उनकी बात नहीं। अच्छा, मुख वंशावली की बात है? तो मुख वंशावली में जितने भी हैं मुख वंशावली, मुख से सामने बैठकरके सुनते हैं वो विरोधी नहीं बनते? अरे, बनते हैं कि नहीं? हाँ, वो भी विरोधी बनते हैं। तो फिर ‘ब्राह्मणों बिगर’ क्यों कह दिया? ब्राह्मणों बिगर। वो कौन ब्राह्मण?
(किसी ने कुछ कहा।) सच्चे ब्राह्मण? उनकी कोई संख्या-वंख्या है? (किसी ने कुछ कहा।) एक ही सच्चा ब्राह्मण है? अच्छा? और उसकी ब्राह्मणी सच्ची नहीं है? वो झूठी है? वाह भैया। आज तो ये क्या लिख दिया इसने? वो झूठी है? तो वो विरोधी बनेगी? ब्राह्मण नहीं है? ब्राह्मण है। तो उसको बाबा ने ब्राह्मणों की लिस्ट में लिया कि नहीं लिया? (किसी ने कुछ कहा।) साढ़े चार लाख; क्या? विरोधी? (किसी ने कुछ कहा।) साढ़े चार लाख ब्रह्माकुमार, ब्राह्मण? साढ़े चार लाख ब्राह्मण हैं, वो विरोधी नहीं बनते? अच्छा, ये छोड़-छोड़के जा रहे हैं वो? वो उसमें नहीं है साढ़े चार लाख की लिस्ट में? (किसी ने कुछ कहा।) अरे, वो भी हैं? तो फिर साढ़े चार लाख में से घटाओ फिर? साढ़े चार लाख क्यों लिख दिया? झूठी बात तो नहीं लिखना चाहिए। हाँ। (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, सत्य नारायण गाया हुआ है। ब्राह्मण। लेकिन बाबा ने तो बोला ब्राह्मणों बिगर। एक ब्राह्मण बोला या ज्यादा बोले? कम से कम दो तो होना चाहिए ना? हाँ। ये तो बिल्कुल ही भूल गया अम्मा को। अरे, कौनसे ब्राह्मण? कोई गिनती में आएंगे कि नहीं? कि एक ही आएगा? तो एक ही लिखा तुमने। ब्राह्मणों बिगर सारी दुनिया विरोधी। यानि विपरीत बुद्धि। बुद्धि से प्रीति बुद्धि नहीं। क्या? सारी दुनिया में आज नहीं तो कल। कोई लंबे समय तक अपने को संभाल के रखते और कोई फिर माया के चंबे में आखरीन आ ही जाते। आ जाते तो विरोध करेंगे कि नहीं? जो दुनिया के लोग हैं उनके साथी बन जाएंगे कि नहीं? हाँ।
तो विरोधी माना विपरीत बुद्धि। तो विपरीत बुद्धि के लिए क्या बोला स्लोगन? क्या बोला? कुछ बोला कि नहीं बोला? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, विपरीत बुद्धि विनश्यते। हाँ। बाबा के शब्दों में विनश्यंती। हाँ। जो विपरीत बुद्धि होते हैं उनका विनाश हो जाता है। तो जो प्रीत बुद्धि हैं ब्राह्मणों की जिनकी बात बताई ‘ब्राह्मणों बिगर’ वो कौनसे ब्राह्मण हुए? अरे, उनकी कोई संख्या-वंख्या है कि नहीं? (किसी नो कुछ कहा।) आठ है? वो उनको माया नहीं खाएगी? तो उनके नंबर कैसे बनेंगे? अगर उनको माया नहीं खाएगी तो उनके नंबर बनेंगे? बनेंगे? नंबर तो नहीं बनेंगे। नंबर तो बनने हैं। (किसी नेकुछ कहा।) हाँ। तो फिर? ब्राह्मणों बिगर बोला वो कौन-कौनसे ब्राह्मण? (किसी नो कुछ कहा।) लक्ष्मी और नारायण। वो तो बहुत होते हैं लक्ष्मी-नारायण। बाबा ने तो हमें बताय दिया सतयुग में कोई एक लक्ष्मी-नारायण होता है क्या? हँ? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण। हाँ। या तो लिखो आदि लक्ष्मी और आदि नारायण जिनसे ज्यादा पहले कोई बनते ही नहीं। हाँ। तो वो ब्राह्मण हैं। उन ब्राह्मणों के बिगर सारी दुनिया विरोधी कही जाती है।
Today’s night class is of the 01.12.1967. They come to do an opening (inauguration). Who comes? Who comes for the opening? Arey? Does anyone come? Insect, spider, deity or demon? (Someone said something.) ShivBaba comes to do the opening? Achcha? Doesn’t He have it done? Does ShivBaba do anything? Does He? (Someone said something.) Forever? Is He present forever? I am asking about the doer, [and] you are speaking about His presence. Does ShivBaba do anything? (Someone said something.) He is present forever. (To the student:) Where does [your] intellect remain? ShivBaba is present [forever]. Arey, remember the Supreme Soul at least in the Confluence Age, in the Elevated Confluence Age! Does He stay in this world forever? Does He? (Someone said something.) Then? He is present forever! Arey, when He goes away, the one whom He makes equal to Himself will be said to be present forever. So, is he duplicate or the real one? He is duplicate. So, who comes to do the opening? You don’t know. Arey! Prominent people of the world come to do the opening. Be it the limited exhibition, the limited museum or the limited centre. They used to come [for it] in the BK, didn’t they? Yes. In the Advance [party], they don’t give importance to the people of the world. Do they give them any importance? (Someone said something.) Yes. Do they invite [them saying:] Prime minister, do come [and] perform the opening the conference‟? Do they invite him? They certainly don’t invite him.
So, prominent people of the world, from Brahma Baba’s point of view, come to do the opening (inauguration). And from your point of view, who will come to do the opening? We are the unlimited children [and He] is the Unlimited Father, so, who comes to do the opening? Then it was said: “Or to write their opinion.” They come to do the opening or make them write (their opinion). Yes. They come to write [it], to write their opinion. Write brother. Will they write it? Will they write it? (Someone said something.) Arey! Then why did you write it? The worldly people? He spoke about the prominent people. His full name is required. Whose? Whichever prominent person comes to do the opening [or] to write his opinion, his full name is required. What does full name mean? [His] title name (surname) is required as well as his true name is required. And are all the ID proofs [details] required or not? Yes, the full name is required on it. On what? Arey! All the ID proof [details] are required on his opinion. And you should give him the picture tomorrow. So, there is a musical album, isn’t there? Yes. So they will listen to the music also and see the album too. But they will see it only when it is put on display. Then, who does this inauguration? Whoever does the opening, mention his full name on it, under each of the picture. Have it written. Just like, they put it in the newspapers, don’t they? They do, don’t they? Yes. [They write:] ‘From left to right’. They do, don’t they? They write: From left to right or mention who [the people] from left to right are. They are number wise (one after the other), aren’t they? Hm.
So, if the book of the museum is published; Baba has written about it many times. So, wherever there are a lot of opponents; Yes. And speaking of opponents, when Baba comes to this world and narrates the knowledge, He narrates new points, doesn’t He? So, certainly there are opponents in the world, aren't they there? They’re there. And there aren’t just one or two opponents. What was said? How many opponents are there? Do you have any idea? Don’t you? (Someone said something.) Yes, the entire world are opponents! How many are included in the whole world? (Someone said something.) 750 people? (Someone said something.) 7,500? (Someone said something) 7500? Arey? (Someone said something.) Yes, 7.5 billion. It means all the five to seven billion human beings in the world, [the people of] the entire world are opponents. Arey! What did He say? Aren’t BKs and PBKs included in the whole world? Are they all opponents? (Someone said something.) They aren’t opponents? Baba lies. Does He lie? (Someone said something.) Then? Why was it said that all, [the people of] the whole world are opponents?
And who do the opponents oppose? If there are opponents, if they oppose, who do they oppose? (Someone said something.) Yes, they oppose the one in whom He enters. Brother, everyone does believe in the Incorporeal One. Do they or don’t they? The people of the other religions as well as the Bharatvaasis believe in the Incorporeal One or not? They do. Well then, who do they oppose? The entire world is an opponent. Yes, did you understand or not? Whose? (Someone said something.) Yes, [people of] the entire world become the opponents of the permanent Chariot-holder; Yes, [they become opponents] of the Father. Of which Father? Arey, is there someone else in the permanent Chariot or not? Or is there just the soul of the permanent Chariot? (Someone said something.) Yes, there is Shiva, the Supreme Soul, isn’t He there? He is the Supreme Father, isn’t He? Is there any Father higher than Him? No. So, the entire world becomes the opponent of that permanent Chariot along with the Supreme Father. Sooner or later. Does Maya spare anyone? Maya doesn’t spare anyone.
Yes, it will be said: Except the Brahmins, the entire world is an opponent. Then, who are Brahmins? And even among the Brahmins, two kinds [of Brahmins] were mentioned. Which ones? The mukhvanshavali (mouth born progeny) and the kukhvanshavali (womb-born progeny). So, those who don’t leave the remembrance of the lap, they have great intoxication of sitting on the lap. [They think:] “Arey! We have experienced the lap of Baba. You are a child who came yesterday, how would you know what it is like?” They say this with intoxication, don’t they? So, they consider themselves to be great. Who? The kukhvanshavali or the mukhvanshavali? The kukhvanshavali. So, it is not about them. Achcha, is it about the mukhvanshavali? So, among the mukhvanshavali, all the mukhvanshavali who sit in front and listen [to the knowledge] from the mouth, don’t they become opponents? Arey, do they become [opponents] or not? Yes, they too become opponents. Then why was it said, ‘except the Brahmins’? Except the Brahmins. Who are those Brahmins?
(Someone said something.) True Brahmins? What is their population? (Someone said something.) Is there just one true Brahmin? Achcha? And isn’t his Brahmini true? She is a liar? (To the student:) Wow brother! What did he write today? Is she a liar? Then, will she become an opponent? She a Brahmin. Did Baba include her in the list of Brahmins or not? (Someone said something.) 450,000; what? Opponents? (Someone said something.) 450,000 Brahmakumar… Brahmins? The 450,000 [souls] are Brahmins? Don’t they become opponents? Achcha, those who are going away leaving [the Yagya], what about them? Aren’t they in the list of the 450,000 [souls]? (Someone said something.) Arey, are they too included in it? Then subtract them from the 450,000 [souls]. Why did you write 450,000? You shouldn’t write something false. Yes. (Someone said something.) Yes, Satyanarayan has been praised. Brahmin. But Baba has said: Except the Brahmins. Did He say one Brahmin or did He mention many? There should at least be two, shouldn’t they be there? Yes. (To the student:) This one completely forgot amma (mother). Arey, which Brahmins? Will some [souls] be counted or not? Or will just the one be counted? You wrote just one. Except the Brahmins [the people of] the entire world are opponents, it means they have an opposite intellect. They don’t have a loving intellect. What? If not today, tomorrow, [everyone] in the entire world; Some keep themselves safe for a long time and some come in the clutches of Maya ultimately. When they come in [Maya’s clutches], will they oppose [Him] or not? Will they become a companion of the people of the world or not? Yes.
So, virodhi (opponent) means vipriit buddhi (someone with an intellect turned away from God). So, which slogan was mentioned for those who have an opposite intellect? What was said? Was anything said or not? (Someone said something.) Yes, ’Vipriit buddhi vinashyate’ (The one whose intellect remains opposite to God is destroyed). Yes, in Baba‟s words, it is: vinashyanti. Those who have an opposing intellect are destroyed. So, those who have a loving intellect, the Brahmins for whom it was said ‘except the Brahmins’, who are those Brahmins? Arey, do they have any numbers or not? (Someone said something.) Is it the eight [deities]? Won’t Maya devour them? Then how will their numbers (ranks) be determined? If Maya doesn’t devour them, will their numbers (ranks) be determined? Will they? Their numbers (ranks) certainly won’t be determined. Their number (rank) has to be determined. (Someone said something.) Yes. So then? It was said ‘except the Brahmins’; who are those Brahmins? (Someone said something.) Lakshmi and Narayan. There are in fact many Lakshmi-Narayans. Baba has already told us: Is there only one Lakshmi-Narayan in the Golden Age? (Someone said something.) Yes. The Confluence Age Lakshmi–Narayan. Yes. Or you should write Adilakshmi (first Lakshmi) Adinarayan (first Narayan), no one else become [Lakshmi-Narayan] before them at all. Yes. So, they are the Brahmins. Except those Brahmins, [the people of] the entire world is said to be an opponent.
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ShivBaba’s Murli
वीसीडी 2955, दिनांक 28.07.2019
VCD 2955, dated 28.07.2019
रात्रि क्लास 01.12.1967
Night Class dated 01.12.1967
VCD-2955-extracts-Bilingual
समय- 00.01-14.52
Time- 00.01-14.52
आज का रात्रि क्लास है - 1.12.1967. आते हैं ओपनिंग करने। कौन आते हैं? कौन आते हैं ओपनिंग करने? अरे? कोई आते हैं? कीड़े-मकोड़े, देव, दैत्य? (किसी ने कुछ कहा।) शिवबाबा ओपनिंग करने आते हैं? अच्छा? करवाते नहीं हैं? शिवबाबा कुछ करते हैं? करता है? हँ? (किसी ने कुछ कहा।) सदा? सदा कायम है? हम कर्ता की बात पूछ रहे हैं वो कायम की बात कर रहे। शिवबाबा कुछ करता है? (किसी ने कुछ कहा।) सदा कायम है। (बोलने वाले को कहाः) कहां बुद्धि रहती है? शिवबाबा कायम है। अरे, संगमयुग में, कम से कम पुरुषोत्तम संगमयुग में तो सुप्रीम सोल को याद करो। वो सदाकाल रहता है इस सृष्टि पर? रहता है? (किसी ने कुछ कहा।) फिर? सदा कायम? अरे, वो जब चला जाए तो आप समान जिसको बनाय देता है उसको कहेंगे सदा कायम। तो वो डुप्लिकेट चीज़ हुई या असली हुई? डुप्लिकेट हुई। तो कौन आते हैं ओपनिंग करने? नहीं पता। अरे, दुनिया के बड़े-बड़े आदमी आते हैं ओपनिंग करने। हद की प्रदर्शनी हो, हद का म्यूजियम हो, हद का सेंटर हो। बीके में आते थे ना? हाँ। एडवांस में तो दुनियादारी वालों को घास नहीं डालते। घास डालते हैं? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ। बुलाते हैं? कि भई प्राइम मिनिस्टर आइयो, हँ, कॉन्फ्रेन्स की ओपनिंग कराइयो। बुलाते हैं? बिल्कुल नहीं बुलाते।
तो दुनिया के जो बड़े-बड़े आदमी हैं ब्रह्मा बाबा की दृष्टि में वो ओपनिंग करने आते हैं। और तुम्हारी दृष्टि में कौन ओपनिंग करने आएगा? हम तो बेहद के बच्चे हैं। बेहद का बाप है। तो ओपनिंग करने कौन आते हैं? फिर बताया – या ओपिनियन लिखने। ओपनिंग करने आते हैं या फिर उनसे लिखवाओ। हां। लिखने के लिए आते हैं। ओपिनियन लिखने। लिखो भई। लिखेंगे ये? ये लिखेंगे? (किसी ने कुछ कहा।) अरे, तो फिर काहे के लिए लिख दिया? दुनियावी लोग? बड़े-बड़े आदमियों की बात की। उसका सब नाम चाहिए। किसका? जो भी बड़ा आदमी ओपनिंग करने आए, ओपिनियन लिखने आए उसका सब नाम चाहिए। सब नाम माने? टाइटल नेम भी चाहिए। और जो असली नेम है वो भी चाहिए। और आईडी प्रूफ सारा चाहिए कि नहीं? हाँ। सब नाम चाहिए। उसके ऊपर। किसके ऊपर? अरे, ओपिनियन के ऊपर सब कुछ चाहिए उनका आईडी प्रूफ। और चित्र तो कल दे देना तुमको। हँ? हाँ। तो जो बाजे वाला है ना, हँ, अलबम। हां। तो बाजा भी सुनेंगे। अलबम भी देखेंगे। परन्तु जब लगा होवे तो देखेंगे। तब ये कौन खोलते हैं? जो भी खोलते हैं ओपनिंग करने वाले सब नाम उसके ऊपर चित्र के हरेक के नीचे लिखो, लिखवाओ। जैसे अखबार में डालते हैं ना? डालते हैं ना? हाँ। फ्रम लेफ्ट टू राइट। है ना? लेफ्ट टू राइट डालते हैं या फ्रम लेफ्ट टू राइट कौन-कौन हैं उसे डालते हैं। नंबरवार हैं ना? हँ।
तो म्यूजियम का किताब अगर छप जाए; बहुत दफा बाबा ने लिखा है। तो कहां भी जहां विरोधी बहुत हैं ना? हाँ। और विरोधी तो इस दुनिया में बाबा आते हैं, जो ज्ञान सुनाते हैं, नई बातें सुनाते हैं ना? तो विरोधी तो दुनिया में होते ही हैं कि नहीं? होते हैं। और एक-दो विरोधी नहीं होते हैं। क्या कहा? कितने होते हैं विरोधी? कुछ पता है? नहीं पता? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, सारी दुनिया विरोधी है। सारी दुनिया में कितने आ गए? (किसी ने कुछ कहा।) 750 लोग? (किसी ने कुछ कहा।) 7500? (किसी ने कुछ कहा।) 7500? अरे? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, 750 करोड़। माना 500-700 करोड़ जितने भी मनुष्य मात्र इस दुनिया में हैं सारी दुनिया विरोधी है। अरे, ये क्या कह दिया? सारी दुनिया में बीके, पीबीके नहीं हैं क्या? वो सब विरोधी हैं? (किसी ने कुछ कहा।) वो विरोधी नहीं? बाबा झूठ बोलता है। झूठ बोलता है क्या? (किसी ने कुछ कहा।) फिर? क्यों ऐसे कह दिया सब विरोधी हैं, सारी दुनिया विरोधी है?
और विरोधी, विरोध किसका? विरोधी है, विरोध करते हैं, तो किसका विरोध करते हैं? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, जिसमें प्रवेश करते हैं उसका विरोध करते हैं। भई निराकार को तो सब मानते हैं। मानते कि नहीं? दूसरे धरम वाले भी निराकार और भारतवासी भी निराकार को मानते हैं कि नहीं? मानते हैं। बाकि विरोध किसका? सारी दुनिया विरोधी है। हाँ, समझ गए कि नहीं? किसका? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, जो मुकर्रर रथधारी है उसका सारी दुनिया विरोधी बनती है। हाँ। बाप के साथ। कौनसे बाप के साथ? अरे, मुकर्रर रथ में कोई है कि नहीं और? कि मुकर्रर रथधारी आत्मा ही है? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, शिव है ना सुप्रीम सोल? परमपिता है ना? उससे ऊँचा कोई पिता है? नहीं। तो वो परमपिता के साथ, उस मुकर्रर रथधारी का सारी दुनिया विरोधी बनती है। आगे या पीछे। माया किसी को छोड़ती है? माया किसी को छोड़ती नहीं है।
हाँ, ये कहेंगे कि ब्राह्मणों के बिगर सारी दुनिया विरोधी है। फिर कौन हुए ब्राह्मण? और ब्राह्मणों में भी दो तरह के बता दिये। कौन-कौन? मुख वंशावली और कुख वंशावली। तो जो कोख की याद छोड़ते नहीं हैं, गोद में बैठने का उनका बड़ा नशा है। अरे, हमने बाबा की गोद ली है। तुम आए कल के छोकरे। तुम क्या जानो क्या होता है? ऐसे नशे से कहते हैं ना? तो वो तो अपन को ऊँच समझते हैं। कौन? कुख वंशावली या मुख वंशावली? कुख वंशावली। तो उनकी बात नहीं। अच्छा, मुख वंशावली की बात है? तो मुख वंशावली में जितने भी हैं मुख वंशावली, मुख से सामने बैठकरके सुनते हैं वो विरोधी नहीं बनते? अरे, बनते हैं कि नहीं? हाँ, वो भी विरोधी बनते हैं। तो फिर ‘ब्राह्मणों बिगर’ क्यों कह दिया? ब्राह्मणों बिगर। वो कौन ब्राह्मण?
(किसी ने कुछ कहा।) सच्चे ब्राह्मण? उनकी कोई संख्या-वंख्या है? (किसी ने कुछ कहा।) एक ही सच्चा ब्राह्मण है? अच्छा? और उसकी ब्राह्मणी सच्ची नहीं है? वो झूठी है? वाह भैया। आज तो ये क्या लिख दिया इसने? वो झूठी है? तो वो विरोधी बनेगी? ब्राह्मण नहीं है? ब्राह्मण है। तो उसको बाबा ने ब्राह्मणों की लिस्ट में लिया कि नहीं लिया? (किसी ने कुछ कहा।) साढ़े चार लाख; क्या? विरोधी? (किसी ने कुछ कहा।) साढ़े चार लाख ब्रह्माकुमार, ब्राह्मण? साढ़े चार लाख ब्राह्मण हैं, वो विरोधी नहीं बनते? अच्छा, ये छोड़-छोड़के जा रहे हैं वो? वो उसमें नहीं है साढ़े चार लाख की लिस्ट में? (किसी ने कुछ कहा।) अरे, वो भी हैं? तो फिर साढ़े चार लाख में से घटाओ फिर? साढ़े चार लाख क्यों लिख दिया? झूठी बात तो नहीं लिखना चाहिए। हाँ। (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, सत्य नारायण गाया हुआ है। ब्राह्मण। लेकिन बाबा ने तो बोला ब्राह्मणों बिगर। एक ब्राह्मण बोला या ज्यादा बोले? कम से कम दो तो होना चाहिए ना? हाँ। ये तो बिल्कुल ही भूल गया अम्मा को। अरे, कौनसे ब्राह्मण? कोई गिनती में आएंगे कि नहीं? कि एक ही आएगा? तो एक ही लिखा तुमने। ब्राह्मणों बिगर सारी दुनिया विरोधी। यानि विपरीत बुद्धि। बुद्धि से प्रीति बुद्धि नहीं। क्या? सारी दुनिया में आज नहीं तो कल। कोई लंबे समय तक अपने को संभाल के रखते और कोई फिर माया के चंबे में आखरीन आ ही जाते। आ जाते तो विरोध करेंगे कि नहीं? जो दुनिया के लोग हैं उनके साथी बन जाएंगे कि नहीं? हाँ।
तो विरोधी माना विपरीत बुद्धि। तो विपरीत बुद्धि के लिए क्या बोला स्लोगन? क्या बोला? कुछ बोला कि नहीं बोला? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, विपरीत बुद्धि विनश्यते। हाँ। बाबा के शब्दों में विनश्यंती। हाँ। जो विपरीत बुद्धि होते हैं उनका विनाश हो जाता है। तो जो प्रीत बुद्धि हैं ब्राह्मणों की जिनकी बात बताई ‘ब्राह्मणों बिगर’ वो कौनसे ब्राह्मण हुए? अरे, उनकी कोई संख्या-वंख्या है कि नहीं? (किसी नो कुछ कहा।) आठ है? वो उनको माया नहीं खाएगी? तो उनके नंबर कैसे बनेंगे? अगर उनको माया नहीं खाएगी तो उनके नंबर बनेंगे? बनेंगे? नंबर तो नहीं बनेंगे। नंबर तो बनने हैं। (किसी नेकुछ कहा।) हाँ। तो फिर? ब्राह्मणों बिगर बोला वो कौन-कौनसे ब्राह्मण? (किसी नो कुछ कहा।) लक्ष्मी और नारायण। वो तो बहुत होते हैं लक्ष्मी-नारायण। बाबा ने तो हमें बताय दिया सतयुग में कोई एक लक्ष्मी-नारायण होता है क्या? हँ? (किसी ने कुछ कहा।) हाँ, संगमयुगी लक्ष्मी-नारायण। हाँ। या तो लिखो आदि लक्ष्मी और आदि नारायण जिनसे ज्यादा पहले कोई बनते ही नहीं। हाँ। तो वो ब्राह्मण हैं। उन ब्राह्मणों के बिगर सारी दुनिया विरोधी कही जाती है।
Today’s night class is of the 01.12.1967. They come to do an opening (inauguration). Who comes? Who comes for the opening? Arey? Does anyone come? Insect, spider, deity or demon? (Someone said something.) ShivBaba comes to do the opening? Achcha? Doesn’t He have it done? Does ShivBaba do anything? Does He? (Someone said something.) Forever? Is He present forever? I am asking about the doer, [and] you are speaking about His presence. Does ShivBaba do anything? (Someone said something.) He is present forever. (To the student:) Where does [your] intellect remain? ShivBaba is present [forever]. Arey, remember the Supreme Soul at least in the Confluence Age, in the Elevated Confluence Age! Does He stay in this world forever? Does He? (Someone said something.) Then? He is present forever! Arey, when He goes away, the one whom He makes equal to Himself will be said to be present forever. So, is he duplicate or the real one? He is duplicate. So, who comes to do the opening? You don’t know. Arey! Prominent people of the world come to do the opening. Be it the limited exhibition, the limited museum or the limited centre. They used to come [for it] in the BK, didn’t they? Yes. In the Advance [party], they don’t give importance to the people of the world. Do they give them any importance? (Someone said something.) Yes. Do they invite [them saying:] Prime minister, do come [and] perform the opening the conference‟? Do they invite him? They certainly don’t invite him.
So, prominent people of the world, from Brahma Baba’s point of view, come to do the opening (inauguration). And from your point of view, who will come to do the opening? We are the unlimited children [and He] is the Unlimited Father, so, who comes to do the opening? Then it was said: “Or to write their opinion.” They come to do the opening or make them write (their opinion). Yes. They come to write [it], to write their opinion. Write brother. Will they write it? Will they write it? (Someone said something.) Arey! Then why did you write it? The worldly people? He spoke about the prominent people. His full name is required. Whose? Whichever prominent person comes to do the opening [or] to write his opinion, his full name is required. What does full name mean? [His] title name (surname) is required as well as his true name is required. And are all the ID proofs [details] required or not? Yes, the full name is required on it. On what? Arey! All the ID proof [details] are required on his opinion. And you should give him the picture tomorrow. So, there is a musical album, isn’t there? Yes. So they will listen to the music also and see the album too. But they will see it only when it is put on display. Then, who does this inauguration? Whoever does the opening, mention his full name on it, under each of the picture. Have it written. Just like, they put it in the newspapers, don’t they? They do, don’t they? Yes. [They write:] ‘From left to right’. They do, don’t they? They write: From left to right or mention who [the people] from left to right are. They are number wise (one after the other), aren’t they? Hm.
So, if the book of the museum is published; Baba has written about it many times. So, wherever there are a lot of opponents; Yes. And speaking of opponents, when Baba comes to this world and narrates the knowledge, He narrates new points, doesn’t He? So, certainly there are opponents in the world, aren't they there? They’re there. And there aren’t just one or two opponents. What was said? How many opponents are there? Do you have any idea? Don’t you? (Someone said something.) Yes, the entire world are opponents! How many are included in the whole world? (Someone said something.) 750 people? (Someone said something.) 7,500? (Someone said something) 7500? Arey? (Someone said something.) Yes, 7.5 billion. It means all the five to seven billion human beings in the world, [the people of] the entire world are opponents. Arey! What did He say? Aren’t BKs and PBKs included in the whole world? Are they all opponents? (Someone said something.) They aren’t opponents? Baba lies. Does He lie? (Someone said something.) Then? Why was it said that all, [the people of] the whole world are opponents?
And who do the opponents oppose? If there are opponents, if they oppose, who do they oppose? (Someone said something.) Yes, they oppose the one in whom He enters. Brother, everyone does believe in the Incorporeal One. Do they or don’t they? The people of the other religions as well as the Bharatvaasis believe in the Incorporeal One or not? They do. Well then, who do they oppose? The entire world is an opponent. Yes, did you understand or not? Whose? (Someone said something.) Yes, [people of] the entire world become the opponents of the permanent Chariot-holder; Yes, [they become opponents] of the Father. Of which Father? Arey, is there someone else in the permanent Chariot or not? Or is there just the soul of the permanent Chariot? (Someone said something.) Yes, there is Shiva, the Supreme Soul, isn’t He there? He is the Supreme Father, isn’t He? Is there any Father higher than Him? No. So, the entire world becomes the opponent of that permanent Chariot along with the Supreme Father. Sooner or later. Does Maya spare anyone? Maya doesn’t spare anyone.
Yes, it will be said: Except the Brahmins, the entire world is an opponent. Then, who are Brahmins? And even among the Brahmins, two kinds [of Brahmins] were mentioned. Which ones? The mukhvanshavali (mouth born progeny) and the kukhvanshavali (womb-born progeny). So, those who don’t leave the remembrance of the lap, they have great intoxication of sitting on the lap. [They think:] “Arey! We have experienced the lap of Baba. You are a child who came yesterday, how would you know what it is like?” They say this with intoxication, don’t they? So, they consider themselves to be great. Who? The kukhvanshavali or the mukhvanshavali? The kukhvanshavali. So, it is not about them. Achcha, is it about the mukhvanshavali? So, among the mukhvanshavali, all the mukhvanshavali who sit in front and listen [to the knowledge] from the mouth, don’t they become opponents? Arey, do they become [opponents] or not? Yes, they too become opponents. Then why was it said, ‘except the Brahmins’? Except the Brahmins. Who are those Brahmins?
(Someone said something.) True Brahmins? What is their population? (Someone said something.) Is there just one true Brahmin? Achcha? And isn’t his Brahmini true? She is a liar? (To the student:) Wow brother! What did he write today? Is she a liar? Then, will she become an opponent? She a Brahmin. Did Baba include her in the list of Brahmins or not? (Someone said something.) 450,000; what? Opponents? (Someone said something.) 450,000 Brahmakumar… Brahmins? The 450,000 [souls] are Brahmins? Don’t they become opponents? Achcha, those who are going away leaving [the Yagya], what about them? Aren’t they in the list of the 450,000 [souls]? (Someone said something.) Arey, are they too included in it? Then subtract them from the 450,000 [souls]. Why did you write 450,000? You shouldn’t write something false. Yes. (Someone said something.) Yes, Satyanarayan has been praised. Brahmin. But Baba has said: Except the Brahmins. Did He say one Brahmin or did He mention many? There should at least be two, shouldn’t they be there? Yes. (To the student:) This one completely forgot amma (mother). Arey, which Brahmins? Will some [souls] be counted or not? Or will just the one be counted? You wrote just one. Except the Brahmins [the people of] the entire world are opponents, it means they have an opposite intellect. They don’t have a loving intellect. What? If not today, tomorrow, [everyone] in the entire world; Some keep themselves safe for a long time and some come in the clutches of Maya ultimately. When they come in [Maya’s clutches], will they oppose [Him] or not? Will they become a companion of the people of the world or not? Yes.
So, virodhi (opponent) means vipriit buddhi (someone with an intellect turned away from God). So, which slogan was mentioned for those who have an opposite intellect? What was said? Was anything said or not? (Someone said something.) Yes, ’Vipriit buddhi vinashyate’ (The one whose intellect remains opposite to God is destroyed). Yes, in Baba‟s words, it is: vinashyanti. Those who have an opposing intellect are destroyed. So, those who have a loving intellect, the Brahmins for whom it was said ‘except the Brahmins’, who are those Brahmins? Arey, do they have any numbers or not? (Someone said something.) Is it the eight [deities]? Won’t Maya devour them? Then how will their numbers (ranks) be determined? If Maya doesn’t devour them, will their numbers (ranks) be determined? Will they? Their numbers (ranks) certainly won’t be determined. Their number (rank) has to be determined. (Someone said something.) Yes. So then? It was said ‘except the Brahmins’; who are those Brahmins? (Someone said something.) Lakshmi and Narayan. There are in fact many Lakshmi-Narayans. Baba has already told us: Is there only one Lakshmi-Narayan in the Golden Age? (Someone said something.) Yes. The Confluence Age Lakshmi–Narayan. Yes. Or you should write Adilakshmi (first Lakshmi) Adinarayan (first Narayan), no one else become [Lakshmi-Narayan] before them at all. Yes. So, they are the Brahmins. Except those Brahmins, [the people of] the entire world is said to be an opponent.
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